ज्यादा यूरिया डालने से धान की फसल में लग रहा बकानी रोग, नियंत्रण के लिए कृषि विभाग की यह सलाह….

इस समय यूपी एवं बिहार के कई इलाकों में बकानी रोग का प्रकोप (Paddy Crop Bakani disease) देखा जा रहा है। ऐसे में कृषि विभाग ने दी किसानों को सलाह।

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Paddy Crop Bakani disease | धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बकानी रोग एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।

पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में इस रोग का हर साल प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

अभी धान की फसल 20 से 30 दिनों की हो गई है। यूपी एवं बिहार के कई इलाकों में फसल में बकानी रोग का प्रकोप देखा जा रहा है।

कृषि विभाग का कहना है की, ज्यादा यूरिया एक इसका प्रमुख कारक है। इससे बचने के लिए कुछ उपाय अपनाना जरूरी है, नहीं तो यह रोग धान की फसल Paddy Crop Bakani disease को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

अगर आप जानना चाहते है की, बकानी रोग Paddy Crop Bakani disease क्या है? इसके लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय क्या है। तो आइए आपको बताते है कृषि विभाग की सलाह…

धान की इन किस्मों में बकानी रोग का सबसे ज्यादा प्रकोप

धान की फसल में बकानी यानी झंडा रोग किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। खासकर बासमती धान में।

यह एक ऐसा रोग है जिसमें ज्यादा तापमान में फंगस अधिक बढ़ता है, जिससे बीमारी अधिक फैलती है और फसलों की पैदावार प्रभावित होती है।

पिछले कुछ वर्षों में बकानी रोग Paddy Crop Bakani disease के कारण धान की उत्पादकता में कमी आई है। इस रोग के चलते धान की पैदावार में 15 से 40 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

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बासमती की किस्में, जैसे पूसा बासमती-1509 और पूसा बासमती-1121 किस्म में इस रोग का ज्यादा प्रकोप देखा जाता है।

इसलिए जो किसान धान की खेती करने जा रहे हैं, वे इस रोग से बचने के लिए पहले से ही सजग रहें, वरना ये रोग फसल Paddy Crop Bakani disease को बहुत ज्यादा नुकसान कर सकता है।

जानकारी के लिए बता दें की, साल 2019 में इस रोग का प्रकोप बहुत ज्यादा देखा गया था, जिससे किसानों को बहुत अधिक नुकसान हुआ था।

क्या है बकानी रोग के लक्षण?

कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक, धान की फसल में बकानी यानी झंडा रोग फ्यूजेरियम मोनिलिफोर्मे नामक कवक के कारण होता है।

इस बीमारी Paddy Crop Bakani disease में रोगग्रस्त पौधे स्वस्थ पौधों से असामान्य रूप से लंबे हो जाते हैं और कुछ पौधों में बिना लंबाई बढ़े ही तना और पत्तियां गलने लगती हैं।

ऐसे पौधे ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहते और जल्द ही सूख जाते हैं। रोपाई के बाद ये पौधे पीले, पतले और लंबे हो जाते हैं और रोगी पौधों में कल्ले कम निकलते हैं।

पौधे जल्द ही सूख जाते हैं। इस रोग से प्रभावित पौधे बच जाते हैं तो उनमें बालियां और दाने नहीं निकलते।

जब नमी वाला वातावरण होता है तो तनों के निचले भाग पर सफेद से लेकर गुलाबी रंग का फंगस दिखाई देता है, जो धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता जाता है। रोगग्रस्त पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं और उनमें दुर्गंध आती है।

यदि जल्द से जल्द इस Paddy Crop Bakani disease रोग का नियंत्रण नहीं किया जाए तो, पैदावार में भारी कमी आने की संभावना है।

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इस वजह से फैलता है यह रोग

नाइट्रोजन धारी उर्वरकों का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने के कारण धान की फसल Paddy Crop Bakani disease में बकानी रोग का प्रभाव बढ़ता है।

किसान संतुलित मात्रा में यदि उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं तो कीट एवं रोगों का प्रकोप फसलों में कम आता है।

बकानी रोग से बचाव के प्रारंभिक उपाय

स्वस्थ एवं स्वच्छ बीजों का प्रयोग करना चाहिए और खेतों में गहरी जुताई करें और कुछ दिनों के लिए छोड़ देना चाहिए।

बीज लगाने से पहले 50 से 55 डिग्री सेल्सियस गर्म पानी में 15 से 20 मिनट बीजों का उपचार अवश्य करना चाहिए। : Paddy Crop Bakani disease

बीजों को बेविस्टिन या कैबेंडाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर का घोल बनाकर 24 घंटे भिगोकर उपचारित करें।

नर्सरी उखाड़ने के 7 दिन पहले कैबेंडाजिम 1 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से रेत में मिलाकर नर्सरी में छिड़काव कर सकते है।

बकानी रोग के नियंत्रण के लिए यह दवाई डालें

Paddy Crop Bakani disease रोग के फैलने से बचाव के लिए एक एकड़ क्षेत्र मे 3 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा, 500 ग्राम थायोफिनेट मिथाइल और 20 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 150 से 200 लीटर पानी में घोलकर धान की जड़ों में छिड़काव करें।

इसके अलावा रोग से प्रभावित खेत में यूरिया का प्रयोग कम करें। धान के खेत की सतत निगरानी करते रहें।

बकानी रोग के लिए जैविक नियंत्रण

अगर जैविक नियंत्रण करना हो तो वैज्ञानिकों के अनुसार बकानी से बचने के लिए ट्राइकोडर्मा घोल में पौधों को कम से कम एक घंटे डुबाकर रखें।

जिन खेतों में इस Paddy Crop Bakani disease बीमारी की शुरुआत हो, वहां पौधों को तुरंत उखाड़ दें।

साथ ही दो किलो ट्राइकोडर्मा प्रति एकड़ गोबर की खाद में मिलाकर डालें। अधिक स्यूडोमोनास का स्प्रे करें।

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