किन्हें दिया जायेगा धान की सीधी बुआई पर सब्सिडी (Paddy Sowing Subsidy) का लाभ? आइए आर्टिकल में जानते है।
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Paddy Sowing Subsidy | हरियाणा के किसानों के लिए एक बड़ी खबर है! राज्य के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने शुक्रवार 4 अप्रैल को कुरुक्षेत्र में एक किसान कार्यशाला में बताया कि जो किसान डायरेक्ट-सीडेड राइस (डीएसआर) यानि धान की सीधी बुआई अपनाते है।
ऐसे किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी Paddy Sowing Subsidy मिलेगी। ये देश में सबसे बड़ी सब्सिडी है, और इससे न सिर्फ किसानों की जेब भरेगी बल्कि पर्यावरण को भी फायदा होगा।
सीएम राणा ने कहा कि हरियाणा टिकाऊ चावल खेती में सबसे आगे चल रहा है, और वो इसे और बढ़ावा देना चाहते हैं। ये कार्यशाला सवाना सीड्स और हरियाणा कृषि विभाग ने मिलकर रखी थी। इसमें डीएसआर के फायदे और मुश्किलों पर खुलकर बात हुई।
आम तौर पर चावल की रोपाई में ढेर सारा पानी लगता है, लेकिन डीएसआर में पौधे रोपने की झंझट खत्म—पानी भी कम लगता है और मेहनत भी बचती है। 500 से ज्यादा किसान और कई जिलों के कृषि अधिकारी वहां पहुंचे थे। सबने मिलकर ये समझने की कोशिश की कि डीएसआर से भूजल को कैसे बचाया जा सकता है और धान की खेती को आसान कैसे बनाया जाए।
पानी बचाने की नई उम्मीद: डीएसआर को सरकार का पूरा साथ
Paddy Sowing Subsidy | राणा ने कहा, “हरियाणा में पानी की कमी बड़ी समस्या है। हम डीएसआर को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि पानी बचे। इसके लिए सरकार पैसा देगी, ट्रेनिंग देगी, और अच्छे बीज भी मुहैया कराएगी।”
हरियाणा का प्लान है कि 3 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर डीएसआर हो। 2024 तक 50,540 किसानों ने 1.8 लाख एकड़ में इसे आजमा लिया है।
चावल यहाँ की बड़ी फसल है। 2022-23 में 59.21 लाख टन से ज्यादा चावल पैदा हुआ था, और करीब 16 लाख हेक्टेयर जमीन पर इसकी खेती होती है। लेकिन पानी का स्तर नीचे जा रहा है, खरपतवार की दिक्कत है, और मजदूरी भी महंगी पड़ती है। Paddy Sowing Subsidy
पुराने तरीके से चावल उगाने में 1 किलो के लिए 3,000-4,000 लीटर पानी लगता है। ऐसे में सरकार डीएसआर को पुश कर रही है ताकि पानी बचे और खेती सस्ती हो। खरीफ का सीजन आने वाला है, और मौसम भी बदल रहा है।
ऐसे में किसानों पर टिकाऊ खेती का दबाव बढ़ रहा है। स्टडीज बता रही हैं कि राज्य के कई इलाकों में भूजल खतरनाक हद तक कम हो गया है। इसलिए सरकार ने डीएसआर के लिए 4,000-4,500 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी Paddy Sowing Subsidy रखी है।
नई तकनीक का कमाल: फुलपेज से बढ़ेगी पैदावार
Paddy Sowing Subsidy ; सवाना सीड्स के बॉस अजय राणा ने कहा, “अच्छे बीज और सही तरीके से पानी देने से पैदावार बढ़ेगी और भूजल भी बचेगा। इस कार्यशाला में हमने किसानों की परेशानियां सुनीं और उन्हें डीएसआर के गुर सिखाए।”
वहां फुलपेज नाम की नई तकनीक की भी बात हुई। ये बीजों को ऐसा तैयार करती है कि अंकुरण एकदम बराबर हो और फसल मजबूत आए। अजय ने बताया, “पुराने डीएसआर में कभी-कभी फसल कमजोर हो जाती थी। फुलपेज से नर्सरी की जरूरत खत्म हो जाती है, पानी कम लगता है, और पंप चलाने का खर्च 30% तक घट जाता है।
साल में 15-25 लाख लीटर पानी बच सकता है। ऊपर से मीथेन गैस भी कम निकलती है, जो पर्यावरण के लिए अच्छा है।” अधिकारियों और एक्सपर्ट्स ने डीएसआर को बढ़ाने के लिए मशीनों पर सब्सिडी, ट्रेनिंग, Paddy Sowing Subsidy और छोटे-छोटे प्रोजेक्ट शुरू करने की बात की।
छत्तीसगढ़-झारखंड से कुछ उदाहरण भी दिखाए गए, जहां डीएसआर कामयाब रहा। किसानों ने वैज्ञानिकों से खरपतवार, मिट्टी तैयार करने, और दवाइयों के बारे में ढेर सारे सवाल पूछे। एक्सपर्ट्स ने कहा कि हर इलाके के हिसाब से तरीके अपनाने होंगे।
पराली जलाने में कमी: डीएसआर से डबल फायदा
खास बात ये कि डीएसआर से पराली जलाने में भी 29% कमी आई है, क्योंकि सरकार ने किसानों को इसके लिए इनाम दिया। अब हरियाणा के और किसान इसे अपनाने की सोच रहे हैं, क्योंकि ये सस्ता भी है और टिकाऊ भी। Paddy Sowing Subsidy
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