जानिए भारत में बनी 2 नई धान की जीनोम-एडिटेड किस्मों (Paddy Varieties) की पैदावार, विशेषताओं एवं अन्य जानकारी के बारे में।
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Paddy Varieties | भारत में खरीफ सीजन में धान की बुवाई प्रमुख रूप से की जाती है। देश के लाखों किसान धान की खेती करते हैं। भारत में सबसे ज्यादा धान की खेती पश्चिम बंगाल में होती है। यहां करीब 54.34 लाख हैक्टेयर में धान की खेती होती है। यहां करीब 146.06 लाख टन धान का उत्पादन होता है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश, पंजाब, बिहार, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्य में भी धान की खेती प्रमुखता से की जाती है। खरीफ सीजन आने वाला है और किसान बारिश से पहले धान (Paddy Varieties) की खेती के लिए तैयारियां शुरू कर देंगे। फसल उत्पादन में सबसे प्रमुख भूमिका बीज की होती है।
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में कृषि वैज्ञानिकों की ओर से कई नई किस्में विकसित की जा रही है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सह सके और बेहतर उत्पादन दे सके। इसी कड़ी में देश में पहली बार धान की दो जीनोम–एडिटेड किस्में तैयार की गई है जो खेती किसानी की तस्वीर बदल सकती हैं। बताया जा रहा है कि धान की यह किस्में कम पानी में अधिक पैदावार देने में समक्ष हैं।
इन किस्मों में और भी कई विशेषताएं हैं जिससे यह किस्में भारत के किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं। धान की इन दोनों किस्मों (Paddy Varieties) को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली द्वारा तैयार किया गया है। हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन किस्मों को किसानों को जारी की। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने दोनों किस्मों के अनुसंधान में योगदान देने वाले कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया।
ये है वह धान की 2 नई एडिटेड किस्में | Paddy Varieties
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों की ओर से धान (चावल) की दो नई किस्में विकसित की गई हैं। इसमें पहली DDR धान 100 (कमला) है, जिसे आईसीएआर–भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा विकसित किया गया है। वहीं दूसरी किस्म पूसा DST राइस 1 है, जिसे आईसीएआर–भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से विकसित किया गया है।
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किन राज्यों के अनुशंसित की गई..
धान की ये नई उन्नत किस्में (Paddy Varieties) उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना व आंध्रप्रदेश के लिए उपयुक्त है। इस क्षेत्रों में करीब 5 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्रफल में इन किस्मों की खेती की जा सकेगी जिससे धान के उत्पादन में करीब 4.5 मिलियन टन की बढ़ोतरी होगी।
DDR धान 100 (कमला) एवं पूसा DST राइस 1 किस्म की विशेषताएं
धान की DDR धान 100 (कमला) किस्म : धान की नई किस्म कमला, अपनी मूल किस्म (Paddy Varieties) सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) के मुकाबले में बेहतर उपज, सूखा सहिष्णुता, नाइट्रोजन उपयोग में दक्ष है। धान की यह किस्म ऐसी किस्म हैं जिसे एक बारीक दाने वाली बहुप्रचलित किस्म सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) में दानों की संख्या बढ़ाने के लिए जीनोम एडेड से विकसित किया गया है। इस धान की नई किस्म की औसत उपज 5.3 टन प्रति हैक्टेयर पाई गई है जो साम्बा महसूरी (4.5 टन) से 19 प्रतिशत अधिक है। यह कई किस्म 20 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है।
धान की पूसा DST राइस 1 किस्म : पूसा संस्थान नई दिल्ली ने धान की बहुप्रचलित किस्म (Paddy Varieties) एमटीयू 1010 में सूखारोधी क्षमता व लवण सहिष्णुता के लिए उत्तरदायी जीन “डीएसटी” को एडिटेड करके नई किस्म डीएसटी राइस 1 को विकसित किया है। बता दें कि एमटीयू 1010 किसानों के बीच धान की बहुत लोकप्रिय किस्म है, इस किस्म का दाना लंबा व बारीक होता है। यह किस्म (Paddy Varieties) दक्षिण भारत में रबी सीजन के चावल की खेती के लिए अधिक उपयुक्त है। पूसा DST राइस 1 किस्म लवणता और क्षारीयता युक्त मृदा में एमटीयू 1010 की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक पैदावार देती है। यह किस्म सूखे और लवणता सहित कई अजैविक तनावों के प्रति संवेदनशील है।
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