खरपतवार में सब दवाई के साइड इफेक्ट से सोयाबीन की फसल को कैसे बचाएं, Soybean farming आइए जानते हैं..
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Soybean farming | सोयाबीन की बुवाई अच्छे से निपटने के पश्चात खेत से खरपतवार का निदान करना आवश्यक है, क्योंकि फसल को सबसे अधिक नुकसान खरपतवार पहुंचते हैं। खरपतवार को हटाने के लिए किसान पारंपरिक तरीकों के अलावा रासायनिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
पारंपरिक तरीकों में दौरा/कलपा चलाना एवं निंदाई की जाती है, वहीं सोयाबीन की फसल 15 से 25 दिन की अवधि होने पर रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवार नाशक दवाइयां Soybean farming का इस्तेमाल किया जाता है। खरपतवार नाशक दवाई के इस्तेमाल के पश्चात कई क्षेत्रों से खबर आ रही है कि सोयाबीन के पत्ते मुरझा रहे हैं एवं पीले पड़ रहे हैं।
यह स्थिति तब निर्मित होती है जब खरपतवार नाशक दवाई पर्याप्त नमी नहीं होने पर छिड़की जाए। इसके अलावा अमानक दवाइयों का इस्तेमाल एवं दो प्रकार की दवाइयों को एक साथ मिलाने पर भी सोयाबीन की फसल Soybean farming को नुकसान हो सकता है। खरपतवार नाशक दवाइयों के इस्तेमाल के पश्चात होने वाले साइड इफेक्ट से फसल को कैसे बचाएं लिए जानते हैं..
35 बीघा की सोयाबीन फसल खराब हुई
Soybean farming | खरपतवार नाशक दवाइयां किस प्रकार से फसल को नुकसान पहुंचती है इसका ताजा उदाहरण राजगढ़ जिले में देखने को मिला यहां पर एक किसान की 35 बीघा सोयाबीन की फसल खरपतवार नाशक दवाई छिड़कने के पश्चात खराब हो गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राजगढ़ जिले की सारंगपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम गुलावता के किसान के खेत में विपरीत प्रभाव होने से 35 बीघा में बोई सोयाबीन की फसल खराब हो गई। किसान ने फसल के बीच उगे खरपतवार को सुखाने दवाई का दवाई का छिड़काव किया था। लेकिन खरपतवार नाशक दवाई खरपतवार पर असर ना करते हुए सोयाबीन Soybean farming के पौधे पर असर कर गई।
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सोयाबीन फसल के पत्ते सूख गए
किसान ने फसल खराब होने की सूचना कृषि विभाग के अधिकारियों सहित दुकानदार को दी है। गुलावता निवासी किसान प्रकाश पटेल खाती ने बताया कि करीब 4 दिन पहले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए खरपतवार नाशक दवाई बीड ब्लॉक दवाई सारंगपुर की दुकान से लाकर के इस खरपतवार नाशक दवाई का स्प्रे किया था।
इस दवाई का स्प्रे सोयाबीन फसल Soybean farming के लिए किया जाता है, जिसमें खरपतवार की बजाय सोयाबीन की फसल सूखने लगी। इससे से फसल खराब होने लगी है। पौधा पूरा तरह से सूखा नहीं है, लेकिन ऊपर से पत्ते मुरझा गए हैं।
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दवाई छिड़कने के दौरान किसान इन बातों का ध्यान रखें
सारंगपुर कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खरपतवार नाशक दवाई चौड़े पत्ते को खत्म करती है। किसान खेतों में नमी होने के दौरान ही खरपतवार नाशक दवाई का छिड़काव (Spray) करें। क्योंकि सोयाबीन Soybean farming के पत्ते भी चौड़े होने के कारण उनके भी खत्म होने की संभावना रहती है। खरपतवार नाशक दवाई स्प्रे के दौरान जिन किसान भाइयों की फसलें मुरझा गई है। उनको सोयाबीन फसल में टॉनिक का स्प्रे करना चाहिए, जिससे अपनी सामान्य अवस्था में आ जाए।
यह दवाई छिड़कने से 100% फायदा मिलेगा
एक विशेष बात यदि सोयाबीन की फसल में खरपतवार नाशक दवाई का इस्तेमाल करने के पश्चात दुष्प्रभाव दिखाई देता है तो खरपतवारों के पीले पड़ने के बाद आप सोयाबीन की फसल Soybean farming को स्वस्थ करने के लिए मल्टीप्लेक्स कंपनी का समरस (18 प्रकार के अमीनो एसिड), महावीरा कंपनी का Amitron L (25 प्रकार के अमीनो एसिड) 400 से 500 मिलीलीटर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करके अपनी फसल पर हुए दुष्प्रभाव को बहुत अच्छी तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं।
अमानक दवाई का छिड़काव न करें
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सोयाबीन की फसल Soybean farming में खरपतवार नाशक एवं कीटनाशक का प्रयोग करने के पहले किसान साथी यह पूरी तरह से कंफर्म कर लें कि वह जिन दवाइयों का इस्तेमाल कर रहे हैं वह सही है कि नहीं, क्योंकि बाजार में अमानक दवाइयां बेची जा रही है।
दरअसल, दवाई बेचने वाली दुकानों की जांच कृषि विभाग नहीं कर रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश की की जिलों में जगह-जगह कीटनाशक दवाइयां दुकानदारों के द्वारा बेचीं जा रही हैं। अमानक दवाओं से किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
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