मक्के के बीज के लिए किसानों को योगी सरकार देगी 15,000 रूपये की सब्सिडी (Subsidy on Maize Crops), उत्पादन दोगुना करने का रखा लक्ष्य।
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Subsidy on Maize Crops | जायद मक्का की खेती कृषि पद्धतियों का एक महत्वपूर्ण पहलू है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ जायद का मौसम अतिरिक्त फसल की खेती के लिए अवसर प्रदान करता है।
मक्का, एक बहुमुखी अनाज की फसल है, जो देश भर के किसानों के लिए महत्वपूर्ण कृषि और आर्थिक महत्व रखती है। मक्का का फसलों की रानी भी कहा जाता है। इसे वैज्ञानिक तरीके से बोने वाला किसान राजा बन सकता है।
किसानों की आय बढ़े, वे खुशहाल हों, योगी सरकार का भी यही लक्ष्य है। इसलिए पूरे प्रदेश को त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के तहत आच्छादित किया गया है। सरकार मक्के के हर तरह के बीज पर किसानों को प्रति क्विंटल बीज पर 15,000 रुपए की दर से अनुदान दे रही है। : Subsidy on Maize Crops
इस अनुदान में संकर, देशी पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न तथा स्वीट कॉर्न के बीज भी शामिल हैं। पर्यटक की अधिकता वाले क्षेत्र में देशी पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की अधिक मांग है। इसलिए कार्यक्रम के तहत सरकार इनको भी बढ़ावा दे रही है।
एक्सटेंशन प्रोग्राम के तहत वैज्ञानिक जगह-जगह किसान गोष्ठियों में जाकर किसानों को मक्का के उत्पादन और आच्छादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। करीब हफ्ते भर पहले यहां लखनऊ में भी राज्य स्तरीय कार्यशाला में इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इसमें यह भी चर्चा हुई थी कि किसानों के लिए इसे कैसे अधिकतम लाभदायक बनाया जाए। : Subsidy on Maize Crops
27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में मक्के का उत्पादन 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए तय अवधि में इसे बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है।
इसके लिए रकबा बढ़ाने के साथ प्रति हेक्टेयर प्रति क्विंटल उत्पादन बढ़ाने पर भी बराबर का जोर होगा। इसके लिए योगी सरकार ने “त्वरित मक्का विकास योजना” शुरू की है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2023/2024 में 27.68 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। : Subsidy on Maize Crops
अभी प्रदेश में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। कुल उत्पादन करीब 21.16 लाख मीट्रिक टन है। प्रदेश सरकार की मदद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से सम्बद्ध भारतीय मक्का संस्थान भी कर रहा है।
धान और गेहूं के बाद यह खाद्यान्न की तीसरी प्रमुख फसल है। उपज और रकबा बढ़ाकर 2027 तक इसकी उपज दोगुना करने के लक्ष्य के पीछे मक्के का बहुपरकारी होना है। अब तो एथेनॉल के रूप में भविष्य में इसकी संभावनाएं और बढ़ गई हैं। : Subsidy on Maize Crops
बात चाहे पोषक तत्वों की हो या उपयोगिता की। बेहतर उपज की बात करें या सहफसली खेती या औद्योगिक प्रयोग की। हर मौसम (रबी, खरीफ एवं जायद) और जल निकासी के प्रबंधन वाली हर तरह की भूमि में मक्के का जवाब नहीं।
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मालूम हो कि मक्के का प्रयोग ग्रेन बेस्ड एथेनॉल उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों, कुक्कुट एवं पशुओं के पोषाहार, दवा, कॉस्मेटिक, गोद, वस्त्र, पेपर और अल्कोहल इंडस्ट्री में भी इसका प्रयोग होता है।
इसके अलावा मक्के का आटा, ढोकला, बेबी कॉर्न और पॉप कॉर्न के रूप में तो ये खाया ही जाता है। किसी न किसी रूप में ये हर सूप का हिस्सा है, ये सभी क्षेत्र संभावनाओं वाले हैं। : Subsidy on Maize Crops
आने वाले समय में बहुपरकारी होने की वजह से मक्के की मांग भी बढ़ेगी। इस बढ़ी मांग का अधिकतम लाभ प्रदेश के किसानों को हो, इसके लिए सरकार मक्के की खेती के प्रति किसानों को लगातार जागरूक कर रही है।
उन्हें खेती के उन्नत तौर-तरीकों की जानकारी देने के साथ सीड रिप्लेसमेंट (बीज प्रतिस्थापन) की दर को भी बढ़ा रही है। किसानों को मक्के की उपज का वाजिब दाम मिले, इसके लिए सरकार पहले ही इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में ला चुकी है। : Subsidy on Maize Crops
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अनाजों की रानी है मक्का
मक्के में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट, शुगर, वसा, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल मिलता है। इस लिहाज से मक्का की खेती कुपोषण के खिलाफ जंग साबित हो सकती है। इन्हीं खूबियों की वजह से मक्के को अनाजों की रानी कहा गया है। : Subsidy on Maize Crops
विशेषज्ञों की मानें तो उन्नत खेती के जरिए मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज 100 क्विंटल तक भी संभव है। प्रति हेक्टेयर सर्वाधिक उत्पादन लेने वाले तमिलनाडु की औसत उपज 59.39 कुंतल है। देश के उपज का औसत 26 कुंतल एवं उत्तर प्रदेश के उपज का औसत 2021-22 में 21.63 कुंतल प्रति हेक्टेयर था। ऐसे में यहां मक्के की उपज बढ़ाने की भरपूर संभावना है।
ड्रायर मशीन पर सब्सिडी | Subsidy on Maize Crops
मक्के की तैयार फसल में करीब 30 फीसदी तक नमी होती है। अगर उत्पादक किसान या उत्पादन करने वाले इलाके में इसे सुखाने का उचित बंदोबस्त न हो, तो इसमें फंगस लग जाता है। सरकार अनुदान पर ड्रायर मशीन उपलब्ध करा रही है। 15 लाख की पर 12 लाख अनुदान दिया जा रहा है। : Subsidy on Maize Crops
कोई भी किसान निजी रूप से या उत्पादक संगठन इस मशीन को खरीद सकता है। इसी तरह पॉप कॉर्न मशीन पर भी 10 हजार का अनुदान देय है। मक्के की बोआई से लेकर प्रोसेसिंग संबंधित अन्य मशीनों पर भी इसी तरह का अनुदान है। प्रदेश सरकार प्रगतिशील किसानों को उत्पादन की बेहतर तकनीक जानने के लिए प्रशिक्षण के लिए भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान भी भेजती है।
मक्के की उन्नत किस्में
Subsidy on Maize Crops | कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार उन्नत प्रजातियों की बोआई करें। डंकल डबल, कंचन 25, डीकेएस 9108, डीएचएम 117, एचआरएम-1, एनके 6240, पिनैवला, 900 एम और गोल्ड आदि प्रजातियों की उत्पादकता ठीक ठाक है। वैसे तो मक्का 80-120 दिन में तैयार हो जाता है, पर पॉपकॉर्न के लिए यह सिर्फ 60 दिन में ही तैयार हो जाता है।
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