सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त सुगंधित धान कि यह टॉप वैरायटियां किसानों को करेगी मालामाल, पढ़िए डिटेल..

खरीफ सीजन में सुगंधित धान की टॉप वैरायटियां Sugandhit dhaan varieties कौन-कौन सी है आईए जानते हैं..

Sugandhit dhaan varieties | भारत में मानसून के आगमन के साथ ही धान की बुवाई शुरू हो चुकी है। धान की बुवाई का उपयुक्त समय मानसून की शुरुआत से लगभग 10-15 दिन पहले होता है। धान की बुवाई का अनुकूल समय 1 जून से 20 जुलाई तक माना जाता है। धान की सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त सुगंधित धान की वैरायटियां किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में बहुत कारगर साबित हो रही है। धान की इन किस्मों में से टॉप वैरायटियों Sugandhit dhaan varieties की जानकारी यहां देखें..

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यह है धान की टॉप सुगंधित वैरायटियां

धान की सुगंधित वैरायटी :– पूसा-1886, पूसा-1885, पूसा-1847, पूसा- 1637, पूसा-1718, पूसा-1728, पूसा-1692। इसके अलावा मोटी धान में सहभागी, एमटीयू-1010 हाइब्रिड धान में जेआरएच-56, जेआरएच-8, जेआरएच-19 वैरायटियां अच्छा फायदा देती है। Sugandhit dhaan varieties

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बीज दर

मानसूनी वर्षा को पूरी तरह उपयोग करने के लिए, डी एस आर पद्धति से बुवाई करना बहुत उपयोगी रहता है। धान की इस पद्धति मे बीज की बुवाई दर 16 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेर प्रस्तावित है l डायरेक्ट सीडिड राइस की खेती मे उन्नत एवं संकर बीजों का चुनाव करना चाहिए l Sugandhit dhaan varieties

बीज उपचार

मृदा जनित रोगों के प्रबंधन के लिए अनुशंसित कवकनाशी से बीज उपचार आवश्यक है। इसके लिए बीज की बजन की हुई मात्रा को 24 घंटे के लिए पानी + कवकनाशी (बाविस्टिन @ 1 ग्राम / किग्रा चावल के बीज या एमिसन @ 1 ग्राम / किग्रा चावल के बीज) के घोल में भिगोया जाता है।

Sugandhit dhaan varieties भिगोने के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी की मात्रा बीज उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले बीज की मात्रा के बराबर होती है। 24 घंटे के बाद बीज को कवकनाशी के घोल से हटा दिया जाता है और 1-2 दिनों के लिए छाया में सुखाया जाता है जब तक कि बुवाई से पहले अंकुरण दिखाई न दे।

मिट्टी जनित रोगजनकों जैसे दीमक या अन्य कीड़ों से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड @ 3 मिली / किग्रा बीज के साथ बीज उपचार या टेबुकोनाज़ोल @ 1 मिली / किग्रा बीज के साथ मिट्टी जनित कवक और दोनों से बचाने के लिए बीज उपचार एवं कीटों के प्रकोप को कम करने मे प्रभावी पाए गए हैं।

धान की फसल के लिए अनुसंशित खाद्य एवं उर्वरक

डायरेक्ट सीडिड राइस की खेती मे उर्वरकों की मात्रा सामान्य धान की जितनी ही प्रयोग की जाती हैl सामान्य धान की तुलना मे 12 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन का अतिरिक्त प्रयोग किया जाना चाहिए l Sugandhit dhaan varieties

पोटैशियम, फोसफोरस एवं जिंक की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की 23 किलोग्राम / हकटेरे बुवाई के समय डाल देनी चाहिए l शेष नाइट्रोजन को तीन भागों मे बांटकर अलग – अलग अंतराल व अवस्था के अनुसार डालना चाहिएl लीफ कलर चार्ट (एलसीसी) का उपयोग करके नाइट्रोजन उर्वरकों का प्रबंधन भी किया जा सकता है। Sugandhit dhaan varieties

धान में खरपतबार प्रबंधन कैसे करें

Sugandhit dhaan varieties खरपतबार के रोकथाम के लिए मैनुअल और यांत्रिक तरीके धान मे ज्यादा श्रम लागत की वजह से उतने कार्यसिद्ध नहीं होतेl ऐसी स्थिति मे शाकनाशी जबरदस्त प्रभावी रहे हैl बड़े पैमाने पर चावल की खेती में, शाकनाशी आधारित खरपतवार प्रबंधन सबसे अच्छा विकल्प बन गया हैl

डायरेक्ट सीडिड राइस पर खोज कर रहे शोधकर्ताओ के अनुसार शाकनाशी को एक व्यवहार्य विकल्प माना जा सकता है हाथ से निराई के पूरकl 20, 22.5 और 25 ग्राम / हेक्टेयर पर पेनॉक्ससुलम का प्रयोग घास के घनत्व पर बेहतर नियंत्रण करता है अन्य शाकनाशी जो डीएसआर में प्रभावी पाए जाते हैं वे हैं पाइराज़ोसल्फ्यूरॉन और ऑक्साडिरागिल पूर्व-उद्भव के रूप में और एज़िमसल्फ़्यूरॉन, पेनॉक्ससुलम, साइहालोफ़ॉप-ब्यूटाइल, और एथोक्सिसल्फ़्यूरॉन के बाद के उद्भव के रूप में प्रभावी पाए गए है l Sugandhit dhaan varieties

धान की सिंचाई

Sugandhit dhaan varieties डायरेक्ट सीडिड राइस की खेती का मुख्य फायदा जल का कम से कम प्रयोग होना है। इस पद्धति की खेती मे खेत बिना जल भराव वाला उपयुक्त माना जाता हैl धान की मुख्य अवस्थाए (बुवाई के समय कल्ला आते समय, बूटिंग के समय, फूल लगते समय और दाना बनते समय खेत मे पर्याप्त नमी बनाए रखना चाहिए l रोपाई वाली फसल के मुकाबले सीधी बुवाई वाली खेती मे 45 से 50 प्रतिशत कम पानी लगता है। डायरेक्ट सीडिड वाले खेत मे नमी बनी रहे इसका ध्यान रखना चाहिए l

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