बासमती धान की जल्दी पकने वाली वैरायटियों एवं सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त वैरायटियों Basmati Rice Varieties के बारे में जानिए..
Basmati Rice Varieties | खरीफ फसलों की बुवाई का समय आने वाला है और किसान अपने खेतों को तैयार करने के काम में जुटे हुए हैं। खरीफ सीजन में किसान प्रमुखता से धान की खेती करेंगे। धान में बासमती चावल (basmati rice) की बाजार में काफी मांग रहती है।
जिससे की किसान इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमाते है। अगर आप भी धान की की खेती करते है और खासकर बासमती धान की। तो आइए आज हम आपको बताते है सीधी बुवाई के लिए धान की उन किस्मों Basmati Rice Varieties के बारे में जो जल्दी पकने के साथ बंपर पैदावार देगी। तो आइए जानते है पूरी डिटेल…
कम अवधि में अधिक पैदावार देने वाली बासमती धान की किस्मे
Basmati Rice Varieties | बासमती धान की प्रमुख किस्में जो कम अवधि यानि 120 से 125 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती है वे है पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1692 और पूसा बासमती 1847। 140 दिन के अंदर पक कर तैयार होने वाली किस्मों में पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1718 और पूसा बासमती 1885 शामिल है।
इसके अलावा लंबी अवधि की किस्में हैं जो कि 155 से 160 दिन के अंदर पक कर तैयार होती हैं उसमें पूसा बासमती 1401, पूसा बासमती 1728, पूसा बासमती 1886 शामिल है । पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1885 और पूसा बासमती 1886 पत्ती का झुलसा और झोंका रोग के लिए रोधी किस्में हैं यह सभी किस्में धान की सीधी बिजाई के लिए उपयुक्त पाई गई हैं। : Basmati Rice Varieties
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कैसे करते है धान की सीधी बुआई
Basmati Rice Varieties | धान की सीधी बिजाई के दो प्रमुख तरीके हैं। पहला तरबतर विधि जिसमें कि गेहूं की कटाई के बाद खेत की जुताई कर देते हैं। जुताई करने के बाद उसको लेजर लेवेलेर से लेवलिंग करते हैं। फिर खेत में पानी लगाए। पानी लगाने के बाद जब खेत मैं बत्तर आ जाता है तो उसकी फिर जुताई करे। २-३ बार जुताई करने के बाद लाज़र से फिर लेवेलिंग करे ताकि मिट्टी अच्छी तरह से दब जाए और सॉलिड हो जाए। ऐसा करने से नमी लंबे समय तक बनी रहती है।
इस तरीके से करें धान की बुआई
Basmati Rice Varieties | जीरी ड्रिल और लक्की ड्रिल के वक़्त कतार से कतार की दूरी करीब 8 से 9 इंच के आसपास होती है। और इस विधि में बीज की गहराई हम तकरीबन डेढ़ इंच के आसपास रखते हैं। बिजाई करने के बाद फिर हल्का पाटा चलाते हैं। इस विधि से सात से आठ दिन के अंदर अंकुरण हो जाता है। अजर लक्की ड्रिल से बुआई कर रहे है तोह उसमे व्यवस्था होती है की साथ मैं शाकनाशी पेंडिमेथालिन दवा आप दाल सकते है।
दूसरा तरीका बुवाई के लिए प्रयोग करते हैं उसमें गेहूं की कटाई के बाद खेत की जुताई करके लेजर लेवेलर चलाते हैं। लेजर लेवेलर चलाने के बाद ड्रिल से धान की बिजाई कर देते हैं। फिर पानी लगाते है। पानी लगाने के 4 से 5 दिन के अंदर अंकुरण हो जाता है। इसमें विधि में ध्यान रखना चाहिए कि बीज की गहराई थोड़ी कम रखे करीब आधा पौना इंच के आसपास रखें। : Basmati Rice Varieties
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काम गहराई रखना ज़रूरी है क्योंकि जब पानी लगेगा तो ज्यादा गहराई वाले बीज के अंकुरण में दिक्कत होगी और बीज नीचे दब कर सड़ भी सकता है। तरबतर विधि से बुआई के तुरन्त बाद जब खेत चलने लायक हो जाए तो खरपतवार नाशी पेंडिमेथालिन दवा का उपयोग करे। इसके लिए 1200 से लेकर के 1500 मिलीलीटर दवा आप 200 से 250 लीटर पानी में घोल कर बुआई के तुरन्त बाद छिड़काव करते हैं। : Basmati Rice Varieties
समझिए दोनों विधियों में अंतर
दोनों विधियों में अंतर है। अगर तरबतर विधि से धान की सीधी बिजाई करते हैं तो इसमें खरपतवार का नियंत्रण बहुत अच्छी तरह से हो जाता है क्योंकि पहली बार पानी लगाते ही उसके तुरंत बाद चार से पांच दिन में अंकुरण हो जाता है। जुताई करने के साथ-साथ वो खरपतवार समाप्त हो जाते हैं। अगर धान की पिछले साल की फसल के बीज अगर खेत में अंदर रह जाते है तो व भी पहली बार पानी का छिड़काव के साथ ही बीज जम जाते हैं और जब जुताई करते हैं तो वो सब पौधे मर जाते हैं। : Basmati Rice Varieties
अगर आप इस बात का ध्यान रखें कि पहले जिस किस्म का प्रयोग किया गया था उसी किस्म का प्रयोग करे तो कोई चिंता की बात नहीं है। लेकिन अगर किस्म आप बदल रहे हैं तो इस बात का जरूर ध्यान रखें पेंडिमेथालिन दवा का छिड़काव करे इससे काफी खरपतवार का शुरू की अवस्था में नियंत्रण हो जाता है।
कैसे करे खरपतवार नियंत्रण
Basmati Rice Varieties | दोनों ही तरीकों में धान की बिजाई तरबतर विधि से हो या जीरी ड्रिल और लकी ड्रिल उसमें बुवाई के तुरंत बाद पेंडिमेथालिन नामक दवा प्रयोग करते है। अगर लकी ड्रिल प्रयोग कर रहे हैं तो उसमें व्यवस्था होती है कि तुरंत छिड़काव कर सकते है।
इसके लिए 1200 से लेकर के 1500 मिलीलीटर दवा आप 200 से 250 लीटर पानी में घोल कर बुआई के तुरन्त बाद छिड़काव करते हैं। यह प्री इमरजेंस हरबसाइड का काम करता है खरपतवार मर जाते हैं। इसी तरह से हम अगर पानी का छिड़काव बुवाई के बाद करते हैं तो एक दो दिन बाद खेत में चलने लायक हो जाये तो उस समय खरपतवार नाशक दवा का छिड़काव कर लेना चाहिए। : Basmati Rice Varieties
करीब 20 से 22 दिन बाद पहली बार खेत में पानी छिड़काव करते है। जब खेत चलने लायक हो जाता है तो उसमें नॉमिनी गोल्ड दवा का छिड़काव करते हैं। जिसमें करीब 80-100 मिलीलीटर मात्रा को 200 से 250 लीटर पानी में घोल करके उसका छिड़काव करते हैं। तो इससे जो खरपतवार उगे होते हैं वो नष्ट हो जाते हैं। अगर आप इन बातों का ध्यान रखें तो हम धान की सीधी बिजाई से अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं।
बुआई के लिए कैसे तैयार करें बीज (बीज उपचार)
Basmati Rice Varieties | जीरी बिजाई ड्रिल या लुक्की सीड ड्रिल के अनुसार 8 किलोग्राम धान का बीज प्रति 1 एकड़ खेत में लगता है। बुआई के लिए बीज तैयार करने के लिए 1 किलोग्राम नमक 10 लीटर पानी में घोल लीजिए और इसमें 8 किलोग्राम बीज डाल कर के थोड़ी देर एक डंडे से हिलाते जाईये। हल्के बीज ऊपर तैरने लग जाएँगे। हल्के बीजों को निकाल कर बाहर फेंक दीजिए। डूबे हुए बीज को निकालकर पानी से तीन चार बार अच्छी तरह से धो लीजिए ताकि नमक का प्रभाव समाप्त हो जाए।
इसके बाद बीज उपचार के लिए स्ट्रेप्टोसाइक्लिन की 2 ग्राम मात्रा और बाविस्टीन की 20 ग्राम मात्रा 10 लीटर पानी में घोल कर 8 किलो छठे हुए बीज को इस घोल में डुबो कर 24 घंटे रखिए। 24 घंटे के बाद बीज को बाहर निकालिए और उसको छाय में अच्छी तरह से सुखा लीजिए। अब यह बीज बुआई के लिए तैयार है। : Basmati Rice Varieties
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