एचएयू रीजनल रिसर्च स्टेशन करनाल के प्रधान मृदा वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) डॉ. विजय कुमार अरोड़ा से जानिए गन्ने में सिंचाई (Sugarcane Irrigation) का सही तरीका।
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Sugarcane Irrigation | गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है। भारत में गन्ने की खेती वैदिक काल से की जा रही है। गन्ने की खेती से देश में करीब एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है।
विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती है। इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपने-आप में सुरक्षित व लाभ की खेती मानी जाती है।
गन्ना की खेती करने वाले किसान गेंहू की कटाई के बाद ही खेत तैयार एवं बीज चयन में लग जायेंगे। इसके साथ ही गन्ने की फसल में सिंचाई (Sugarcane Irrigation) का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
गन्ने की खेती में अधिक सिंचाई लगती है। ऐसे में किसान ज्यादा से ज्यादा सिंचाई कर सके उसके लिए एचएयू रीजनल रिसर्च स्टेशन करनाल के प्रधान मृदा वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) डॉ. विजय कुमार अरोड़ा ने बताया की, गन्ने की खेती में किस विधि से पानी बचाया जा सकता है।
इस विधि से करें गन्ने में सिंचाई | Sugarcane Irrigation
गन्ने की फसल में धान की तरह अधिक पानी की जरूरत होती है। आमतौर पर 100 टन प्रति हेक्टेयर उपज के लिए 1000 मिलीमीटर पानी की आवश्यक्ता पड़ती है। यह 1200 मिलीमीटर तक भी हो सकता है। फिलहाल गन्ने की बिजाई का समय 15 मार्च तक ही बचा है।
एचएयू रीजनल रिसर्च स्टेशन करनाल के प्रधान मृदा वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) डॉ. विजय कुमार अरोड़ा ने बताया कि गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए उन्नत सिंचाई विधियां अपनाकर पानी की बचत की जा सकती है। अप्रैल, मई, जून में क्यारी में बोई जाने वाली फसल और खूड़ो में सिंचाई करने से पानी कम लगता है। : Sugarcane Irrigation
इसी प्रकार ट्रेंच में बोए गए गन्ने को साधारण विधि की तुलना में पानी कम लगता है, जबकि चिकनी मिट्टी व दोमट मिट्टी की अपेक्षा रेतीली मिट्टी में पानी की जरूरत अधिक होती है। पहली सिंचाई गन्ने की बुवाई के 5-6 सप्ताह बाद और अगली सिंचाइयां 10 दिन के अंतराल पर मानसून के आने से पहले और मानसून के बाद 25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
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आमतौर पर गन्ने में 8 सेंटीमीटर की 12 बार सिंचाई की जाती है। गेहूं की कटाई के बाद गन्ने की बिजाई के लिए आधा खूड़ विधि उत्तम है, क्योंकि खेत की तैयारी सूखे में करने की वजह से 7 से 10 दिन पहले बिजाई कर सकते हैं। : Sugarcane Irrigation
ज्यादा गर्मी में भी पोरियों के आस-पास नमी बनी रहती है। इसमें जमाव के समय नमी रहने की वजह से दीमक के प्रकोप की संभावना भी कम हो जाती है। हरियाणा में किसान सिंचाई खुले पानी से करते हैं ऐसा करने से जहां पानी ज्यादा व्यर्थ होता है।
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बढ़िया उत्पादन के लिए गन्ने से बुवाई पूर्व यह करें
Sugarcane Irrigation | अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई से पूर्व गन्ने के सेट को कवकनाशी जैसे कार्बेन्डाजिम 0.2 प्रतिशत से 15 मिनट तक उपचारित करने से स्मट रोग को रोका जा सकता है।
दो आंखों वाली या तीन आंखों वाली पोरियों को 6 प्रतिशत पारायुक्त ऐमीसान या 0.25 प्रतिशत मैंकोजेब के 100 लीटर पानी के घोल में 4-5 मिनट तक डुबोकर लगाएं।
गन्ने में 150-180 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर फॉस्फोरस और 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पोटाश प्रयोग करना लाभदायक होता है। लेकिन उर्वरक मैनेजमेंट मिट्टी की जांच के आधार पर ही करना चाहिए।
अप्रैल में भी लगा सकते है गन्ने की ये किस्में | Sugarcane Irrigation
गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर की जाती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं की कटाई के बाद अप्रैल में भी गन्ना लगा सकते हैं। इसके लिए उपयुक्त किस्म सीओएच-35 व सीओएच-37 है।
ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुवाई उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं उत्तराखंड में अप्रैल व मई में की जाती है। अगर आपने पहले से गन्ना लगाया हुआ है तो उसमें आवश्यकतानुसार फसल की मांग के अनुरूप सिंचाई एवं गुड़ाई करते रहें।
गन्ने की खेती के बीज दर एवं खेत तैयार | Sugarcane Irrigation
Sugarcane Irrigation | इस मौसम की गन्ने की फसल के लिए खेत को जुताई करके भलीभांति तैयार कर लें। बुवाई के लिए लगभग 35,000-40,000 गन्ने की तीन आंख वाले टुकड़ों की आवश्यकता होती है। इसके लिए 5-6 टन गन्ने का बीज पर्याप्त होता है।
पंक्ति से पक्ति की दूरी 75-90 सेमी के अंतराल पर 10-15 सेमी गहरा कुंड डेल्टा हल से बनाकर बोया जाता है। गन्ना कटर प्लांटर के द्वारा केवल 5 श्रमिकों की मदद से एक हेक्टेयर की बुवाई कर सकते हैं।
बिना कटर प्लांटर के यह सामान्य तौर पर 30-40 श्रमिकों द्वारा की जाती है। इसके साथ ही गन्ना प्लांटर के द्वारा एक दिन में 2 हेक्टेयर की बुवाई कर सकते हैं। : Sugarcane Irrigation
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