मूंग की बुवाई के लिए 15 मार्च से 20 अप्रैल तक समय उपयुक्त, ये पोषक तत्व मूंग उत्पादकों को बनाए मालदार, देखें डिटेल..

ग्रीष्मकालीन मुंग की खेती (Mung Cultivation) से किस प्रकार बंपर उत्पादन लिया जा सकता है। आइए कृषि वैज्ञानिक से जानते है।

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Mung Cultivation | किसान इस समय गर्मी यानी जायद में बोई जाने वाली मूंग की बुवाई कर सकते हैं। मूंग जैसी दलहनी फसलों की बुवाई से यह फायदा होता है कि यह खेत में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती हैं, जिससे दूसरी फसलों से भी बढ़िया उत्पादन मिलता है।

मूंग की फसल के लिए ज्यादा बारिश नुकसानदायक होती है, ऐसे क्षेत्र जहां पर 60-75 सेमी तक वार्षिक बारिश होती है, मूंग की खेती वहां के लिए उपयुक्त होती है। मूंग की फसल के लिए गर्म जलवायु की जरूरत पड़ती है।

मूंग की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जाती है, लेकिन मध्यम दोमट, मटियार भूमि समुचित जल निकास वाली, जिसका पीएच मान 7-8 हो इसके लिए उत्तम होती है। Mung Cultivation

अगर सही तरीके से मुंग की खेती की में बीज चयन, बीजोपचार और खाद उर्वरक का इस्तेमाल किया जाए तो बढ़िया उत्पादन ले सकते है। आइए आर्टिकल में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक से जानते है मुंग की फसल से किस तरह बंपर पैदावार (Mung Cultivation) के सकते है…

ग्रीष्मकालीन मुंग की फसल में सही उर्वरक का प्रयोग

मूंग का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए मूंग की फसल में सही मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है। Mung Cultivation

डीएपी का उपयोग नाइट्रोजन और फास्फोरस की पूर्ति के लिए किया जाता है, लेकिन इससे अन्य पोषक तत्व उपलब्ध नहीं हो पाते हैं, इसलिए मूंग की फसल में इन तत्वों की पूर्ति होना जरूरी है।

मूंग की फसल में पोषक तत्वों की भूमिका

पांच अमूल्य पोषक तत्वों कैल्शियम, फास्फोरस, सल्फर, ज़िंक और बोरान की मूंग की फसल में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आइये, इसे विस्तार से जानते हैं :-

कैल्शियम – कैल्शियम की ज़रूरत पौधे में कोशिका विभाजन और कोशिका भित्ति की मजबूती के लिए पड़ती है। कैल्शियम, प्रोटीन बनाने के लिए आवश्यक रूप से नाइट्रेट, नाइट्रोजन को परिवर्तित करने में मदद करने के साथ ही विकास को गति और निरंतरता देने के लिए कई एंजाइम प्रणाली को सक्रिय करता है। Mung Cultivation

फास्फोरस- फास्फोरस, जड़ों के विकास, फूलों के निर्माण और बीज उत्पादन के लिए एक अहम पोषक तत्व है, जो फसल को त्वरित और एक समान परिपक्व बनाता है। यह

पौधों की वृद्धि और शाखाओं के लिए तो आवश्यक होता ही है, डीएनए का प्रमुख घटक होने से प्रजनन करने के लिए भी आवश्यक है। वस्तुत: यह एक ऐसा महत्वपूर्ण घटक है, जो ऊर्जा हस्तांतरण, कोशिकाओं में उत्पार्जित ऊर्जा के संरक्षण और उपयोग करने की अनुमति देता है। Mung Cultivation

सल्फर – सल्फर, अमिनो एसिड के गठन और प्रोटीन के उत्पादन में महत्वपूर्ण होता है। यह प्रकाश संश्लेषण और कई एंजाइमों को सक्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दलहनी फसलों में नत्रजन के स्थिरीकरण के लिए सल्फर बहुत जरूरी होता है।

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बोरान – बोरान, कोशिका भित्ति के निर्माण और स्थिरता, जैविक झिल्ली प्रजनन संरचनाओं की संरचनात्मक और कार्यात्मक अखंडता के रखरखाव में मदद करता है। यह दलहनी फसलों में प्रभावी नाइट्रोजन स्थिरीकरण और जड़ों में ग्रंथियों के निर्माण के लिए आवश्यक है और कैल्शियम की उपयोगिता बढ़ाने में भी मदद करता है। यह पौधों के बढ़ते हिस्सों में ऊर्जा के स्थानांतरण, परागण, बीज निर्माण और वजन के साथ ही फसल की गुणवत्त्ता के लिए आवश्यक है।

जिंक- जिंक, पौधों में हार्मोन विनियमन और प्रोटीन संश्लेषण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रतिन की मात्रा बढ़ाने में प्रभावी जिंक दानों के निर्माण और भराव के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। Mung Cultivation

फूल दौरान यह फली में बीजों की संख्या बढ़ाने में भी मदद करता है। पौधे की शुरूआती अवस्था में जड़ों का गठन, अधिक जड़ें, पौधों को अधिक पानी और अधिक पोषक तत्वों को खोजने की क्षमता देता है।

ग्रीष्मकालीन मुंग की खेती से मिलेगा बंपर उत्पादन

ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल में उन्नत किस्म, बीजोपचार व उन्नत तकनीक का उपयोग कर 10-12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन कर सकते हैं। Mung Cultivation

उन्नत किस्में : उन्नत किस्में आईपीएम -205-7 (विराट), आईपीएम-410-3 (शिखा), एमएच-421, पीडीएम-139, आईपीएम-302-2 (कनिका), केएम-2342 ( आजाद मूंग-1) हैं।

बीज दर व उपयुक्त समय

बीज दर :– 25 किग्रा प्रति हैक्टेयर रखें।

उपयुक्त समय :– 15 मार्च से 20 अप्रैल।

बीज उपचार : पीला मोजेक रोग के नियंत्रण के लिए बुवाई पूर्व बीजोपचार थायोमिथाक्जाम 30 एफएस मात्रा 10 मिली प्रति किलो बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस मात्रा 1.25 मिली प्रति किलो बीज के हिसाब से करें। रोग का प्रकोप दिखते ही ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट करें। Mung Cultivation

मूंग की फसल के आसपास भिंडी, बैंगन व टमाटर की खेती न करें। सिंथेटिक पाइराथ्राइट्स कीटनाशक का उपयोग न करें। शुरुआती अवस्था में ही थायोमिथाक्जाम 25 डब्ल्यूजी या एसिटामिप्रिड 20 एसपी मात्रा 60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

खाद व उर्वरक …

मूंग उत्पादन के लिए प्रति हैक्टेयर 20 किग्रा नत्रजन, 50 किग्रा फॉस्फोरस, 20 किग्रा पोटाश की आवश्यकता रहती है। इसमें डीएपी 108 किग्रा, एमओपी 33 किग्रा या एनपीके 12:32:16-156 किग्रा या एनपीके 20:20:0:13-250 किग्रा व एमओपी-34 किग्रा प्रति हैक्टेयर का उपयोग करें। Mung Cultivation

कीट नियंत्रण…

रसचूसक कीट नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल एससी मात्रा 150 मिली प्रति हैक्टेयर या फिप्रोनिल 40% डब्ल्यूजी + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी मात्रा 150 ग्राम प्रति हैक्टेयर या एसीटामिप्रिड 20 एसपी 125 ग्राम प्रति हैक्टेयर। Mung Cultivation

इल्ली नियंत्रण के लिए नोवाल्यूरॉन 5.25% एससी + इन्डोक्साकार्ब 5.50% एससी मात्रा 850 मिली प्रति हैक्टेयर या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% + लूफीन्यूरॉन 40% मात्रा 75 ग्राम प्रति हैक्टेयर या क्लोरेंट्रानीलीप्रोल 9.5% + लेम्डासाएलोथ्रिन 4.65% मात्रा 200 मिली प्रति हैक्टेयर या बोफलानिलिडे 300% एससी मात्रा 42-62 ग्राम प्रति हैक्टेयर।

सब्जी फसलों में…

टमाटर, मिर्च में रसचूसक कीट माहो, मच्छर एवं लीफ कर्ल रोग के नियंत्रण के लिए थायोमिथाक्जाम 25 डब्ल्यूजी या एसिटामिप्रिड 20 एसपी की मात्रा 50 ग्राम प्रति एकड़ या फिप्रोनिल 5% मात्रा 100 मिली प्रति एकड़ एवं घुलनशील सल्फर 80% मात्रा 300 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। Mung Cultivation

टमाटर में फलछेदक कीट नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी या स्पाइनोसेड 45% एस. सी. 1 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से उपयोग करें।

टमाटर में झुलसा रोग नियंत्रण के लिए मैंकोजेब 75% डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

लहसुन एवं प्याज में थ्रिप्स कीट नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें। बैंगनी धब्बा रोग नियंत्रण के लिए कॉपरऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें। मिर्च में फल सलाह

बिगलन रोग नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब 75% डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें। मिर्च में डैम्पिंग रोग नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी 02 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कें। Mung Cultivation

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