कई वर्षों के बाद लहसुन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के हित में दिया बड़ा फैसला, मिलेगा फायदा, देखें डिटेल..

लहसुन की नीलामी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय (Supreme Court Decision) ने किसानों को बड़ी राहत दी है आईए जानते हैं डिटेल..

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Supreme Court Decision | मध्य प्रदेश के रतलाम नीमच मंदसौर इंदौर उज्जैन शाजापुर सहित कुछ अन्य जिलों में लहसुन की खेती अधिक होती है। पिछले कुछ वर्षों से लहसुन उत्पादक किसान लहसुन के भाव को लेकर पर आज परेशान थे।

इसी बीच राज्य सरकार के एक आदेश की वजह से किसानों को बड़ी परेशानी हो रही थी। इस आदेश के खिलाफ किसानों ने पहले हाई कोर्ट एवं उसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के हित में फैसला दिया है।

लहसुन की बिक्री में अब किसानों की मर्जी चलेगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पश्चात लहसुन की मंडियों में खुली नीलामी पर लगी सरकारी रोक हट गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्णय Supreme Court Decision दिया है इसका किसानों को किस प्रकार फायदा मिलेगा लिए जानते हैं..

सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया निर्णय

Supreme Court Decision | सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की याचिका पर निर्णय दिया है कि मंडी के बने सरकारी नियम-कायदों में लहसुन को सब्जी की श्रेणी में ही रखा जाएगा। किसान की मर्जी है कि वो चाहे तो अपनी उपजाई लहसुन को सरकारी सिस्टम से बेचे या व्यापारियों के पास ले जाकर बेचे।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्णय देते हुए मप्र हाई कोर्ट की डिवीजनल बेंच के उस निर्णय को बरकरार रखा है कि लहसुन जल्द खराब होने वाली कमोडिटी है। ऐसे में इसे सब्जियों की श्रेणी में रखा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट केस निर्णय के पश्चात किसान अपनी सुविधा व दाम के अनुसार इसकी बिक्री करवा सकते हैं। लहसुन की नीलामी में सालभर से किसानों की नहीं सरकारी मर्जी चल रही थी। : Supreme Court Decision

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8 साल से चल रहा था विवाद

Supreme Court Decision | सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि लहसुन सब्जी है मसाला नहीं। बिजलपुर के किसान कैलाश मुकाती के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया है।

इसके साथ ही मप्र में आठ साल से लहसुन की बिक्री पर चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया है। इसी के साथ सरकारी सिस्टम से लहसुन की नीलामी करवाने के बंधन से किसानों को मुक्ति मिल गई है।

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सरकारी निर्णय का लगातार विरोध कर रहे थे किसान

Supreme Court Decision | गौरतलब है कि बीते वर्ष फरवरी से इंदौर मंडी में लहसुन की सीधी नीलामी करने से आढ़तियों और व्यापारियों को रोक दिया गया था। नियम लागू कर दिया था कि अनाज- मसालों की तरह लहसुन की नीलामी सरकारी मंडी में सरकारी कर्मचारी करेंगे।

इसके बाद मंडी में कई बार विरोध प्रदर्शन भी हुआ। किसानों ने मांग की कि उनकी उपज को कहां बेचना है यह उनकी मर्जी पर छोड़ना चाहिए।

कृषि विभाग के आदेश के कारण पैदा हुआ था विवाद

Supreme Court Decision | मध्य प्रदेश में लहसुन पर विवाद करीब आठ वर्षों से चल रहा था। किसानों के संगठन के आवेदन पर मप्र मंडी बोर्ड ने 2015 में लहसुन को सब्जी की श्रेणी में शामिल कर लिया था।

इससे किसानों को यह छूट मिल गई थी कि वे चाहे तो लहसुन को सरकारी बोली प्रक्रिया में बेचें या चाहें तो सब्जियों के साथ आढ़तियों या व्यापारियों के द्वारा नीलाम करवा दें।

लेकिन इसके कुछ समय बाद ही कृषि विभाग ने इस आदेश को रद कर दिया और कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम (1972) का हवाला देकर लहसुन को मसाले की श्रेणी में डाल दिया। 2016 में मंडी व्यापारियों की एसोसिएशन हाई कोर्ट पहुंची। कोर्ट ने 2017 में लहसुन को सब्जी में माना और किसानों की मर्जी से नीलामी की छूट दी। इसी बीच एक व्यापारी मुकेश सोमानी ने पुनर्विचार याचिका दायर की। : Supreme Court Decision

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसानों को यह होगा फायदा

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पश्चात किसानों को लहसुन की बिक्री करने में सुविधा होगी। इस किसान अपनी सुविधा अनुसार लहसुन को बेच सकेंगे। कृषि उपज मंडियों में नीलामी की प्रक्रिया के बावजूद लहसुन को बेचा जा सकेगा। इससे लहसुन के भाव में सुधार होने की संभावना है। : Supreme Court Decision

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