कृषि वैज्ञानिकों ने इस वर्ष धान की टॉप किस्मों को विकसित किया है आईए इन किस्मों Top 3 varieties of paddy के बारे में जानते हैं..
Top 3 varieties of paddy | धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है। धान की खेती खरीफ सीजन में सबसे अधिक की जाती है। भारत में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है। किसानों को धान की ऐसी किस्मों की तलाश रहती है, जो जल्दी तैयार हो जाए और बेहरतर उत्पादन भी मिले। चौपाल समाचार के इस आर्टिकल में किसान साथियों हम आपको धन की नवीन नई रिलीज टॉप वैरायटी के बारे में बताएंगे। धान की अच्छी उन्नत एवं नई रिलीज वैरियटयों Top 3 varieties of paddy की पूरी जानकारी आईए पढ़ते हैं..
मालवीय मनीला सिंचित धान- 1
Top 3 varieties of paddy अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ईरी) फिलीपींस और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संयुक्त प्रयासों से नई किस्म मालवीय मनीला सिंचित धान-1 विकसित किया गया है बनारस हिन्दू को विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रो श्रवण कुमार सिंह और उनकी टीम ने 15 सालों की मेहनत से इस किस्म को विकसित किया है। अभी तक जो भी कम दिनों की किस्में हैं, उनके दाने बहुत मोटे हैं, लेकिन इसके चावल की लंबाई 7.0 मिलीमीटर और मोटाई 2.1 मिमी है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन के हेड डॉ श्रवण कुमार सिंह धान की इस नई किस्म के बारे में बताते है कि बीएचयू और आईआरआरआई फिलीपींस के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस किस्म को विकसित किया है। इस किस्म की खास बात यह कि यह 115 से 118 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, यही नहीं इतने कम दिनों में इसका औसत उत्पादन 55 से 64 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है। Top 3 varieties of paddy
कृषि वैज्ञानिक डॉ श्रवण कुमार सिंह बताते हैं, औसतन जब बासमती जैसी किस्मों की मिलिंग होती है तो उसमें 40, 45. 50न खड़ा दाना भी नहीं मिलता है, लेकिन इस किस्म की जो ऑल इंडिया टेस्टिंग है, उसमें आईसीएआर की एनुअल रिपोर्ट में 63.5न खड़ा दाना मिलता है। नई किस्म का नाम डॉ श्रवण इस किस्म के नाम के बारे में बताते हैं, आईआरआरआई फिलीपींस में है और इसकी राजधानी मनीला है और हम बीएचयू में जो भी किस्में विकसित करते हैं, उनके नाम मालवीय से ही रखते हैं तो हमने सोचा क्यों न इसका नाम मालवीय मनीला सिंचित धान- 1 रखा जाए।
केकेएल (आर) 3 धान
कृषि विशेषज्ञ डॉ. संतोष पांडेय ने बताया कि ” केकेएल (आर) 3″ नाम की नई Top 3 varieties of paddy किस्म विकसित की गई है। इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि के केएल (आर) 3 प्रजाति की खेती खारी और सामान्य दोनों प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। यह जमीन पर तेजी से विकसित होती है। सूखे क्षेत्रों में तो इस प्रजाति की खेती और अधिक लाभदायक हो जाती है। उत्तर भारत और बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए यह प्रजाति बहुत अनुकूल है।
डॉ. पांडेय ने बताया कि इस नई प्रजाति से किसानों को धान की पैदावार में वृद्धि करने में मदद मिलेगी। पहले जो किसान सूखे की वजह से खेती नहीं करते थे। वह अब धान की नई किस्म से लाभ उठा सकेंगे। बुंदेलखंड में यह बीज जल्द ही उपलब्ध होगा। किसान इसकी खेती से आर्थिक लाभ भी कमा सकते हैं। Top 3 varieties of paddy
सबौर मंसूरी धान
कृषि वैज्ञानिकों ने 4 वर्षों के अथक परिश्रम – प्रयासों एवं लंबे ट्रायल के बाद धान की नवीनतम किस्म सबौर मंसूरी धान को विकसित कर लिया है, इस किस्म को जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाई किया जाएगा। इस धान के बीज को बिना रोपनी सीधी लगाई जा सकती है। धान की नई किस्म की खोज बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की है। धान की यह नई किस्म उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पांडिचेरी के लिए अनुसंशित की गई है।
सबौर मंसूरी धान का औसत उत्पादन 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। अधिकतम उत्पादन क्षमता 122 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पाया गया है। धान की इस प्रजाति में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा है। जीवाणु झुलसा, झोंका रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। तना छेदक और भूरा पत्ती लपेटक कीट के प्रति सहनशील है। साथ ही इसका तना भी बहुत मजबूत है, जिससे ये बदलते जलवायु में बार-बार आने वाले आंधी और तूफान में नहीं गिरेगी। Top 3 varieties of paddy
धान की अन्य उन्नत किस्में
बासमती 385 किस्म – इस किस्म का चावल अपने लंबे दाने और सुगंध के लिए जाना जाता है। इस किस्म की खेती सबसे अधिक पंजाब में की जाती है। ये किस्म 130 से 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। साथ ही इस किस्म की उपज क्षमता 30 से 40 प्रति हेक्टेयर है। Top 3 varieties of paddy
बासमती 370 किस्म – बासमती चावल की 370 किस्म की बदौलत आज भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। यानी इस किस्म का सबसे अधिक निर्यात किया जाता है। इस किस्म की खेती सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में की जाती है। यह किस्म 130 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। साथ ही इस किस्म की उपज क्षमता 22 से 25 प्रति हेक्टेयर है। Top 3 varieties of paddy
कस्तूरी किस्म – कस्तूरी चावल की एक छोटे दाने वाली किस्म है, जो अपने मीठे स्वाद और सुगंध के लिए जानी जाती है। पारंपरिक बासमती के रूप में जाना जाने वाला लंबे दाने वाला चावल अपने नाजुक, पौष्टिक स्वाद और सुगंध के लिए बेशकीमती है. इसे पूरे देश में उगाया जाता है। यह किस्म 115 से 125 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खासियत ये है कि ये ब्लाइट रोग के लिए प्रतिरोधी होता है। साथ ही इस किस्म की उपज क्षमता 30 से 40 प्रति हेक्टेयर है। Top 3 varieties of paddy
सुगंधा किस्म – इस किस्म का चावल अपनी सुगंध के लिए जाना जाता है. यह चावल प्रमुख रूप से तीखे खाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसका सबसे अधिक उपयोग मसाला खिचड़ी में किया जाता है। वहीं इस किस्म की खेती सबसे अधिक बिहार में की जाती है. यह किस्म 140 से 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इस किस्म की खासियत ये है कि ये ब्लाइट रोग के लिए प्रतिरोधी होती है। साथ ही इस किस्म की उपज क्षमता 30 से 40 प्रति हेक्टेयर है।
तरोरी बासमती किस्म – यह किस्म अपने मीठे स्वाद और सुगंध के लिए जानी जाती है। इस किस्म के दाने लंबे और पतले होते हैं। वहीं इस किस्म की खेती सबसे अधिक हरियाणा में की जाती है। यह किस्म 135 से 140 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। साथ ही इस किस्म की उपज क्षमता 30 से 40 प्रति हेक्टेयर है। Top 3 varieties of paddy
धान की खेती के लिए खेत तैयार
वर्षा आरम्भ होते ही धान की बुवाई का कार्य आरम्भ कर देना चाहिये। जून मध्य से जुलाई प्रथम सप्ताह तक बोनी का समय सबसे उपयुक्त होती है। लेकिन इसके पहले किसानों को अपना खेत तैयार करना आवश्यक होता है।
खेत तैयार के लिए किसान ग्रीष्मकालीन जुताई करके दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई करें एवं ढेलों को फोड़कर समतल करें एवं खेत में छोटी-छोटी पारे डालकर खेत तैयार करें। साथ ही आपको बता दें की, धान की खेती के लिए सबसे उपयुक्त भूमि का प्रकार मध्यम काली मिट्टी एवं दोमट मिट्टी होना चाहिए। Top 3 varieties of paddy
धान की बीज की मात्रा
बुवाई की पद्धति के अनुसार अलग-अलग रखी जाती है। जैसे छिटकवां विधि से बोने के लिये 40-48 ,कतार मे बीज बोने के लिये 36-40, लेही पध्दति में 28-32 किलो, रोपाई पध्दति में 12-16 किलों तथा बियासी पध्दति में 48-60 किलो प्रति एकड़ उपयोग में लाया जाता है। Top 3 varieties of paddy
धान बुवाई की विधियाँ
कतारो में बोनी : अच्छी तरह से तैयार खेत में निर्धारित बीज की मात्रा नारी हल या दुफन या सीडड्रील द्वारा 20 सें.मी. की दूरी की कतारों में बोनी करना चाहिए।
रोपा विधि से धान की बुवाई : सामान्य तौर पर 2-3 सप्ताह के पौध रोपाई के लिये उपयुक्त होते हैं तथा एक जगह पर 2-3 पौध लगाना पर्याप्त होता है रोपाई में विलम्ब होने पर एक जगह पर 4-5 पौध लगाना उचित होगा। Top 3 varieties of paddy
मई का अंतिम सप्ताह धान की नर्सरी लगाएं
Top 3 varieties of paddy देश में मुख्य तौर पर तीन राज्यों में चावल का उत्पादन होता है, जिसमें पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब है। पश्चिम बंगाल सबसे अधिक चावल का उत्पादन करता है, जिसका कुल योगदान 13.62 फीसदी है ये तीन राज्य भारत में 36 फीसदी चावल उत्पादन के लिए जाने जाते हैं। इनके अलावा तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ में चावल की खेती होती है चावल एक रोपाई वाली फसल है, जिसकी खेती के लिए 100 मिलीमीटर से अधिक वर्षा और 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान चाहिए होता है।
धान की खेती करने वाले ज्यादातर किसान इस उम्मीद में खेती करते हैं कि उन्हें अन्य फसलों के मुकाबले इससे बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिलेगा। वहीं मई का अंतिम सप्ताह आते-आते कई राज्यों के किसान धान की बिजाई यानी नर्सरी लगना भी शुरू कर देते हैं। किसान ये भी चाहते हैं कि वे ऐसी किस्मों की खेती करें जिससे उनकी फसल जल्दी तैयार हो जाए और बढ़िया उत्पादन भी मिले। किसने की इसी समस्या का समाधान इस आर्टिकल में दिया गया है। Top 3 varieties of paddy
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इस वैरायटी को हम अपने तहसील और ब्लॉक स्तर पर लगाना चाहते हैं तथा इसमें यदि हमें जोप मिल जाए तो और अच्छा रहेगा मेरी पूरी कोशिश रहेगी इस वैरायटी के धान को अपने पूरे तहसील अस्तर एवं ब्लॉक स्तर पर लगवाने की जिम्मेदारी मेरी होगी
1718 किस कंपनी का सबसे उत्तम रहेगा।
बीज कंपनी का चयन आप खुद कर लें वैरायटी अच्छी है
Ak no ke leye kon aach dhan hai aur no-2ke leye kon aacha dhan hai aur no -3ke leye
बीज मप्र नरसिहपुर मे कहा पर मिलेगा
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