गन्ने की खेती से बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा अनुशंशित की गई सात किस्मों (Top Sugarcane Variety) की जानकारी देखें…
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Top Sugarcane Variety | कई कारणों से किसानों के बीच गन्ने की खेती का रुझान बढ़ रहा है। गन्ना किसानों को भुगतान में नियमितता, गन्ने की कीमत में वृद्धि और इथेनॉल बनाने में गन्ने का इस्तेमाल जैसे कई कारण है जो गन्ने की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
गन्ना एक ऐसी फसल है जो तेज बारिश, सूखा सहित सभी प्रकार की मौसमी परिस्थितियों में भी बेहतर पैदावार देती है। इस समय बसंतकालीन गन्ने की बुवाई का काम शुरू हो गया है। देश में हर साल फरवरी से लेकर मार्च के अंतिम सप्ताह से गन्ना उत्पादक राज्यों के किसान गन्ने की बिजाई करते हैं।
वहीं, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने गन्ना किसानों के लिए 7 किस्मों (Top Sugarcane Variety) को अनुशंसित किया है जो किसानों को ज्यादा पैदावार देने में सक्षम है। यदि इन किस्मों के गन्ने की खेती की जाए तो निश्चित ही संबंधित उत्पादकों को और अधिक फायदा हो सकता है।
संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों के साथ ही यूपी के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने किसानों से 15 फरवरी से गन्ने की बुवाई करने की सलाह दी थी।
बसन्तकालीन गन्ने से अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानों को गन्ने की उन्नत किस्मों (Top Sugarcane Variety) का चुनाव करना चाहिए। आइए जानते है 7 अनुशंसित किस्मों के बारे में…
1. गन्ने की कोलक 9709 किस्म | Top Sugarcane Variety
कोलक 9709 किस्म का गन्ना अच्छे चीनी उत्पादन के लिए जाना जाता है। इस किस्म मेमन औसत सुक्रोज 18.04 प्रतिशत होता है।
यह किस्म किसानों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 80.0 टन का उत्पादन दे सकती है। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ काफी हद तक प्रतिरोधी है।
2. गन्ने की कोलक 94184 किस्म
Top Sugarcane Variety | गन्ने की कोलक 94184 किस्म की खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के किसान कर सकते हैं। इस किस्म की औसत गन्ना उपज लगभग 75.97 टन प्रति हेक्टेयर है।
इस किस्म में सुक्रोज प्रतिशत 17.97% है। यह किस्म जल-जमाव वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है। इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटा और हलके पीले-हरे रंग का होता है।
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3. गन्ने की कोलक 12209 किस्म
गन्ने की कोलक 12209 किस्म मध्यकाल में पकने वाली किस्मों में गिनी जाती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के किसान इस किस्म की बुवाई कर सकते हैं। : Top Sugarcane Variety
यह किस्म किसानों को औसतन 77.52 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे सकती है। इस किस्म में औसत सुक्रोज 17.66 प्रतिशत है। बता दें कि जितनी अधिक गन्ने में सुक्रोज प्रतिशत होता है उतना अधिक चीनी उत्पादन होता है।
यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ काफी हद तक प्रतिरोधी है। इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटा होता है। वहीं, रंग हरा-सफेद होता है।
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4. गन्ने की कोलक 11203 किस्म
Top Sugarcane Variety | गन्ने की कोलक 11203 किस्म जल्दी पककर तैयार होने वाली किस्मों में गिनी जाती है। इस किस्म की खेती मध्य-पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
इस किम्स की 10 महीने की फसल में औसत सुक्रोज प्रतिशत 18.41% पाया गया है। इस किस्म की बुवाई से किसानों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से औसतन 82 टन का उत्पादन मिल सकता है। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
5. गन्ने की कोलक 12207 किस्म
Top Sugarcane Variety | गन्ने की कोलक 12207 किस्म जल्दी पकने वाली किस्मों में गिनी जाती है। उत्तर-मध्य और उत्तर-पूर्व क्षेत्र, विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल इस किस्म के लिए उपयुक्त हैं।
यह किस्म किसानों को औसत रूप से 75.42 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे सकती है। यह किस्म लाल सड़न रोग के लिए काफी हद तक प्रतिरोधी है। इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटा और हल्के पीले-हरे रंग का होता है।
6. गन्ने की कोलक 09204 किस्म
Top Sugarcane Variety | गन्ने की कोलक 09204 किस्म में औसत सुक्रोज 17 प्रतिशत है। इस किस्म की खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान कर सकते हैं।
उत्पादन के मामले में यह किस्म किसान को 82.8 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे सकती है। लाल सड़न रोग के खिलाफ प्रतिरोध इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटा और हरे रंग का होता है।
7. गन्ने की कोलक 11206 किस्म
Top Sugarcane Variety | गन्ने की कोलक 11206 किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान कर सकते हैं।
यह किस्म किसानों को औसतन 91.5 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे सकती है। इस किस्म में औसत सुक्रोज 17.65 प्रतिशत है। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ काफी हद तक प्रतिरोधी है।
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