यदि आप गेंहू बुवाई में लेट हो गए है तो, यह बेस्ट 2 वैरायटी (Wheat variety) आपके काम आयेगी, जानें इनके बारे में डिटेल जानकारी..
Wheat variety | रबी फसलों की बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन अभी भी कुछ किसान भाइयों ने गेंहू बुवाई नही की है। ऐसे में अब चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हम आपके लिए यहां चौपाल समाचार के इस आर्टिकल में 2 ऐसी बेस्ट गेंहू की वैरायटी के बारे में जानकारी लेकर आए है। जो मात्र 105 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जायेगी। इसी के साथ यह किस्म ज्यादा तापमान में भी समय पूर्व नही पकेगी। इन किस्मों की संपूर्ण जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें। तो आइए जानते है..
रबी सीजन में अब तक गेहूं की बुवाई 5 प्रतिशत कम
चालू रबी सीजन Wheat variety में अब तक गेहूं की बुआई 5% घटकर 86 लाख हेक्टेयर रह गया है। शुक्रवार को जारी कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की समान अवधि में गेहूं का रकबा 91 लाख हेक्टेयर से कुछ ज्यादा था। मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि अब तक उत्तर प्रदेश में 3.87 लाख हेक्टेयर, पंजाब में 2.28 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 2.14 लाख हेक्टेयर और गुजरात में 0.71 लाख हेक्टेयर में गेहूं की कम बुवाई हुई है। लेकिन मध्य प्रदेश में 3.44 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 0.68 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल ज्यादा बोई गई है। अब बुआई का सीजन खत्म हो रहा है।
यह है वह 2 नई बेस्ट किस्में (Wheat variety)
- गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या)
- गेहूँ – एच.आई. 1636 (पूसा बकुला)
इनकी जानकारी विस्तारपूर्वक नीचे दी गई है..
1. गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या)
गेहूँ की यह किस्म Wheat variety गेहूँ अनुसंधान केन्द्र, इंदौर (IARI) से वर्ष 2021 में जारी की गई है। इसका गजट नोटिफिकेशन क्र. एस. ओ. 500 (E) दिनांक 29.1.2021 है। गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ आदर्श किस्म के रूप में म.प्र., राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झाँसी क्षेत्र देश के मध्यक्षेत्र में बोनी हेतु अनुंशसित की गई है। इस किस्म ने अपनी चेक किस्मों के विरूद्ध 17 से 30 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन दिया है।
गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) किस्म की खासियत
गेहूँ – एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) किस्म Wheat variety में अधिक तापमान की स्थितियों में भी अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के गुण के कारण लगभग 30 क्विंटल एकड़ या 70.60 क्विंटल हेक्टेयर तथा व्यवहारिक परिस्थितियों में किसानों द्वारा इससे भी अधिक उत्पादन का रिकार्ड बनाकर किसानों की आय बढ़ाने हेतु एक नया मार्ग व आत्मविश्वास प्रदान किया है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उच्च तापमान होने पर भी यह किस्म जल्दी नहीं पकती है, जिससे इसका उत्पादन कम नहीं होता है।
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फरवरी / मार्च में तापमान बढ़ने पर अन्य पुरानी किस्मों में जो 20 प्रतिशत तक की क्षति उत्पादन में होती है। वह इस किस्म की बढ़े तापमान को सहन करने की क्षमता के कारण इसमें नहीं होती है। यह आकड़े गहन रिसर्च एवं अनुसंधान के पश्चात् जो कि रिसर्च स्टेशन इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम, पवाँरखेड़ा, सागर व देश के अन्य रिसर्च स्टेशन से प्राप्त आकड़ों व तथ्यों के आधार पर दिये गये है। इन आकड़ों के परिपेक्ष्य में एडवांस जनरेशन की किस्म Wheat variety होने के कारण बढ़े तापमान पर भी अपनी उत्पादन क्षमता बनाये रखते हुए ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से भी किसानों को सुरक्षा प्रदान करेगी।
इसके अतिरिक्त पूसा अहिल्या एक अर्ली किस्म अवधि 105 से 110 दिवस होने से इस किस्म को देरी बोनी हेतु दिसम्बर के अंत तक बोने के लिये भी एक सर्वश्रेष्ठ किस्म Wheat variety के रूप में अनुशंसित किया गया है। जिसके कारण आलू-मटर व अन्य अगाती फसल लेने वाले किसानों के लिये यह किस्म वरदान सिद्ध होगी तथा तृतीय फसल चक्र के रूप में किसानों को अतिरिक्त आय भी प्रदान करेगी।
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पूसा अहिल्या किस्म Wheat variety एक अर्ली किस्म होने से अवधि 105 से 110 दिवस व तापमान की सहनशीलता के गुण के कारण दो सिचाई में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता जिससे बिजली पानी की बचत तीन से चार सिंचाई देने पर उत्पादन में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी। इस किस्म की ऊँचाई कम 80 से 85 से.मी. होने व कुचे (टिलरिंग) काफी होने से आड़ा पड़ने की (लॉजिंग) की समस्या नहीं।
तकनीकी एनेलेसिस एवं लेब से प्राप्त आकड़ों के अनुसार पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु देश की सर्वश्रेष्ठ किस्म बन सकती है। क्योंकि इसमें चपाती हेतु तय क्वालिटी मानक में (7.86) बिस्कीट हेतु (6.73) स्कोर व गलु स्कोर (8 / 10) सेडिमेटेशन वेल्यू ( 44.8 एम. एल.) टेस्ट वेट (81.8 कि.ग्रा. / HL) हाईग्रीन हार्डनेस (81.4 कि.ग्रा. / HL) उच्चस्तर पर है।
इसके साथ इस किस्म Wheat variety में प्रोटीन उच्चस्तर पर (12.1% ) आयरन ( 39.6 पी.पी.एम.) जिंक ( 36.6 पी.पी.एम.) अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च स्तर पर होने से इस किस्म में स्वाद के साथ पोषक तत्वों का अनुठा एवं दुर्लभ संयोजन एक साथ होने से चपाती एवं बिस्कीट हेतु यह एकमात्र आदर्श किस्म है। जो कि भविष्य में कृषकों एवं चपाती / बिस्कीट उपभोक्ताओं की पहली पंसद बन जावेगी। इस किस्म के दाने आकर्षक, चमकदार होने से किसानों को आकर्षक बाजार भाव इसके 1000 दानों का वजन लगभग 40 ग्राम।
इस किस्म में कर्नाल बंट, लुज स्मट, स्टेम रस्ट, लीफ ब्लाईट, फ्यूजेरियम हेड ब्लाईट, रूट राट, फ्लेग स्मट आदि बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता होने से सुरक्षित उत्पादन की गारंटी। इस किस्म की बीज दर प्रति एकड 40 / 45 किलो प्रति हेक्टेयर लगभग 100 किलो व लाईन से लाईन की दूरी 9″ से 10 इंच रखने आदर्श कार्यमाला अनुसार अनुशंसित फर्टीलाईजर एवं सिंचाई प्रबंधन करने पर आदर्श परिणाम। गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म Wheat variety अपनी उच्च उत्पादकता एवं अपनी सर्वगुण सम्पन्नता वाले उपरोक्त वर्णित गुणों के कारण अतिशीघ्र परम्परागत पुरानी किस्मों को पीछे छोड़कर एक अग्रणी किस्म के रूप में कृषि क्षेत्र एवं किसानों में लोकप्रियता के नए आयाम बनाकर अपना एक नाम व उच्च स्थान बनाने में सफल होगी।
2. गेहूँ- एच.आई. 1636 (पूसा बकुला)
Wheat variety : क्षेत्रीय गेहूँ अनुसंधान केन्द्र (IARI) इंदौर से हाल ही में जारी गेहूँ की यह नये किस्म पूसा बकुला को समय पर बोनी के लिये देश के मध्य क्षेत्र म.प्र., गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं बुंदे अनुशंसित किया गया है। 5/8 दन यह किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ किस्म के रूप में अपने मोटे एवं बोल्ड, आकर्षक दाने तथा क्षमता के गुण के कारण अतिशीघ्र किसानों में लोकप्रिय किस्म के रूप में अपना स्थान बना लेगी।
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इस किस्म का गजट नोटिफिकेशन क्र. एस. ओ. 8 (E) दिनांक 24-12-2021 है। इस किस्म की ऊँचाई लगभग 100 से.मी. एवं 1000 दानों का वजन 55 ग्राम व अधिकतम उत्पादन क्षमता 78.80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व व्यवहारिक परिस्थितियों में इस किस्म Wheat variety का बम्पर उत्पादन किसानों द्वारा 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक लिया गया है। इस किस्म की अवधि लगभग 122 दिवस है। गेहूँ की बकुला किस्म चपाती एवं बिस्कीट के लिये श्रेष्ठ मानी गई है। इसमें चपाती हेतु (8.24) बिस्कीट हेतु ( 6.50) स्कोर इसका ग्लू स्कोर (6/10 ) टेस्ट वेट ( 80.6 कि.ग्रा. / HL) हाई सेडिमेटेशन वल्यू (42.6 एम.एल.) है जो कि उच्च स्तर पर मानी जाती है।
इसके साथ इस किस्म Wheat variety में भरपूर न्यूट्रेशन वेल्यू भी पाई गई है जिसके कारण इस किस्म में प्रोटीन लगभग (12%), जिंक उच्च मात्रा में ( 44.4 पी.पी.एम.) तथा लोह की मात्रा तथा अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होने के कारण इसकी चपाती, बिस्कीट एवं इससे बनाए जाने वाले पदार्थों में स्वाद के साथ पोषक तत्वों का आदर्श संगम देखा गया है जो कि देश में कुपोषण की समस्या से लड़ने के लिये एक बेहतर किस्म के रूप में अपना योगदान देगी।
गेहूँ- एच.आई. 1636 (पूसा बकुला) की खासियत
गेहूँ की इस किस्म Wheat variety में कीटों का विशेष प्रभाव नहीं देखा गया है। कर्नाल बंट / फ्लेग स्मट, स्टेम एवं लीफ रस्ट आदि वायरस एवं अन्य रोगों के प्रति प्रतिरोधकता का गुण भी इस किस्म में देखा गया है जो काफी हद तक सुरक्षित उत्पादन की गारंटी देता है। गेहूँ की इस किस्म की बीज दर 55 किलो प्रति एकड़ या 135 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर रखने पर कतार से कतार की दूरी 9″ से 10″ इंच रखने नवंबर से 15 दिसम्बर तक 4 से 5 सिंचाई देने एवं आदर्श कार्यमाला का पालन करने पर आदर्श परिणाम।
गेहूँ की पूसा बकुला (एच.आई. 1636 ) किस्म Wheat variety उच्चतम उत्पादन क्षमता, मोटा, बड़ा दाना, रोटी खाने में अत्यंत स्वादिष्ट भरपूर पोषक तत्व, कीट एवं बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता एडवांस जनरेशन की बॉयो फोर्टीफाईड किस्म, उच्च तापमान पर भी अधिकतम उत्पादन देने की अनुठी क्षमता, ऐसे अनेक गुणों के कारण इस किस्म को आल इन वन किस्म की संज्ञा भी दी जा सकती है। जो कि बहुत जल्दी किसानों के दिलों एवं खेतों पर आच्छादित हो जावेगी।
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