मध्यप्रदेश / मध्य भारत के लिए गेंहू की 3 नई किस्मों (Wheat Variety) की पहचान की गई। आइए जानते है इन तीनों किस्मों की जानकारी।
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Wheat Variety | किसानों की उपज में वृद्धि करने एवं उनकी आय में बढ़ोतरी करने के लिए हर साल कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा नई नई बेहतरीन किस्में रिलीज की जाती है।
हाल ही में सरदारकृषिनगर दांतीवाड़ादास कृषि विश्वविद्यालय ने गेंहू की जीडब्ल्यू 543 और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर (मध्यप्रदेश) ने गेंहू की एचआई 1669 पूसा क्रांति और एचआई 1674 पूसा अतुल्य किस्म को रिलीज किया है।
यह तीनों ही किस्में (Wheat Variety) मध्य भारत (मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, कोटा, उदयपुर डिवीजन और पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं झाँसी डिवीजन) के लिए चिन्हित की गई है। जो अनुकूल परिस्थितियों में 60+ क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज निकाल सकती है।
ये किस्में खाने योग्य है और अच्छा उत्पादन देती है। आइए चौपाल समाचार के इस आर्टिकल में जानते है गेंहू की जीडब्ल्यू 543, एचआई 1669 पूसा क्रांति और एचआई 1674 पूसा अतुल्य किस्म की खासियत एवं पैदावार सहित अन्य जानकारी के बारे में…
1. गेंहू की GW 543 किस्म (GW 543 Wheat Variety)
गेंहू की जीडब्ल्यू 543 किस्म (Wheat Variety) को आईसीएआर (ICAR) – गेहूं और जौ पर AICRP, सरदारकृषिनगर दांतीवाड़ादास कृषि विश्वविद्यालय, गेहूं अनुसंधान केंद्र, विजापुर, जिला मेहसाणा (गुजरात) द्वारा विकसित किया गया है।
इस किस्म को खासतौर पर मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन), छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के झाँसी संभाग के लिए अनुशंसित किया है।
GW 543 किस्म की पैदावार एवं अन्य खासियतें
गेहूँ की एक नवीनतम् किस्म GW 543 (Wheat Variety) मध्य क्षेत्र के लिए विकसित की गई है यह किम अधिक इनपुट में अधिक उत्पादन देने की क्षमता वाली है इसका दाना बोल्ड एवं चमकदार है। यह किस्म खाने में भी बेहतरीन है। इसमें जिंक और आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाती है।
मिली जानकारी के मुताबिक, इस किस्म की पकने की अवधि मध्यम है, 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। साथ ही सिंचित क्षेत्र के लिए औसतन 50–60 और अधिकतम 60+ क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन ले सकते है।
वैज्ञानिकों द्वारा इस किस्म (Wheat Variety) में पीली रतुआ (yellow rust), भूरे रतुआ (brown rust) और पत्तियों की झुलसन जैसी बीमारियों के प्रति मध्यम प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है। यह किस्म खासकर रोटी, बिस्कुट और अन्य आटा आधारित उत्पादों के लिए उपयुक्त है। जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
2. गेंहू की एचआई 1669 पूसा क्रांति किस्म (HI 1669 Pusa Kranti Wheat Variety)
गेंहू की एचआई 1669 पूसा क्रांति किस्म (Wheat Variety) को आईसीएआर (ICAR) – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर (मध्यप्रदेश) द्वारा मध्यप्रदेश के किसानों के लिए विकसित किया गया है।
अनुसंधान संस्थान ने इस किस्म को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, कोटा, उदयपुर डिवीजन और पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं झाँसी डिवीजन के लिए अनुशंसित किया है। इन क्षेत्रों में इस किस्म से अच्छा उत्पादन निकाला जा सकता है।
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गेंहू एचआई 1669 पूसा क्रांति किस्म की पैदावार एवं अन्य खासियतें
गेंहू एचआई 1669 पूसा क्रांति किस्म (Wheat Variety) को रोटी, ब्रेड, बिस्कुट आदि के लिए बेहतर माना गया है। इसकी मुख्य वजह दानों में अच्छा प्रोटीन और ग्लूटेन स्तर का होना। इस किस्म के एम्बर रंग के मोटे और चमकदार दाने होते है। दाने का वजन अच्छा होता है, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
इस किस्म की खास बात ये है की, इसमें झड़ने की संभावना कम देखी गई है। फसल सीधी और मजबूत डंठल वाली होती है। सूखे और गर्म मौसम को भी सह लेती है और अच्छा उत्पादन देती है। इस किस्म में पीली और भूरे रतुआ, कंडुआ, झुलसन और पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता देखी गई है।
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वही बात करें इस किस्म (Wheat Variety) की अवधि और उपज के बारे में तो, गेंहू एचआई 1669 पूसा क्रांति किस्म के पकने की अवधि 115–120 दिन और सिंचित क्षेत्रों में 50–55 क्विंटल/हेक्टेयर पैदावार, अनुकूल परिस्थितियों में यह 60 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज दे सकती है। इस किस्म को 25 अक्टूबर से 15 नवम्बर के बीच बो सकते है।
3. गेंहू की एचआई 1674 पूसा अतुल्य किस्म (HI 1674 Pusa Atulya Wheat Variety)
गेंहू की 1674 पूसा अतुल्य किस्म (Wheat Variety) को भी आईसीएआर (ICAR) – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर (मध्यप्रदेश) द्वारा मध्यप्रदेश के किसानों के लिए विकसित किया गया है।
कृषि संस्थान ने 1674 गेंहू किस्म को सीजेड तकनीक के लिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, कोटा, उदयपुर डिवीजन, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और झांसी डिवीजन के लिए और पीजेड तकनीक के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के मैदान के लिए चिन्हित किया है।
गेंहू एचआई 1674 पूसा अतुल्य किस्म की पैदावार एवं अन्य खासियतें
गेंहू की एचआई 1674 पूसा अतुल्य किस्म (Wheat Variety) खासतौर पर मध्य भारत के लिए विकसित की गई है और अपने उच्च उत्पादन और बीमारी प्रतिरोधक गुणों के लिए जानी जाती है। इस किस्म की खासियतें काफी हद तक 1669 किस्म के समान ही है।
इस किस्म की फसल का पौधा मजबूत और गिरने की संभावना कम रहती है। ये सूखा और गर्मी सहनशील है। खाने योग्य एवं अच्छी मांग के चलते बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। इस किस्म की औसतन उपज 45 से 50 क्विंटल/हेक्टेयर और अधिकतम 55–60 क्विंटल/हेक्टेयर उपज है।
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