20 अप्रैल तक बोई जाने वाली मुंग की टॉप 5 किस्में, 60 से 65 दिनों में देगी बंपर पैदावार…

अधिक उत्पादन देने वाली मूंग की लेट बोई जाने वाली वैरायटियों (High Yield Moong Variety) की पूरी जानकारी देखें..

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High Yield Moong Variety | मूंग प्रमुखतः खरीफ ऋतु में एकफसली अथवा सहफसली खेती के रूप में उगाई जाती है। लेकिन अब देश के कई भागों में बसंत / ग्रीष्म ऋतु में भी काफी बड़े क्षेत्र में मूँग की खेती की जाती है, क्योंकि सिंचाई की सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है, जिससे अच्छी फसल द्वारा लाभकारी मूल्य प्राप्त होता है।

वर्तमान में कम अवधि की अच्छी किस्मों के बीजों की उपलब्धता भी बढ़ी है। पहले धान के परती क्षेत्रों के किसानों की पहली पसन्द उर्द होती थी, किन्तु हाल के वर्षों में यह जगह धान के परती क्षेत्रों में मूँग ने ले ली है।

कम अवधि (60-65 दिन) की नई किस्म High Yield Moong Variety के बीजों के विकास, अधिक पैदावार (1.0-1.5 टन/ हेक्टेयर) प्रकाश / ऊष्मा के प्रति असंवेदनशीलता, कम अवधि की परिपक्वता और पीला चितेरी रोग के प्रति प्रतिरोधिता आदि कुछ ऐसे कारक हैं जिनकी वजह से विगत दो दशकों में ग्रीष्म ऋतु में मूँग की खेती में काफी बढ़ोतरी हुई है।

मूँग की खेती की सफलता की वजह से न केवल मूँग का उत्पादन बढ़ा है बल्कि कुपोषण को हराने में, फसल विविधीकरण में, कृषि उत्पादन को बनाये रखने में और भारत के गरीब किसानों की आय बढ़ाने में काफी मदद मिली है।

मध्य प्रदेश शहीद देश के कई राज्यों में मूँग की बुवाई का क्रम अभी तक चल रहा है। कृषि विशेषज्ञ 15 से 20 अप्रैल तक मूंग की बुवाई High Yield Moong Variety करने का सुझाव दे रहे हैं। 20 अप्रैल तक मूंग की यह टॉप 5 वैरायटी अधिक उत्पादन देने में सक्षम है, आईए देखते हैं इनकी जानकारी..

इन क्षेत्रों में अब बुवाई नहीं करना चाहिए

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बसन्तकालीन मूँग की बुआई High Yield Moong Variety के लिए मार्च का पहला पखवाड़ा और ग्रीष्म ऋतु में बुवाई के लिए अप्रेल का प्रथम सप्ताह ठीक रहता है। किसानों को हरियाणा, पश्चिमी, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 10 अप्रेल के बाद बुआई से बचना चाहिए, क्योंकि उच्च तापमान और गर्म हवाएं मूँग में फूलने की अवस्था पर विपरीत प्रभाव डालती हैं

और अन्ततः पैदावार कम होती है।

इसी प्रकार देर से बोयी गयी फसल के परिपक्व होने के साथ ही समय से पूर्व आयी मानसूनी वर्षा पत्तों से संबधित अनेक बीमारियों का कारण बनती है।

किसानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्रचलित ग्रीष्म कालीन मूंग की गेहूँ और सरसों के साथ की गयी बुआई High Yield Moong Variety काफी सफल रही, जबकि देर से की गयी मूँग की बुआई (15 अप्रेल के बाद) के समय तापमान काफी ऊँचा रहता है और ग्रीष्म ऋतु की ऊष्मा और शुष्कता फूलों और फलियों को विपरीत रूप से प्रभावित करती है।

20 अप्रैल तक बुवाई के लिए टॉप मूंग की किस्में

किसान यदि 15 से 20 अप्रैल तक मूंग की बुवाई High Yield Moong Variety करते हैं तो उन्हें कम अवधि में रखने वाली किस्मों का चयन करना होगा। ग्रीष्मकालीन मौसम में देर से बोई जाने वाली मूंग की खेती के लिए कुछ विशेष किस्में बेहतर मानी जाती हैं, जो कम अवधि में पक कर तैयार हो जाती हैं और गर्मी को सहन कर सकती हैं। मूंग की टॉप 5 किस्में यह है :–

1.PDM 139 (Samrat) :– मूंग की यह नवीनतम किस्म 60–65 दिनों में तैयार होती है। यह किस्म झुलसा और पत्तियों की बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। पीडीएम 139 (सम्राट) मूंग, आईसीएआर-आईआईपीआर द्वारा विकसित एक मूंग की किस्म है. यह पीले मोज़ेक रोग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है।

पीडीएम 139 (सम्राट) मूंग की विशेषताएं :– High Yield Moong Variety बीजों का रंग चमकदार हरा होता है। इसकी बुवाई गर्मी और खरीफ़ में की जा सकती है। रोपाई के 55-60 दिनों बाद पहली कटाई की जा सकती है। पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। बुवाई के लिए 8-10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से बोए जाते हैं।

बुवाई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखी जाती है। इसकी खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे अच्छी रहती है। इसकी खेती के लिए तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना चाहिए।

2. IPM 02-3 (Virat) :– मूंग की यह वैरायटी 65 दिन में पककर High Yield Moong Variety तैयार हो जाती है। यह किस मत फिल्म मुझे वायरस जूस रोग के प्रति सहनशील है एवं लेट बुवाई के लिए उपयुक्त मानी गई है।

IPM 02-03 मूंग, ग्रीन वर्ल्ड की एक मूंग की किस्म है। यह एक शोधित बीज है जिसका इस्तेमाल खेती के लिए किया जाता है. वहीं, विराट मूंग, शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स की एक मूंग की किस्म है। यह एक हाइब्रिड किस्म है।

विराट मूंग की विशेषताएं :–  High Yield Moong Variety यह ग्रीष्म और खरीफ़ दोनों मौसम में बोई जा सकती है। यह पीले मोज़ेक वायरस रोग के प्रति सहनशील है। इसके पौधे सीधे और सख़्त होते हैं। इसकी ऊंचाई 50-60 सेंटीमीटर होती है। इसकी फलियां लंबी, मोटी, और चमकीले हरे रंग की होती हैं। इसकी एक फल में 12-14 दाने होते हैं।इसके दाने बड़े और चमकीले हरे रंग के होते हैं। 1000 दानों का वज़न 48 ग्राम होता है।

3. आईपीएम 205-7 (विराट) :– ग्रीष्मकालीन मूंग की इस प्रमुख वैरायटी की पैदावार 10-11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। यह मूंग की एक उच्च उपज देने वाली किस्म है। यह गर्म और ठंडे दोनों मौसमों में बोई जा सकती है।

विराट मूंग की विशेषताएं :– मूंग की इस किस्म High Yield Moong Variety की ऊंचाई 50-60 सेंटीमीटर होती है। इसकी फलियां लंबी होती हैं और एक फलियां में 12-14 दाने होते हैं। इसका पौधा सीधा और सख़्त होता है। इसके दाने बड़े और चमकीले हरे रंग के होते हैं। 1000 दानों का वज़न 48 ग्राम होता है। यह पीले मौजेक वायरस रोग के प्रति सहनशील होती है। एक एकड़ में मूंग की बुवाई के लिए 6 से 7 किलो बीज पर्याप्त रहता है। 1 एकड़ मूंग की फ़सल से किसानों को 8 से 10 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है।

4. GM-4 :– जीएम-4 मूंग की किस्म, जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई है। जा रही है। यह किस्म गर्मी और रोगों के प्रति अच्छी सहनशील है। GM-4 मुंग (मूँग) किस्म एक उन्नत किस्म है। यह मुख्य रूप से अच्छी उपज, रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम समय में पकने की विशेषता के लिए जानी जाती है।

GM-4 मूंग किस्म की मुख्य विशेषताएं :– GM-4 किस्म High Yield Moong Variety लगभग 65 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है। यह जल्दी पकने वाली किस्मों में मानी जाती है। प्रति हेक्टेयर औसतन 10-12 क्विंटल तक उपज मिल सकती है (उचित देखरेख और सिंचाई के साथ)। अच्छे प्रबंधन के साथ इससे अधिक उपज भी ली जा सकती है।

इस वैरायटी के बीज मध्यम आकार के और हरे रंग के होते हैं, जो दाल बनाने पर अच्छी गुणवत्ता के होते है। यह वैरायटी पत्ती झुलसा, यलो मोजेक वायरस (YMV) जैसे रोगों के प्रति मध्यम से अच्छी प्रतिरोधकता होती है। यह किस्म गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बुवाई के लिए उपयुक्त है।

5. SML 668 :– मूंग की यह उन्नत किस्म High Yield Moong Variety है, जो विशेष रूप से गर्मी के मौसम में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसके पकाने की अवधि 60 से 65 दिन की होती है। यह किस्म अपने कम समय में पकने, अच्छी उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। मूंग की यह किस्म हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों के लिए उपयुक्त है।

SML 668 मूंग की प्रमुख विशेषताएं :– मूंग की इस वैरायटी के पौधे बौने आकार के होते हैं। फलियां लंबी होती है, जिनमें प्रत्येक में 10-11 दाने होते हैं। दाने मध्यम आकार के होते हैं। यह वैरायटी पीला चितकबरा रोग और थ्रिप्स जैसे कीटों के प्रति रोग प्रतिरोधी, सहनशील है।

इसकी औसत उपज क्षमता 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ है। मार्च से लेकर 20 अप्रैल तक बुवाई के लिए उपयुक्त मानी जाती है। किसान प्रति एकड़ 12-15 किलोग्राम बीज का उपयोग करे। High Yield Moong Variety,High Yield Moong Variety, High Yield Moong Variety

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