जानें वह कौन सी है Top wheat variety टॉप 2 वैरायटी, जानें पूरी डिटेल आर्टिकल में..
Top wheat variety | गेंहू की बुवाई का कार्य अपने पिक पर है। पूरे देशभर में रबी फसलों की बुवाई का कार्य लगभग 70 प्रतिशत तक कंप्लीट हो चुका है। गेंहू की अच्छी पैदावार के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है अच्छे बीज का चयन करना।
ऐसे में आज हम आपको गेंहू की 2 ऐसी किस्मों के बारे में जानकारी देने जा रहे है, जो ज्यादा गर्मी में भी समय पूर्व नही पकेगी। साथ ही इन 2 किस्मों Top wheat variety में सिर्फ दो सिंचाई से भी अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। यह 2 वैरायटी कौन सी है एवं इनकी पैदावार, खासियत, सिंचाई से संबंधित जानकारी जानने के लिए चौपाल समाचार के इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें..
बदलते मौसम को देखते हुए मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम, इंदौर, जबलपुर और सागर के अनुसंधान केंद्रों द्वारा तीन साल चली रिसर्च के बाद गेहूं की दो किस्में 1634 (पूसा अहिल्या) Pusa ahilya 1634 और 1636 (पूसा बकुला) Pusa bakula 1636 को रिलीज किया गया है। इस किस्म की खास बात यह है की, यह दोनो ही किस्में Top wheat variety ज्यादा तापमान में भी समय से पहले नहीं पकेगी। इससे पैदावार नहीं घटेगी।
दरअसल पुरानी किस्मों का गेहूं फरवरी और मार्च में तापमान ज्यादा होने पर समय से पहले पकने लगा है। अनुसंधान के दौरान पाया गया कि फरवरी मार्च में होने वाली तापमान वृद्धि के कारण 20% तक पैदावार घट रही है। इसके चलते नई किस्में Top wheat variety तैयार की गई। पहले साल इंदौर में और अगले दो साल इंदौर सहित नर्मदापुरम, जबलपुर और सागर के अनुसंधान केंद्रों पर भी प्लॉट डाल कर रिसर्च की गई। रिसर्च में पाया गया कि अधिक तापमान में भी यह गेहूं समय से पहले नहीं पका।
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गेंहू की 1634 पूसा अहिल्या किस्म की खासियत
गेंहू की 1634 पूसा अहिल्या किस्म Top wheat variety की ऊँचाई कम 80 से 85 से.मी. होने व कुचे (टिलरिंग) काफी होने से आड़ा पड़ने की (लॉजिंग) की समस्या नहीं। तकनीकी एनेलेसिस एवं लेब से प्राप्त आकड़ों के अनुसार पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु देश की सर्वश्रेष्ठ किस्म बन सकती है। इसके 1000 दानों का वजन लगभग 40 ग्राम से 5/- इस किस्म में कर्नाल बंट, लुज स्मट, स्टेम रस्ट, लीफ ब्लाईट, फ्यूजेरियम हेड ब्लाईट, रूट राट, फ्लेग स्मट आदि बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता होने से सुरक्षित उत्पादन की गारंटी।
गेंहू की 1636 पूसा बकुला किस्म की खासियत
इस किस्म Top wheat variety की ऊँचाई लगभग 100 से.मी. एवं 1000 दानों का वजन 55 ग्राम व अधिकतम उत्पादन क्षमता 78.80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व व्यवहारिक परिस्थितियों में इस किस्म का बम्पर उत्पादन किसानों द्वारा 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक लिया गया है। गेंहू की बकुला किस्म चपाती एवं बिस्कीट के लिये श्रेष्ठ मानी गई है।
गेंहू की इस किस्म Top wheat variety में कीटों का विशेष प्रभाव नहीं देखा गया है। कर्नाल बंट / फ्लेग स्मट, स्टेम एवं लीफ रस्ट आदि वायरस एवं अन्य रोगों के प्रति प्रतिरोधकता का गुण भी इस किस्म में देखा गया है, जो काफी हद तक सुरक्षित उत्पादन की गारंटी देता है।
गेंहू 1634 पूसा अहिल्या एवं 1636 किस्म पूसा बकुला की उम्र एवं पैदावार
पुरानी किस्मों में जो औसत पैदावार 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से घटकर 55-60 क्विंटल रह गई थी, वह इस नई किस्म Top wheat variety में औसतन 70 क्विंटल रही। वही ज्यादा सिंचाई पर अधिकतम उपज 80 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ले सकते है। बात करें 1634 की तो इस किस्म की पकने की अवधि 110 और 1636 की 115 दिन में तैयार हुई तापमान ज्यादा ना होने पर पैदावार 70 क्विंटल तक चली गई।
साथ ही ज्यादा सिंचाई पर अधिकतम उपज 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ले सकते है। साथ ही साथ आपको बता दे की, पिछले रबी सीजन 2022/23 में उज्जैन जिले के किसान दीपक ने सिर्फ 2 सिंचाई में एक एकड़ से 18 क्विंटल पैदावार निकली थी।
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गर्मी का कोई नहीं असर और स्वाद भी बेहतर
गेहूं की इस 2 नई किस्मों Top wheat variety को सिंचित क्षेत्र व समय पर बोया जा सकता है। यह किस्म देश के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान (कोटा तथा उदयपुर), साथ ही उत्तरप्रदेश के झांसी डिवीजन के लिए उपयुक्त मानी गई है।
यहां यह किस्म अच्छा परिणाम देगी। देवास जिले एवं तराना के किसान ने अपने प्लॉट पर गेंहू की इन 2 नई किस्मों को लगाया था उनका कहना है की, दोनों नई किस्मों पर तेज गर्मी का असर नहीं पड़ा एवं पैदावार 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के लगभग आई स्वाद में भी यह किस्में Top wheat variety पुरानी किस्मों से बेहतर हैं।
10% ज्यादा पैदावार पर ही रिलीज होती है किस्म
अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया की, नई किस्मों Top wheat variety के बीज तीन चरण में तैयार किए जाते हैं। पहले चरण में प्रजनन, दूसरे में फाउंडेशन और अंतिम चरण में सर्टिफाइड बीज तैयार होते हैं। तीन साल परीक्षण होता है। पुरानी किस्मों से 10 प्रतिशत ज्यादा पैदावार होने पर ही ये रिलीज होती हैं। आपको बता दे की, एमपी के नर्मदापुरम गेहूं अनुसंधान केंद्र में अब तक गेहूं की 53 किस्में तैयार कर रिलीज की जा चुकी है।
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