सरसों की यह नवीन उन्नत किस्म पैदावार के रिकॉर्ड तोड़ेगी, जानिए विशेषताएं एवं टेक्निक..

सरसों की उन्नत किस्म पूसा जय किसान Pusa Jai Kisan Bio 902 की विशेषताएँ, प्रति हेक्टेयर कितनी पैदावार है, सब कुछ जानें.. 

Pusa Jai Kisan Bio 902 : खरीफ फसलों के बाद अब किसान साथी रबी फसलों की बुवाई करने में जुटे हुए हैं। रबी सीजन में सरसों प्रमुख तिलहन फसल के रूप में विख्यात है। रबी सीजन में गेहूं, चना के बाद सरसों की खेती अधिक होती है। फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक नई-नई किस्मों को विकसित कर रहे हैं। भारत में रबी सीजन में सरसों तिलहन की मुख्य फसल है।

कृषि वैज्ञानिकों ने हाल ही में सरसों की उन्नत किस्म को विकसित किया है, यह किस्म कम लागत में अधिक पैदावार देगी। इस किस्म Pusa Jai Kisan Bio 902 की पैदावार एवं खेती की टेक्निक के बारे में आईए जानते हैं..

अधिक पैदावार वाली किस्म पूसा जय किसान (बायो-902)

तेल उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा तिहलन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं वैज्ञानिकों द्वारा कम लागत में अधिक पैदावार वाली किस्में विकसित की जा रही हैं ताकि तेल उत्पादन के साथ ही साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ाई जा सके।

इसी कड़ी में कृषि वैज्ञानिकों ने कम लागत में अधिक पैदावार देने वाली पूसा जय किसान बायो 902 किस्म Pusa Jai Kisan Bio 902 को विकसित किया है। गौरतलब है कि भारत में सरसों की खेती मुख्य रूप से पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा पश्चिम बंगाल एवं असम में की जाती है।

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रोग प्रतिरोधी किस्म है पूसा जय किसान (बायो-902)  

सरसों की पुरानी किस्मों में जलवायु परिवर्तन के बाद रोग प्रतिरोधी क्षमताएं काम हो गई है। यही कारण है कि देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा अलग–अलग राज्यों एवं जलवायु क्षेत्रों के लिए सरसों की अलग–अलग किस्में Pusa Jai Kisan Bio 902  विकसित की गई हैं, जो रोग प्रतिरोधी होने के साथ ही अधिक पैदावार भी देती हैं। किसान इन उन्नत क़िस्मों की वैज्ञानिक तरीके से खेती कर कम लागत में 20 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं। सरसों की एक ऐसी ही किस्म है “पूसा जय किसान (बायो-902)”। Pusa Jai Kisan Bio 902

पूसा जय किसान (बायो-902) की विशेषताएं 

  • बायो-902 पूसा जय किसान Pusa Jai Kisan Bio 902 सरसों की पहली टिश्यू कल्चर वाली किस्म है जो कि सरसों में लगने वाले मुख्य रोगों तुलासिता, सफ़ेद रोली और मुरझान रोग के प्रति रोधक है।
  • यह किस्म 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
  • सरसों की इस किस्म Pusa Jai Kisan Bio 902 से औसतन प्रति हेक्टेयर 18-20 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
  • सरसों की इस किस्म की खेती मुख्यतः सिंचित क्षेत्रों में की जाती है।
  • सरसों की इस किस्म में तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक होती है।

पूसा जय किसान (बायो-902) की बीज दर :– बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा 4 से 5 किलोग्राम की जरूरत होती है।

पूसा जय किसान (बायो-902) के लिए उर्वरक

Pusa Jai Kisan Bio 902

  • सरसों में बुवाई तथा पहली सिंचाई के बाद उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए।
  • सरसों की बुवाई के समय 70 किलोग्राम डी.ए.पी. तथा 40 किलोग्राम यूरिया या डीएपी नहीं मिलने पर एस.एस.पी. 190 किलोग्राम तथा यूरिया 65 किलोग्राम की मात्रा दे सकते हैं।
  • सिंचाई के बाद किसान खड़ी फसल में 65 किलोग्राम यूरिया का प्रयोग करें। अगर किसान बुवाई के लिए सीड ड्रिल का प्रयोग कर रहें हैं तो सरसों की लाइन की दूरी 30 से 35 से.मी. रखें।
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