गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी, निर्यात पर रोक, फिर भी बढ़ रहे दाम, पूरे साल क्या रहेगी गेहूं के भाव की स्थिति, जानें

पिछले 2 वर्षों से गेहूं के भाव Gehun ka rate अच्छे बने हुए हैं आइए जानते हैं कि वर्ष 2023 में गेहूं के भाव की स्थिति क्या रहेगी

Gehun ka rate ; वर्ष दर वर्ष देश में खाद्यान्य का कुल उत्पादन 2 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ रहा है। इस वर्ष फरवरी और मार्च के अनिश्चित मौसम के बावजूद गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी हुई। केंद्रीय कृषि विभाग ने देश के खाद्यान्य उत्पादन में आगे भी लगातार बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। विभाग की ओर से तीसरा एडवांस एस्टीमेट जारी किया गया है। इसमें रबी फसलों के साथ रबी और खरीफ के बीच बोई जाने वाली फसलों को भी शामिल किया गया है।

गेहूं की अच्छी पैदावार के बावजूद गेहूं के भाव Gehun ka rate पिछले वर्ष की के समान ही इस वर्ष भी अच्छे बने हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष गेहूं का निर्यात हुआ था लेकिन इस वर्ष निर्यात प्रतिबंधित है। ऐसे में आम लोगों से लेकर किसानों के बीच यह जिज्ञासा है कि गेहूं के भाव आने वाले समय में क्या रहेंगे? आइए इस खबर के माध्यम से गेहूं के भाव की पूरी स्थिति जानते हैं

निर्यात प्रतिबंध को 1 साल पूरा हुआ

गेहूं के निर्यात पर पिछले वर्ष 13 मई को अचानक रोक लगा दी गई थी। पिछले वर्ष गेहूं निर्यात लगने के ठीक पहले गेहूं के भाव Gehun ka rate 2400 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल हो गया था जो निर्यात प्रतिबंधित होते ही 2100-2200 रुपए प्रति क्विंटल हो गया।

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष स्थिति पूरी तरह से अलग है पिछले वर्ष समर्थन मूल्य पर अधिक खरीदी नहीं हुई थी, जबकि इस वर्ष समर्थन मूल्य पर अच्छी खरीदी हुई है। हालांकि सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का जो लक्ष्य निर्धारित किया था वह पूरा नहीं हो पाया है।

गेहूं के भाव धीरे-धीरे हो रहे हैं तेज

गेहूं के भाव Gehun ka rate धीरे-धीरे तेज हो रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि स्टॉक वाले देशभर के ऊंचे भावों पर एकतरफा खरीदी कर रहे हैं। मिलर्स भी लाखों बोरी की खरीदी कर स्टॉक में ले जा रहे हैं। सरकार आम लोगों को सस्ता गेहूं कैसे दे सकेगी। इस साल गेहूं पैदावार की कमी और सरकारी पुल में कम गेहूं जाने को आधार बनाकर महंगाई का बाजार गरम किया जा रहा है। कारोबारी इस साल बगैर रायशुमारी के ऊंचे से ऊंचे भाव का स्टॉक करने में लगे हैं।

इंदौर मंडी में पिछले सप्ताह गेहूं के औसत भाव Gehun ka rate में बढ़ोतरी हुई। चिमनगंज मंडी उज्जैन के नियमित गेहूं कारोबारी अमर अग्रवाल के अनुसार गेहूं व्यापार फिलहाल तेजी वाले भाव का बना हुआ है। गुजरात वालों की खरीदी के साथ स्टॉक वाले अभी भी भारी खरीदी कर रहे हैं।

गेहूं का आगामी भविष्य तेजी वाला रहेगा!

इस साल किसानों को गेहूं के भाव Gehun ka rate ने मालामाल कर दिया है। 2800 रुपए के भाव पर लोकवन गेहूं लंबे समय से बिक रहा है। स्टॉक वालों की सक्रियता से भाव नीचे नहीं जा रहे। गेहूं का आगामी भविष्य तेजी वाला मानकर 400 से 500 रुपए का लाभ मिलेगा ऐसी आशा में ही गेहूं का बंपर स्टॉक हो रहा है।

उच्च क्वालिटी का गेहूं किसी भी भाव Gehun ka rate पर व्यापारी नीलामी में छोड़ नहीं रहे। हल्की क्वालिटी का गेहूं भी 2200 से 2250 रुपए बिकने लगा। उज्जैन मंडी सचिव उमेश कुमार शर्मा बसेड़िया ने बताया इस साल किसानों को मंडी में प्रतिस्पर्धा भाव मिल रहे हैं। एक दिन में 40 हजार बोरी बिक्री का रिकॉर्ड भी बना है। वहीं 32 करोड़ का टेक्स मिला। इसमें गेहूं की बढ़ती आवक बड़े भाव का योगदान भी है। कारोबारी भी 2023 का साल गेहूं का मानकर व्यापार कर रहे हैं।

आटा मैदा के भाव में भी तेजी

गेहूं की तेजी का प्रभाव इसके उत्पादों पर पड़ने लगा है। एक तरफ कृषि मंत्रालय गेहूं का उत्पादन अनुमान बढ़ाकर बता रहा है, दूसरी ओर बाजार में भाव Gehun ka rate बढ़ते जा रहे हैं। पिछले सप्ताह आटा-मैदा के भावों में 40 रुपए कट्टा (50 किलो) की तेजी आ गई है।

यदि गेहूं की सरकारी बिक्री शुरू नहीं हुई तो तब विस्फोटक स्थिति बन सकती है। पता नहीं खाद्य मंत्रालय को पता है या नहीं कि गेहूं एवं उसके उत्पादों के भाव बढ़ते जा रहे हैं। इनका सीधा प्रभाव पाव, डबल रोटी, बिस्किट एवं अन्य बेकरी उत्पादों पर पड़ेगा। महंगे होना शुरू हो जाएंगे अथवा वजन कम होने लगेगा।

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गेहूं के भाव कब तक तेज रहेंगे जानिए

गेहूं का कारोबार करने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि आगामी दो माह जून-जुलाई 2023 तक आटा गेहूं महंगा रहने की संभावना है। बाद में सरकार खुद खुले बाजार में गेहूं बेचने के सस्ते ऑफर जारी कर सकती है। इसकी संभावना इसलिए भी अधिक है, क्योंकि सितंबर में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं आने वाले 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।

सरकार यदि कम रेट पर गेहूं बाजार में बेचती है तो ऐसे में आटा 4 से 5 रुपए किलो सस्ता बिक सकता है। गेहूं भाव Gehun ka rate में भी उतार की संभावना ज्यादा है। चुनावी वर्ष में आटा, दाल, तेल सस्ता मिले, ऐसा रोडमैप सरकार का आ सकता है।

एक आकलन के अनुसार सरकार और गल्ला कारोबारियों के पास ही गेहूं का ओवर स्टॉक जमा है। सरकार सस्ते गेहूं के लिए मई माह के बाद कोई घोषणा कर सकती है। खाने के तेल के भाव आयात शुल्क नहीं लगाकर काबू में रखे हैं। ऐसे ही गेहूं Gehun ka rate में भी हो सकता है।

अगर कुछ हुआ तो 200-300 रुपए की भाव गिरावट भी संभव है। उज्जैन मंडी के गेहूं कारोबारी अमर अग्रवाल ने बताया यह समय खरीदी का होने से व्यापारी तेजी-मंदी को नहीं तलाश रहे, लेकिन तेजी-मंदी की चर्चा जरूर चल रही है।

आपको बता दें कि केंद्रीय पूल में एमपी एवं अन्य राज्यों ने गेहूं Gehun ka rate दिया गया है, उसकी क्वालिटी सामान्य से हल्की है। यह गेहूं आगे-पीछे यदि राशन दुकानों पर आएगा तब हल्ला मचना स्वाभाविक है। जिन गेहूं पर पानी की मार पड़ गई है, लंबे समय तक रखा नहीं जा सकता है।

उसमें कीड़े पड़ सकते हैं। उसके बाद फैंकने के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता है। जिन गोदामों में रखा है, वहां का अन्य गेहूं को खराब करने में अहम भूमिका निभाएगा। देखना यह है कि सायलो में वर्षा प्रभावित गेहूं रखा हो तब उसमें क्या स्थिति बनती है।

सरकारी बिक्री से रुकेगी गेहूं के भाव की तेजी

नए सीजन के प्रारंभकाल से ही गेहूं के भावों Gehun ka rate में तेजी का वातावरण बन गया था, जो अब तक चल रहा है। गेहूं का सीजन लगभग अंतिम दौर की ओर है अब मंडियों में आवक कम होने लगी हैं। आटा-मैदा मिलों की मांग से भाव Gehun ka rate आए दिन सुधरते जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने जुलाई माह से गेहूं की बिक्री शुरू नहीं की तब मिल क्वालिटी के भाव आसमान की तरफ जाने के लिए तैयार बैठे हैं। सरकार बिक्री करेगी, ऐसी अफवाह चली थी। इस वजह से आटा-मैदा मिलें स्टॉक अधिक मात्रा में नहीं कर सकीं। सरकार ने इसे अभी से नहीं संभाला तो गत वर्ष से अधिक बदतर स्थिति बनने में देर नहीं लगेगी।

इस वर्ष भी विदेशों में गेहूं की डिमांड रहेगी

अमेरिका के मैदानी क्षेत्रों में गर्मी बढ़ने एवं मिट्टी में नमी की कमी से गेहूं Gehun ka rate की फसल पर प्रभाव पड़ रहा है, जिससे उत्पादकता (उतारा) में कमी आने की संभावना है और मूल्यों में तेजी आने से अमेरिका को यूरोपीय संघ के देशों से गेहूं आयात करना पड़ सकता है। जानकार क्षेत्रों के अनुसार यूरोपीय देश के साथ‌ आयात व्यापार को अभी स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि पोलैंड से दो जहाज फ्लोरिडा में पहुंचे हैं। आगामी महीनों में और भी जहाज पहुंच सकते हैं।

यूरोपीय संघ के व्यापारिक आकड़ों के Gehun ka rate अनुसार 2022-23 के सीजन के दौरान पोलैंड ने अमेरिका को पहले ही 79 हजार टन गेहूं का निर्यात कर दिया है और अमेरिका के मुकाबले कीमतें कम होने से आगे भी‌शिपमेंट जारी रहने का अनुमान है। यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका गेहूं का एक प्रमुख निर्यातक रहा है तथा रूस से कड़ी प्रतिस्पर्धा भी होती रही है।

इस वर्ष गेहूं की सरकारी खरीदी कम हुई

केंद्र सरकार ने गेहूं Gehun ka rate उत्पादन का जो अनुमान लगाया था उसी आधार पर इस वर्ष 341 लाख टन गेहूं की खरीदी का लक्ष्य तय किया है, किंतु गाड़ी 260 लाख टन पर आकर अटक गई है। अधिकतम 265 से 270 लाख टन से अधिक खरीदी नहीं होगी। इस खरीदी Gehun ka rate को बड़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया जा रहा है, जबकि पिछले वर्षों में 375 से 400 लाख टन गेहूं की खरीदी होती रही है। उत्पादन वर्तमान वर्षों से कुछ कम ही होता था।

पिछले वर्ष Gehun ka rate निर्यात के दरवाजे खोल देने से बड़ी मात्रा में गेहूं विदेश चला गया। 13 मई को अचानक त्वरित प्रभाव से निर्यात बंद कर दिया है। इससे निर्यातक अगाऊ सौदे करने वाले, किसान आदि लाखों में के घाटे में उतर गए थे। उसके बाद खरीदी का सीजन आ चुका था। गेहूं Gehun ka rate में महंगाई न केवल दिखाई दे रही थी वरन 3000 से 3200 रुपए तक मिल क्वालिटी गेहूं बिक भी गया। इतनी तेजी के बाद स्टॉक लिमिट नहीं लगाई गई।

गेहूं का रेट – Gehun ka rate 

  • गेहूं लोकवन 2350 से 2825
  • गेहूं मालवराज पोषक 1951 से 2311
  • गेहूं शरबती 2900 गेहूं पूर्णा 2161 से 2831
  • सोयाबीन 5180 से 7000
  • चना देशी 4492 से 4735
  • चना इटालियन 4191 से 4791
  • चना विशाल 4591 से 4823
  • चना मौसमी 5271
  • चना डॉलर 9995 से 10800
  • बटला 1350 से 2409
  • रायडा 4480
  • धनिया 4200
  • मसूर 3434 से 3861 रुपए।

(नोट:–यह भाव Gehun ka rate इंदौर के हैं )

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