खरीफ सीजन में धान की फसल Kharif paddy cultivation को कीट एवं रोग नष्ट कर सकते हैं, आइए जानते हैं इनसे बचाव के उपाय..
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Kharif paddy cultivation | देश में धान की खेती सबसे अधिक खरीफ सीजन में होती है। किसान साठी खरीफ सीजन में धान की बंपर पैदावार के लिए कई उपाय करते हैं इन्हीं उपायों में से धान की फसल को रोग एवं कीट से बचना जरूरी है। कीटों के नियंत्रण के लिए खेत की जुताई, मेंड़ों की छंटाई और घास की सफाई नियमित होनी चाहिए।
इस वर्ष धान की बुवाई का समय नजदीक आ चुका है। धान की बुवाई से लेकर कीट- रोग नियंत्रण एवं खरपतवार नियंत्रण के संदर्भ में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र ने खरीफ सीजन Kharif paddy cultivation में धान की फसल से अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को सलाह जारी की है। किसानों को किन बातों का ध्यान रखना होगा आईए जानते हैं..
धान की फसल को कीटों और रोगों से बचाना जरूरी
खरीफ सीजन Kharif paddy cultivation के लिए धान बुवाई की तैयारियों में किसान जुटे हैं। धान की बुवाई के लिए जितना खेत का अच्छी तरह से तैयार होना जरूरी है उतना ही उर्वरक और सही बीज का इस्तेमाल भी होना जरूरी है। इन सबके अलावा फसल को कई तरह के कीटों और रोगों से बचाना जरूरी होता है। किसानों की इसी परेशानी को देखते हुए यहां कुछ जरूरी बिंदु बताए जा रहे हैं, जिन पर अमल करके धान की बंपर पैदावार हासिल कर सकते हैं और कीटों-रोगों से छुटकारा हासिल कर सकते हैं।
धान की फसल में फैलने वाले रोग
Kharif paddy cultivation धान की फसल को कई तरह के रोग चौपट कर देते हैं। ऐसे रोगों से बचने के लिए किसानों को उन रोगों के बारे में जानना जरूरी है। इनके नाम हैं- सफेद रोग, विषाणु झुलसा, शीथ झुलसा, भूरा धब्बा, जीवाणु धारी, झोका, खैरा रोग. इन सभी रोगों के प्रबंधन के लिए किसानों को कुछ प्रमुख बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
धान की फसल को रोगों से कैसे बचाएं
Kharif paddy cultivation ; धान की फसल को रोगों से बचने के लिए सर्वप्रथम गर्मी की जुताई तथा मेडों की छंटाई करते हुए घास की सफाई जरूर करें। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि धान की फसल को रोग मुक्त रखने के लिए समय पर रोग प्रतिरोधी मानक बीजों की बुवाई करनी चाहिए।
किसानों को बुवाई के समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। बीज शोधन करके ही नर्सरी में बीज की बुवाई करनी चाहिए। बीज उपचार के लिए किसान 3 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम की मात्रा से बीज को उपचारित करके बुवाई करना चाहिए। इसके अलावा धान के बीज को 1.50 ग्राम के साथ 1.50 ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित कर सकते हैं। Kharif paddy cultivation
झुलसा रोग की समस्या वाले क्षेत्रों में 25 किलोग्राम बीज के लिए 38 ग्राम एमईएमसी और 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लीन को 45 लीटर पानी में बीज को रात भर भिगो दें और छाया में सुखाकर नर्सरी में बुवाई करनी चाहिए। इसके बाद 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को 20 किलोग्राम यूरिया 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इसके बाद 5 किलोग्राम फास्फोरस सल्फेट की 20 किलोग्राम यूरिया के साथ 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
क्षेत्र के अनुसार प्रजातियों की बुवाई करके पौध रोपण करना चाहिए। आखिरी बीज शोधन 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ट्राइकोडर्मा के साथ 60 से 80 किलोग्राम गोबर की खाद से भूमि शोधन आख़िरी जुताई में मिलाकर करना चाहिए। Kharif paddy cultivation
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में दीमक, पत्ती लपेटक कीट, गन्धी बग, सैनिक कीट, तना बेधक जैसे कीट लगते हैं, जो फसल को बर्बाद कर देते हैं।
कीटों से बचाव के लिए किसान यह करें :– धान की फसल को कीटों से बचने के लिए किस साथी गर्मी की जुताई तथा मेंड़ों की छंटाई और घास की सफाई जरुर करें।
धान की फसल में खरपतवार को इस प्रकार नियंत्रित करें
Kharif paddy cultivation धान की फसल को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए सर्वप्रथम स्वच्छ उर्वरकों का प्रयोग करें। किसान साथी अगेती और समय से पौध डालकर तैयार पौध की रोपाई करें। खरपतवार प्रतिरोधी प्रजातियों की बुवाई करके फसल की उपज लें। धान की रोपाई के दौरान ध्यान रखें। अधिक दूरी पर 20 सेंटीमीटर गुणे 20 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपाई करें।
कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक प्रत्येक 20 कतार के बाद एक कतार छोड़कर रोपाई करें। इसके साथ ही खेत में सिंचाई का उचित प्रबंध रखें या समयानुसार फसल को पानी दें। रोपाई से पहले वाली फसल के अवशेषों को अच्छे से नष्ट करें। रोपाई के पहले पौध के उपरी भाग को नष्ट कर रोपाई करें। 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर नीम का आधारी कीटनाशकों का प्रयोग करें। बाद में क्यूनालफास 25 ईसी का 1.25 लीटर या क्लोरोपईरीफास 20 ईसी का 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। Kharif paddy cultivation
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