एमपी, यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पंजाब एवं अन्य राज्यों में अधिक उत्पादन देने वाली मूंग की प्रमुख किस्मों के बारे में जानें..

यदि आप जायद/ ग्रीष्मकालीन मुंग की खेती के लिए बेहतर किस्म (Mung Bean Varieties) का चयन कर रहे है, आप यहां आर्टिकल में बेस्ट किस्मों की जानकारी ले सकते है।

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Mung Bean Varieties | गेहूं की कटाई के बाद खेत खाली हो जाएंगे। ऐसे में किसान इस खाली खेत में जायद मूंग की खेती करके इससे काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मूंग एक ऐसी दलहन फसल है जिसके बाजार भाव भी ठीक-ठाक मिल जाते हैं।

इसकी खेती से किसान को इसके विक्रय से लाभ तो होता ही है, साथ ही मिट्‌टी की सेहत में भी सुधार होता है। इससे खेत उपजाऊ बना रहता है। यही कारण है कि अधिकांश समझदार किसान गेहूं की कटाई के बाद दलहन फसल उगाते हैं ताकि उनके खेत की उर्वरक क्षमता बनी रहे और आय भी बढ़ें। Mung Bean Varieties

यदि आप भी इस बार जायद सीजन में मूंग की खेती करने की सोच रहे हैं तो यह समय आपके लिए काफी अच्छा है। आप इस समय खेत में मूंग की बुवाई करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं। जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वे मूंग की खेती से भरपूर लाभ कमा सकते हैं।

मूंग की बुवाई के लिए कई उन्नत किस्में हैं जिनसे अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यहां हम आर्टिकल में आपको बताने वाले है एमपी, यूपी, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, पंजाब एवं अन्य राज्यों में अधिक उत्पादन देने वाली मूंग की प्रमुख किस्मों (Mung Bean Varieties) के बारे में…

मध्यप्रदेश के लिए मुंग की टॉप किस्में

1. टॉम्बे जवाहर मूंग-3 (टी.जे. एम -3) किस्म :– इस वैरायटी को जवाहार लाल नेहरू कृषि विश्व विधालय जबलपुर ने विकसित किया था। इसकी पकने की अवधि 60 से 70 दिन एवं उपज क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल जाएगी। फलियाँ गुच्छो में लगती है, एक फली मे 8-11 दाने, 100 दानो का बजन 3.4-4.4 ग्राम, पीला मोजेक एवं पाउडरी मिल्डयू रोग हेतु प्रतिरोधक है। Mung Bean Varieties

2. जवाहर मूंग -721 किस्म :– इस वैरायटी को कृषि महाविधालय इंदौर ने विकसित किया है। इसकी पकने की अवधि 70 से 75 दिन एवं उपज क्षमता 12 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिल जाएगी। यह वैरायटी पूरे मध्यप्रदेश में ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम के लिये उपयुक्त है, पौधे की उंचाई 53-65 सेमी, 3-5 फलियाँ एक गुच्छे मे रहती है, एक फली में 10-12 दाने एवं पीला मोजेक एवं पाउडरीमिल्डयू रोग सहनशील है।

3. के – 851 (K-851) किस्म :– यह वैरायटी चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौघोगिकी विश्व विघालय, कानपुर द्वारा विकसित की गई है। इसके पकने की अवधि 60 से 65 दिन एवं अधिकतम उत्पादन क्षमता 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। Mung Bean Varieties

यह वैरायटी ग्रीष्म एवं खरीफ दोनो मौसम के लिये उपयुक्त है। इसके पौधे मध्यम आकार के (60-65 सेमी.) लगभग एक पौधो मे 50-60 फलियाँ यानी एक फली मे 10-12 दाने निकलते है। इसका दाना चमकीला हरा एवं बडा एवं 100 दानो का वजन 4.0-4.5 ग्राम मापा गया है।

पंजाब के लिए 2 नई उच्च उत्पादक मूंग की किस्में

मूंग पंजाब में एक महत्वपूर्ण दाल फसल है, जिसे इसकी पोषण संबंधी गुणवत्ता और मृदा उर्वरता बढ़ाने की क्षमता के कारण व्यापक रूप से उगाया जाता है। हाल ही में, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना द्वारा विकसित दो नई किस्में किसानों के लिए उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ उपलब्ध कराई गई हैं। इन किस्मों में SML 1827 एवं ML 1808 किस्म शामिल है। इनकी विशेषताएं इस प्रकार से है :-

1. मुंग की SML 1827 किस्म : इस वैरायटी को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म खासकर पंजाब में वसंत/गर्मी के लिए सिंचित परिस्थितियों में उपयुक्त मानी गई है। SML 1827 किस्म पीला मोज़ेक रोग (YMD), सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट (CLS), Mung Bean Varieties

बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (BLS), एन्थ्रेक्नोज और वेब ब्लाइट (WB) के प्रति प्रतिरोधी और बीन्स थ्रिप्स का कम प्रभाव देखा गया है। बात करें इसकी अवधि और पैदावार की तो, इस किस्म की उपज क्षमता 11.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देखी गई है एवं परिपक्वता अवधि 61-71 दिन तक है।

2. मुंग की ML 1808 किस्म : ये किस्म भी पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना द्वारा विकसित किया गया है और खासकर पंजाब में वसंत/गर्मी के लिए सिंचित परिस्थितियों में उपयुक्त मानी गई है। ML 1808 किस्म पीला मोज़ेक रोग (YMD) के प्रति प्रतिरोधी है। मध्यम आकार की फलियों के साथ अच्छी उपज देने की क्षमता रखती है। इसकी उपज क्षमता 11-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 70-75 दिन तक है। Mung Bean Varieties

SML 1827 और ML 1808 मूंग की दो नवीनतम उच्च उत्पादक किस्में हैं, जो पंजाब के किसानों के लिए बेहतर विकल्प प्रदान करती हैं। इन किस्मों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और सिंचित परिस्थितियों में अनुकूलता, मूंग उत्पादन को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाने में सहायक होगी।

उत्तराखंड के लिए 2 नई उच्च उत्पादक मूंग की किस्में

मूंग उत्तराखंड में एक महत्वपूर्ण दलहन फसल है, जो इसकी पोषण संबंधी गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने की क्षमता के कारण व्यापक रूप से उगाई जाती है। Mung Bean Varieties

हाल ही में, गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (GBPUA&T), पंतनगर द्वारा विकसित दो नई किस्में पंत मुंग 9 (PM 09-11) और पंत मुंग-8 (PM 09-6) किसानों के लिए उच्च उत्पादकता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ उपलब्ध कराई गई हैं। दोनों किस्मों की विशेषताएं इस प्रकार है :-

1. पंत मुंग 9 (PM 09-11) किस्म : इस किस्म को GBPUA&T, पंतनगर द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म खासकर उत्तराखंड में खरीफ और वसंत ऋतु के लिए है। इस किस्म की खास बात ये है की, यह मूंग येलो मोज़ेक वायरस (MYMV) के प्रति प्रतिरोधी है। इसकी उपज क्षमता 9-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 70-75 दिन तक है। Mung Bean Varieties

2. पंत मुंग -8 (PM 09-6) किस्म : इस किस्म को भी GBPUA&T, पंतनगर द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म भी उत्तराखंड में खरीफ और वसंत ऋतु के लिए है। ये मूंग येलो मोज़ेक वायरस (MYMV), सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट (CLS), और पाउडरी मिल्ड्यू रोगों के प्रति प्रतिरोधी देखी गई है। इसकी उपज क्षमता उपज क्षमता 10-11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 78-83 दिन तक है।

पंत M 9 (PM 09-11) और पंत मुंग-8 (PM 09-6) मूंग की दो नवीनतम उच्च उत्पादक किस्में हैं, जो उत्तराखंड के किसानों के लिए बेहतर विकल्प प्रदान करती हैं। इन किस्मों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और सिंचित परिस्थितियों में अनुकूलता मूंग उत्पादन को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाएगी। Mung Bean Varieties

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महाराष्ट्र के लिए नई मूंग की किस्म

महाराष्ट्र में मूंग एक महत्वपूर्ण दलहन फसल है, जो पोषण संबंधी लाभ और कृषि प्रणाली में सुधार के लिए जानी जाती है। महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (MPKV), राहुरी द्वारा विकसित एक नई मूंग की किस्म किसानों के लिए बेहतर उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है। Mung Bean Varieties

इस किस्म का नाम है फुले चेतक (PM-707-5)। इसे वर्ष 2021 में विकसित किया गया था। यह किस्म शीघ्र परिपक्व होने वाली खरीफ फसल के लिए उपयुक्त है। ये प्रमुख बीमारियों (पाउडरी मिल्ड्यू, MYMV) के प्रति मध्यम प्रतिरोधी और फली छेदक (Pod-Borer) की सहनशील है।

इसकी उपज क्षमता 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 69 दिन की है। फुले चेतक (PM-707-5) महाराष्ट्र के किसानों के लिए एक उत्कृष्ट मूंग किस्म है, जो शीघ्र परिपक्वता और बेहतर रोग प्रतिरोधकता प्रदान करती है। यह किस्म उच्च उत्पादन क्षमता के साथ फली छेदक के प्रति सहनशीलता प्रदान कर, अधिक लाभकारी और टिकाऊ खेती के लिए अनुकूल होगी। Mung Bean Varieties

उत्तर प्रदेश के लिए 5 नई उच्च उपज देने वाली मूंग की किस्में

मूंग उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण दलहन फसल है, जिसे उच्च पोषण मूल्य और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने की क्षमता के लिए जाना जाता है। हाल ही में, प्रजनन संस्थानों ने क्षेत्र की जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त नई, उच्च उपज देने वाली किस्में विकसित की हैं। नीचे दी गई पांच किस्में अधिक पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अनुकूलनशीलता प्रदान करती हैं। Mung Bean Varieties

1. KM 2342 (Azad Mung 1) किस्म : इस किस्म को चंद्र शेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSAU&T), कानपुर ने उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए विकसित की है, जो खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है।

यह किस्म पीला मोज़ेक विषाणु (MYMV) के प्रति मध्यम प्रतिरोधी देखी गई है। इसकी उपज क्षमता 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 65-70 दिन तक है। Mung Bean Varieties

2. IPM 312-20 (Vashudha) किस्म : मुंग की ये किस्म भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (IIPR), कानपुर द्वारा उत्तरप्रदेश में बसंत ऋतु के लिए विकसित की है। ये किस्म MYMV (पीला मोज़ेक विषाणु) और CLS (सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट) के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी और पत्ती सिकुड़न (Leaf Crinkle) और पत्ती मुड़ने (Leaf Curl) जैसी बीमारियों के प्रति भी प्रतिरोधी। इसकी उपज क्षमता 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 65-80 दिन तक है।

3. KPM 409-4 (Heera) किस्म : इस किस्म को भी 2020 में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (IIPR), कानपुर द्वारा उत्तर प्रदेश में बसंत और ग्रीष्म ऋतु के लिए विकसित किया है। यह किस्म MYMV, CLS, पत्ती सिकुड़न और पत्ती मुड़ने जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है। इसकी उपज क्षमता 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 65-70 दिन तक है। Mung Bean Varieties

4. मुंग की IPM 409-4 किस्म : इसे भी भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (IIPR), कानपुर द्वारा उत्तर प्रदेश में सिंचित परिस्थितियों में बसंत ऋतु के लिए विकसित किया है। ये पीला मोज़ेक विषाणु (MYMV), सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट, पत्ती सिकुड़न, पत्ती मुड़ने और थ्रिप्स के प्रति प्रतिरोधी देखी गई है। इसकी उपज क्षमता 8-9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 70 दिन तक है।

5. मुंग की मालवीय जनक्रांति (HUM 27) किस्म : इस किस्म को 2023 में हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा उत्तरप्रदेश के किसानों के लिए विकसित की है। ये मूंग की प्रमुख कीट-प्रजातियों के प्रति प्रतिरोधी है और उच्च उपज देने वाली नवीनतम किस्म है। इसकी उपज क्षमता 12-14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 62-76 दिन तक है। Mung Bean Varieties

ये है मूंग की अन्य नई किस्में

KM 2342 (Azad Mung 1), IPM 312-20 (Vashudha), KPM 409-4 (Heera), IPM 409-4 और Malaviya Jankranti (HUM 27)—उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए उच्च उपज और रोग प्रतिरोधकता के शानदार विकल्प हैं। Mung Bean Varieties

इनकी कम परिपक्वता अवधि (62-80 दिन) फसल चक्र को प्रभावी बनाने में मदद करती है, जिससे टिकाऊ दलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।

मूंग की खेती के लिए इन बातों का ध्यान रखें

पानी के साधन, फसल चक्र, और बाज़ार की मांग को ध्यान में रखकर उन्नत प्रजातियों का चयन करें।

प्रमाणित बीजों का इस्तेमाल करें। Mung Bean Varieties

बुवाई से पहले बीजों को फसल विशेष राईज़ोबियम और फ़ॉस्फ़ोरस सोलूबलाईज़िंग बेक्टीरिया से उपचारित करें।

कवकनाशी से बीजोपचार के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेंडाज़िम से उपचार करें।

बुआई के समय बीज डालने से पहले सल्फ़र धूल का प्रयोग करें। Mung Bean Varieties

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