प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : बीमा कंपनियों पर उठे सवाल, दावे अटके, मुआवजा लटका…

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pm Crop insurance) को 2025-26 तक बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है। देखें डिटेल..

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Pm Crop insurance | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को 2025-26 तक बढ़ाने की मंजूरी मिल गई है। इसके लिए सरकार ने 69,515.71 करोड़ रुपये का बजट तय किया है।

हालांकि, किसानों के लिए राहत देने वाली इस योजना में बीमा दावों के निपटारे में देरी और कंपनियों की जवाबदेही जैसे कई सवाल अब भी बने हुए हैं। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण

राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016 से लागू है और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध है। हालांकि, यह राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं है।

वे अपनी वित्तीय स्थिति और जोखिम को देखते हुए इसमें भाग लेने या इससे बाहर होने का फैसला कर सकते हैं। अब तक 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे किसी न किसी सीजन में अपनाया है, जबकि फिलहाल 23 राज्य इस योजना को लागू कर रहे हैं। : Pm Crop insurance

Pm Crop insurance | बीमा दावा निपटाने में देरी क्यों हो रही है?

यह योजना राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों के सहयोग से चलाई जा रही है। बीमा कंपनियों का चयन पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जबकि फसल हानि का आकलन राज्य सरकार और बीमा कंपनियों की संयुक्त समिति द्वारा किया जाता है।

राज्य सरकारें बीमा कंपनियों का चयन, किसानों का नामांकन और फसल हानि का आकलन करने जैसे कार्य देखती हैं। लेकिन इसके बावजूद किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। कई बार बीमा कंपनियां तय समय पर दावों का निपटारा नहीं करतीं, तो कभी राज्य सरकार की ओर से धनराशि जारी करने में देरी हो जाती है। : Pm Crop insurance

इसके अलावा, बैंकों द्वारा गलत बीमा प्रस्ताव भेजने, उपज के आंकड़ों में गड़बड़ी, बीमा कंपनियों और सरकार के बीच विवाद जैसी समस्याएं भी हैं। कई जगह बीमा कंपनियों के पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है, जिससे किसानों के दावे अटक जाते हैं।

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शिकायतों के निपटारे के लिए क्या इंतजाम?

Pm Crop insurance | योजना से जुड़े विवादों को कम करने के लिए सरकार ने जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण समितियों (DGRC और SGRC) का गठन किया है। इन समितियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं ताकि वे किसानों की शिकायतें सुनकर तय प्रक्रिया के तहत हल कर सकें।

इसके अलावा, ‘कृषि रक्षक पोर्टल’ और टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14447 शुरू किया गया है, जहां किसान अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इन शिकायतों के समाधान के लिए एक निश्चित समयसीमा भी तय की गई है।

Pm Crop insurance | बीमा कंपनियों की जवाबदेही पर सवाल?

सरकार का कहना है कि बीमा दावों के जल्द निपटारे और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए समय-समय पर नियमों में बदलाव किया गया है। बीमा कंपनियों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंस, व्यक्तिगत बैठकें और राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलन भी किए जा रहे हैं।

लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। प्रशासनिक अड़चनों और कंपनियों की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते किसान योजना का पूरा लाभ नहीं उठा पा रहे। ऐसे में देखना होगा कि सरकार के सुधार कितने असरदार साबित होते हैं और किसानों को सही समय पर राहत मिल पाती है या नहीं। : Pm Crop insurance

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1 thought on “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : बीमा कंपनियों पर उठे सवाल, दावे अटके, मुआवजा लटका…”

  1. 2023-24 का पीक विमा मिलना चाहिए केंद्र और राज्य सरकार क्या कर रही है क्या सो रही है

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