सूखते सोयाबीन को कैसे बचाएं? सिंचाई करना कितना लाभदायक, मानसून कब तक सक्रिय होगा जानिए..

Soybean ko kaise bachai : पानी एक सप्ताह तक नहीं बरसा तो पैदावार पर पड़ेगा गंभीर असर, जानिए कब तक मानसून सक्रिय होगा…

Soybean ko kaise bachai : उत्तर भारत में जहां इस बार अधिक वर्षा के कारण लोग परेशान हैं। वहीं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से में बेहतर बरसात हुई है। इससे वहां पर जल स्रोतों की कंगाली दूर हो चुकी है तो ऐसे में मध्य प्रदेश का पश्चिम क्षेत्र में बहुत ही कम बारिश हुई है। अल नीनो के प्रभाव के कारण प्रदेश के कई जिले सूखे की स्थिति से जूझ रहे हैं। इन जिलों में जल स्तर तक नहीं बढ़ पाया है। यहां अभी से सूखे के हालात दिख रहे हैं। प्रदेश में सूखे की स्थिति के कारण सोयाबीन और अन्य फसलों की स्थिति चिंताजनक हो रही है।

सोयाबीन की फसल इस समय फली में दाने तैयार होने की अवस्था में है। लगातार वर्षा की खींच के कारण सोयाबीन के उत्पादन पर सीधे असर पड़ेगा। कई जिलों में सोयाबीन सूख गई है। किसानों को इस समय सिर्फ इसी बात की चिंता है कि वर्तमान में सोयाबीन सहित अन्य खरीफ की फसलों को कैसे बचाएं। इसके लिए किसान अपने खेतों में सिंचाई कर रहे हैं आईए जानते हैं खेतों में सिंचाई Soybean ko kaise bachai करना कितना फायदेमंद है एवं मानसून पुनः प्रदेश में कब तक सक्रिय होगा…

अल नीनो का प्रभाव

मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तरह की वर्षा की स्थिति बनना अल नीनो का प्रभाव है। यह जलवायु परिवर्तन का ही एक कारण है। मानसून की इस बार स्थित रही है, वह या तो कहीं पर बहुत अधिक वर्षा वाली रही है। जिससे कि काफी लोग प्रभावित और नुकसान हुआ है। जबकि मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में जो स्थिति बन रही है, वह सूखे जैसे बनने लगी है। कहीं ना कहीं अब हमें जलवायु परिवर्तन के प्रति और भी सजग करते हैं। इस दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता है। Soybean ko kaise bachai

फली में दाने बनने की अवस्था

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अभी फसलों मैं फली आ चुकी है पाली में दाने बनने की अवस्था हो रही है इस दौरान पौधे को पानी एवं अन्य पोषक तत्वों की सर्वाधिक आवश्यकता रहती है। लेकिन पानी नहीं गिरने के कारण पौधे संभल नहीं पा रहे हैं। आगामी कुछ दिनों में परेशानी और अधिक बढ़ सकती है। खासकर ऐसी जमीन जहां पर काली मिट्टी नहीं है। हल्की मिट्टी है या पथरीली जमीन है, वहां पर सोयाबीन से लेकर अन्य फसलों पर अभी से विपरीत असर देखने को मिल रहा है। Soybean ko kaise bachai

स्प्रिंकलर यानी फव्वारा सिंचाई करना फायदेमंद

Soybean ko kaise bachai – कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र अब किसानों को यह सलाह दे रहे है कि यदि पानी की उपलब्ध होता है तो खेतों में सीधे पानी छोड़ने की बजाय स्प्रिंकलर यानी फव्वारा सिंचाई के माध्यम से अपनी फसल को सिंचित करे।

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि वर्तमान में खेतों में दरारें पड़ चुकी है। सीधे पानी देने से दरारों में मिट्टी भर जाएगी एवं एक-दो दिन के दौरान यदि तेज धूप पड़ती है तो फिर खिंचाव के कारण दरारें और चौड़ी होगी। जिससे फसलों की जड़े जल्दी सुखेगी। Soybean ko kaise bachai

इसकी बजाय स्प्रिंकलर फव्वारा से पानी देते हैं तो इससे मिट्टी का फूलाव होगा। कृषि विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि यदि हमारा पद्धति से पानी सिंचाई नहीं कर पाते हैं तो पानी छोड़ने के चार से पांच दिन के दौरान दोबारा पानी छोड़ दें।कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिन किसानों के पास पानी की उपलब्धता है और संसाधन है। वें फव्वारा सिंचाई करें। जिससे की फसलों को सुरक्षित रखा जा सके। Soybean ko kaise bachai

2 सितंबर से बदलेगा मौसम

मध्यप्रदेश में मानसून ब्रेक 1-2 सितंबर को खत्म हो सकता है। जबलपुर-शहडोल संभाग समेत पूर्वी हिस्से में मध्यम से तेज बारिश का दौर शुरू होगा। प्रदेश के पश्चिमी हिस्से यानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और नर्मदापुरम संभाग में भी मौसम बदलेगा, लेकिन तेज बारिश होने का अनुमान कम है। Soybean ko kaise bachai

25 अगस्त से मानसून ब्रेक हो गया था। सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि पहले यह 5-6 सितंबर तक रहने का अनुमान था, लेकिन 1-2 सितंबर से ही पूर्वी हिस्से में मानसूनी एक्टिविटी शुरू हो जाएगी।मौसम विभाग के अनुसार आगामी 5 सितंबर मानसून के पूरे प्रदेश में सक्रिय होने की संभावना है। Soybean ko kaise bachai 

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