गेहूं की फसल अगले वर्ष मार्च में तैयार होगी। अभी से गेहूं के भाव Gehun ke bhav तेज होने लगे हैं गेहूं भाव का भविष्य क्या रहने वाला है, आइए जानते हैं…
Gehun ke bhav : लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार खाद्य पदार्थों के दाम पर नियंत्रण का भरपूर प्रयास कर रही है, किंतु सोया तेल के भाव को छोड़कर बाकी अन्य सभी खाद्य पदार्थों के दाम में लगातार इजाफा हो रहा है। गेहूं के भाव की ही बात करें तो सरकार खुले बाजार में गेहूं बेचने लग गई है।
इसके बावजूद गेहूं के भाव कम नहीं हो पा रहे हैं। जबकि गेहूं की नई फसल आने में अभी 6 माह की देरी है। ऐसे में बाजार में अभी से यह हलचल मच गई है कि गेहूं के आगामी भाव क्या रहेंगे। आइए चौपाल समाचार की इस खबर के माध्यम से हम जानते हैं गेहूं के ताजा भाव Gehun ke bhav एवं आने वाले समय में गेहूं के भाव की क्या स्थिति रहने वाली है…
पर्याप्त मात्रा में बिक्री नहीं कर पा रहा खाद्य निगम
Gehun ke bhav भाव नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार के निर्णय के बाद खाद्य निगम खुले बाजार में गेहूं की बिक्री कर रहा है। निगम गेहूं की बिक्री जरूर कर रहा है किंतु बिक्री मात्रा कम होने से खुले बाजार में तेजी का वातावरण बनता जा रहा है।
मध्यप्रदेश में 50 हजार टन गेहूं की बिक्री की जाएगी। यह मात्रा आटे में नमक के समान है। ऐसा आभास होता जा रहा है कि गेहूं की लगाम भी सरकार के हाथ से छूटती नजर आ रही है। गेहूं की बिक्री बढ़ाना जरूरी है, अन्यथा इस वर्ष गेहूं के भाव नए उच्च स्तर की ओर जाने में देर नहीं करेंगे। इंदौर में गेहूं के भावों में तेजी आना शुरू हो गई है।
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पिछले सप्ताह से इस सप्ताह गेहूं के दाम बढ़े
खाने-पीने की चीजें एक बार फिर महंगी होने लगी हैं। हाल के महीनों में गेहूं, चावल, दूध, सब्जियां और दालों के दाम लगातार बढ़े हैं। खाद्य पदार्थों की महंगाई मई में 2.96% थी, जो जून में 4.49% हो गई। इससे रिटेल महंगाई दर का मई के 4.31% से बढ़कर 4.81% हो गई। जुलाई में भी अनाज, एनर्जी और मेटल समेत अधिकांश कमोडिटी की कीमतें बढ़ी हैं। Gehun ke bhav
एचएसबीसी के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत में अनाज की कमी महंगाई बढ़ा सकती है। अगले कुछ हफ्तों में बारिश और धान की बुआई के आंकड़े महत्वपूर्ण होंगे। उत्तर-पश्चिम भारत में धीमी बुआई और दक्षिण-पूर्व में कम बारिश से धान की फसल को नुकसान हो सकता है।
रूस ने ब्लैक सी में यूक्रेन के बंदरगाहों की ओर जाने वाले जहाजों को सैन्य उपकरणों के संभावित वाहक के रूप में देखने की चेतावनी दी है। इससे पिछले हफ्ते गेहूं के भाव Gehun ke bhav में उछाल आया। बढ़ते दाम पर सरकार की भी नजर है। कुछ अधिकारियों मुताबिक, चावल निर्यात पर प्रतिबंध के बाद दाल और गेहूं पर भी ऐसी ही पाबंदी लगाने पर विचार किया जा रहा है।
सरकार ने एमपी में अभी तक 8200 मीट्रिक टन गेहूं बेचा
गेहूं के भाव Gehun ke bhav नियंत्रण के लिए सरकार किस स्तर पर कदम उठा रही है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार लगातार गेहूं बेचने के नियम में परिवर्तन कर रही है। हाल ही में इंदौर खाद्य निगम द्वारा मैदा- आटा एवं दलिया बनाने वाली मिलों को दिए जाने वाले गेहूं की शर्तों में परिवर्तन किया है। इसमें अलग-अलग स्वामित्व वाली इकाईयों को गेहूं की उपलब्धि सुनिश्चित की जा सके।
पूर्व में एक जीएसटी पर 100 मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की जा सकती थी। इसमें परिवर्तन कर जीएसटी के साथ पेन भी लिंक कर दिया गया है तथा एक पेन पर अधिकतम 100 मीट्रिक टन की सीमा निर्धारित कर दी है। यह भी बताना होगा कि क्रय किए गए गेहूं का उपयोग स्वयं किया है, किसी अन्य को विक्रय नहीं किया जाएगा। बुधवार 2 अगस्त 2023 को होने वाली नीलामी अमानत राशि सोमवार 31 जुलाई की शाम 6:00 बजे तक जमा कराना होगी। अभी तक मध्यप्रदेश में 8200 मीट्रिक टन गेहूं बेचा जा चुका है। Gehun ke bhav
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क्या गेहूं के भाव हमेशा के लिए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएंगे
गेहूं की नई फसल आने में अभी 6 माह का वक्त है। नई फसल आने तक केरी ओव्हर स्टॉक नहीं होने से मंडियों में आया हुआ माल कुछ दिनों तक अधिक भावों पर बिकता रहेगा। वर्तमान भाव से एमएसपी काफी नीचे है। अतः सरकार को कितनी मात्रा में गेहूं मिलेगा यह कहना कठिन है। किसी भी तरीके से खाद्य निगम ने गेहूं तुलवा भी लिया तब भी खुले बाजार में भाव Gehun ke bhav तेज ही रहेंगे।
देश में गेहूं की कमी हुई है, उसकी पूर्ति जब तक पैदावार के माध्यम से नहीं होगी तब तक यही स्थिति बनी रहने की संभावना है। इधर सरकार चाह कर भी बाहर विदेशों से गेहूं का आयात नहीं कर सकती। क्योंकि वैश्विक स्तर पर भी रूस यूक्रेन के मध्य छिड़ी जंग के कारण खाद्यान्न की कमी चल रही है। इसे बाजार विशेषज्ञ अंदाजा लगा रहे हैं कि अब धीरे-धीरे गेहूं के भाव Gehun ke bhav हमेशा के लिए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएंगे।
गेहूं के साथ चने का उत्पादन कम होने से भविष्य तेजी सूचक
आम धारणा यह है कि रबी सीजन में गेहूं एवं चने का उत्पादन कृषि मंत्रालय के अनुमान से नहीं हुआ है। आगे-पीछे तुअर-उड़द के बाद गेहूं-चने में तेजी आ सकती है। गेहूं में सरकारी बेचवाली नामीनल है। चने में जोरदार मांग है। नैफेड की बेचवाली के बाद खुले बाजार में मंदी की बजाय तेजी क्या दर्शाती यह अनुमान भी लगा लेना चाहिए। Gehun ke bhav
इस वर्ष तुअर, उड़द के बाद आने वाले महीनों में गेहूं एवं चने का संकट खड़ा हो सकता है और भाव बढ़ने पर दोनों पर से आयात शुल्क शून्य किया जा सकता है, जिससे आम लोगो को परेशानी न हो।
पिछले लंबे समय से खाद्य मंत्रालय गेहूं की आपूर्ति बिगड़ने से इंकार करता आ रहा है। हाल ही में 4 लाख टन गेहूं की बिक्री के टेंडर जारी किए जा रहे हैं। प्रति सप्ताह जितनी मात्रा में सामान्य स्थिति वाली आटा- मैदा मिलों को गेहूं जरूरत होती है उसका 15 से 20 प्रतिशत प्राप्त हो रहा है। Gehun ke bhav
दूसरी और मंडियों में आवक कमजोर पड़ गई है। हो सकता है बोवनी के बाद कुछ मात्रा में बढ़े। खाद्य निगम का मत है कि गेहूं का आयात शुल्क हटाना या कम करने संबंधी विकल्प खुले हैं। यह विचार व्यक्त करना चिंताजनक है। पर 40 प्रतिशत आयात शुल्क है। कृषि मंत्रालय गेहूं का उत्पादन अनुमान 11.27 करोड़ टन का लगा रहा है, किंतु निजी क्षेत्र इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। Gehun ke bhav
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यह है गेहूं के वर्तमान भाव
Gehun ke bhav गेहूं मिल क्वालिटी 2400-2425, गेहूं मालवराज न्यूनतम भाव 2157 एवं अधिकतम भाव 2452 रूपए प्रति क्विंटल रहा। गेहूं लोकवन न्यूनतम भाव 2750 एवं अधिकतम भाव 2973 रूपए प्रति क्विंटल रहा। गेहूं पूर्णा न्यूनतम भाव 2600 एवं अधिकतम भाव 2722 रूपए प्रति क्विंटल रहा। वहीं आटा 1340-1350, मैदा 1360-1380, रवा 1400-1420 और बेसन 3150-3200 रुपये कट्टा।
चना देसी न्यूनतम भाव 3700 एवं अधिकतम भाव 4900 रूपए प्रति क्विंटल रहा। चना काबुली न्यूनतम भाव 4001 एवं अधिकतम भाव 13000 रूपए प्रति क्विंटल रहा। चना शंकर/बड़ा न्यूनतम भाव 4831 एवं अधिकतम भाव 4882 रूपए प्रति क्विंटल रहा। Gehun ke bhav
(नोट :– यह भाव इंदौर मंडी के हैं।)
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गेहूं के स्टाक को लेकर भी असमंजस
यह कहना कठिन है कि देश में गेहूं की कितनी कमी है अथवा नहीं है। इस समय प्रतिदिन हजारों ट्रक उत्तर प्रदेश एवं बिहार जा रहे हैं। अतः इन राज्यों में गेहूं की बड़ी मात्रा में कमी है। इतनी बड़ी मांग इन दोनों राज्यों की पिछले कुछ दशक में तो नहीं देखी गई। यह स्थिति सरकार को नजर क्यों नहीं आ रही है। आने वाले कुछ महीनों में देशभर में मिल क्वालिटी गेहूं 3000 रुपए बिक जाए तो इसमें भी कोई बढ़ाई नहीं है, क्योंकि पिछले वर्ष भी इसी भाव तक मिल क्वालिटी गेहूं के भाव Gehun ke bhav पहुंच गए थे।
कुछ व्यापारियों का मत है कि गेहूं के भाव Gehun ke bhav में आने वाली तेजी रोकने के लिए सरकार के पास अनेक विकल्प हैं। एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश गेहूं की निकासी रोक दी जावे, रेलवे से परिवहन रोकना, स्टॉक लिमिट लगाने जैसे अनेक विकल्प हैं। इन उपायों में से सरकार ने स्टॉक लिमिट का निर्धारण तो कर दिया है। किंतु सरकार को यह भी याद रखना होगा कि वर्ष 2023 में विधानसभाओं के चुनाव हैं और 2024 में लोकसभा के किसान वर्ग को लाभ कमाने का अवसर नहीं मिलने पर वह कितने नाराज होंगे इसकी कल्पना करना आसान है। Gehun ke bhav
आने वाले समय में गेहूं के भाव की क्या स्थिति रहेगी, जानिए
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा गेहूं के व्यापार में स्टॉक सीमा लागू करने के सम्बन्ध में अधिसूचना जारी कर विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर लायसेंसी अप्रेक्षाएं, स्टॉक सीमा और संचलन प्रतिबंध हटाना (संशोधन) आदेश-2023 जारी किया गया है। इसके अनुसार व्यापारी, थोक विक्रेता, रिटेलर, बिग चेन रिटेलर और प्रोसेसर्स के लिये गेहूं रखने की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है। वहीं सरकार ने गेहूं और आटा सस्ता करने के लिए टेंडर से गेहूं बेचना शुरू कर दिया है। लेकिन इसमें एक नया पेंच मालवराज डील होने से खाने वाला रोटी का गेहूं सस्ता नहीं बिक सकता। Gehun ke bhav
व्यापारी वर्ग आने वाले कुछ महीनों में गेहूं की कमी आना बता रहे हैं। यह स्थिति देश भर में होगी। व्यापारियों के अनुसार पिछले वर्ष के समान ही इस वर्ष भी गेहूं के भाव अगले 2 से 3 माह के दौरान 3000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर पहुंच जाएंगे। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष दिसंबर जनवरी माह के दौरान मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 3100 रुपए प्रति क्विंटल हो गए थे। वहीं लोकवन एवं पूर्णा वैरायटी के गेहूं के भाव Gehun ke bhav में अब कमी होने की उम्मीद नहीं के बराबर है।
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