मक्का/मकई की खेती (Maize Cultivation) करने वाले किसान किट एवं रोग नियंत्रण के लिए यह उपाय अपनाए।
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Maize Cultivation | मक्का (मकई) एक प्रमुख अनाज की फसल है जिसका वैज्ञानिक नाम ज़िया मेज़ है। यह घास परिवार से संबंधित है। मक्का एक बहुपयोगी खरीफ, रबी, और जायद तीनों ऋतुओं में बोई जाने वाली फसल है। मक्का की कई किस्में होती हैं जैसे कि मीठी मक्का, फील्ड क्रॉप, कॉर्न आदि। मक्का में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं।
इसमें विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, मैग्नीशियम और पोटैशियम भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। मक्का विश्वभर में उगाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण फसलों Maize Cultivation में से एक है और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाने में होता है जैसे कि मकई का आटा, मकई का तेल, पॉपकॉर्न, टॉर्टिला आदि।
मक्का का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में भी होता है। मक्का से एथेनॉल, स्टार्च, और अन्य रासायनिक उत्पाद बनाए जाते हैं। मक्का की फसल पर कई प्रकार के कीट हमला कर सकते हैं, जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। यहां मक्का की फसल Maize Cultivation के प्रमुख कीट और उनके नियंत्रण के उपाय दिए गए हैं..
मक्के की फसल के प्रमुख कीट एव उनका नियंत्रण
1. तना छेदक के लक्षण एवं नियंत्रण
Maize Cultivation | तना छेदक मक्का की फसल के लिए सबसे अधिक हानिकारक कीटों में से एक है। यह कीट तनों में सुरंगें बनाकर पौधे को कमजोर कर देता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर गहरा असर पड़ता है। इस कीट को देख्नने से इसकी सुंडियां 20 से 25 मिमी लम्बी और स्लेटी सफेद रंग की होती है। जिसका सिर काला होता है और चार लम्बी भूरे रंग की लाइन होती है।
तना छेदक की सुंडियाँ पधो की तनों में छेद करके अन्दर ही अन्दर अपना भोजन खाती रहती हैं। फसल Maize Cultivation के प्रारम्भिक अवस्था में प्रकोप के फलस्वरूप मृत गोभ बनता है, परन्तु बाद की अवस्था में प्रकोप होने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और भुट्टे छोटे आते हैं एवं हवा चलने पर पौधा बीच से टूट जाता है।
इसके नियंत्रण के लिए किसान खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें। मृत गोभ दिखाई देते ही प्रकोपित पौधों को भी उखाड़ कर नष्ट कर दें। बुवाई करते समय इमिडाक्लोप्रिड 6 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन करें। मक्का फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। मक्के की फसल Maize Cultivation लेने के बाद, बचे हुए अवहशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों सहित ग्रसित हुए पौधे को निकालकर नष्ट कर दें।
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2. मक्का का कटुआ कीट के लक्षण एवं नियंत्रण
Maize Cultivation | इस कीट की सूँडी काले रंग की होती है, जो दिन में मिट्टी में छुपती है। रात को नए पौधे मिट्टी के पास से काट देती है। ये कीट जमीन में छुपे रहते हैं और पौधा उगने के तुरन्त बाद नुकसान करते हैं। कटुआ कीट की गंदी भूरी सुण्डियां पौधे के कोमल तने को मिट्टी के धरातल के बराबर वाले स्थान से काट देती है और इस से फसल को भारी हानि पहुंचाती है। सफेद गिडार पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
इसके रासायनिक नियंत्रण के लिए किसान इथोफेंप्रॉक्स 10 ई.सी. एक लीटर प्रति हेक्टेयर 500 से 600 पानी में घोलकर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर छिडक़ाव करें। इमिडाक्लोप्रिड 6 मिली प्रति किलोग्राम बीज दर से बीज शोधन करें। मक्का फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। मक्के की फसल Maize Cultivation लेने के बाद, बचे हुए अवशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें। ग्रसित हुए पौधे को निकालकर नष्ट कर दें एवं खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें।
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3. मक्का की सैनिक सुंडी के लक्षण एवं नियंत्रण
सैनिक सुंडी हल्के हरे रंग की, पीठ पर धारियां और सिर पीले भूरे रंग का होता है। बड़ी सुंडी हरी भरी और पीठ पर गहरी धारियाँ होती हैं। यह कुंड मार के चलती है। सैनिक सुंडी ऊपर के पत्ते और बाली के नर्म तने को काट देती है। अगर 4 सैनिक सुंडी प्रति वर्गफुट मिले तो इनकी रोकथाम आवश्यक हो जाती है। : Maize Cultivation
इसके नियंत्रण के लिए किसान सैनिक सुंडी को रोकने के लिए 100 ग्राम कार्बोरिल, 50 डब्लू.पी. या 40 मिलीलीटर फेनवलरेट, 20 ई.सी. या 400 मिली क्विनालफॉस 25 प्रतिशत ई.सी. प्रति 100 ली. पानी में घोल कर 12 से 15 दिनों के अंतराल पर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें। इसके अलावा खेत में पड़े पुराने खरपतवार और अवशेषों को नष्ट करें। इमिडाक्लोप्रिड 6 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज दर से बीज शोधन करें। मक्का फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें एवं हर 7 दिन के अंतराल पर फसल Maize Cultivation का निरीक्षण करें।
4. फॉल आर्मीवर्म के लक्षण एवं नियंत्रण
यह एक ऐसा कीट है, जो कि एक मादा पतंगा अकेले या समूहों में अपने जीवन काल में एक हजार से अधिक अंडे देती है। इसके लार्वा मुलायम त्वचा वाले होते हैं, जो कि उम्र बढऩे के साथ हल्के हरे या गुलाबी से भूरे रंग के हो जाते हैं। अण्डों की ऊष्मायन अथवा इंक्यूबेसन अवधि 4 से 6 दिन तक की होती है। इसके लार्वा पत्तियों को किनारे से पत्तियों की निचली सतह और मक्के Maize Cultivation के भुट्टे को भी खाते हैं। लार्वा का विकास 14 से 18 दिन में होता है।
इसके बाद प्यूपा में विकसित हो जाता है, जो कि लाल भूरे रंग का दिखाई देता है। यह 7 से 8 दिनों के बाद वयस्क कीट में परिवर्तित हो जाता है। इसकी लार्वा अवस्था ही मक्का की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती है। नियंत्रण के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए, जैसे नाईट्रोजन की मात्रा का ज्यादा प्रयोग न करें। फसल में कीट नियंत्रण हेतु बायोवेल का जैविक कीटनाशी बायो सेवियर की 200 मिली. मात्रा का प्रति एकड़ में प्रयोग करना चाहिए।
खेत में पड़े पुराने खरपतवार और फसल अवशेषों को नष्ट कर दें। मृत गोभ दिखाई देते ही प्रभावित पौधों Maize Cultivation को भी उखाड़ कर नष्ट कर दें। मक्के की फसल लेने के बाद, बचे हुए अवशेषों, खरपतवार और दूसरे पौधों को नष्ट कर दें। फसल बुवाई के तुरंत बाद पक्षियों के बैठेने के लिए जगह हेतु प्रति एकड़ 8 से 10 टी आकार की खूंटिया खेत में लगा दें। फॉल आर्मीवर्म को रोकने के लिए 10 से 12 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगा दें। समन्वित कीट के नियंत्रण हेतु प्रति एकड़ में 5 से 10 ट्राइकोकार्ड का प्रयोग करें।
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