किसानों को Mung Bean Farming मालामाल करेगी, मूंग की ये किस्म, 63 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है, देखें डिटेल..
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Mung Bean Farming | रबी सीजन लगभग अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर हो गया है। सीजन की अगेती फसल आलू लगभग आ चुकी है, वहीं गेहूं भी पककर तैयार हो गए हैं।
आलू की खेती करने वाले किसानों ने प्याज लगाए हैं, वही गेहूं की खेती करने वाले किसान गेहूं काटने पर मूंग की खेती करने की तैयारी में जुट गए हैं।
मूंग ग्रीष्म और खरीफ दोनो मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है। इसके दाने का इस्तेमाल मुख्य रूप से दाल के लिए किया जाता है जिसमें 24-26% प्रोटीन, 55-60% कार्बोहाइड्रेट और 1.3% वसा होता है। : Mung Bean Farming
ग्रीष्म काल के दौरान किसान मूंग की खेती करके अच्छा फायदा कमाते हैं मध्य प्रदेश में धीरे-धीरे मूंग की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है, किसान भाई उन्नत किस्मों और उत्पादन की उन्नत तकनीक को अपनाकर बंपर उत्पादन पा सकते हैं। मूंग की ऐसी ही एक टॉप वैरायटी के बारे में आइए जानते हैं..
63 से 70 दिन में पककर तैयार होगी यह किस्म
Mung Bean Farming | मूंग की नई किस्म MH1142 63 से 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह मौजेक, पत्ता झूरी, पत्ता मरोड़ जैसे विषाणु रोग तथा सफेद चुर्णी जैसे फफूंद रोगों की प्रतिरोधी है। इस किस्म की बुवाई खरीफ मौसम के साथ-साथ ग्रीष्म काल में भी आसानी से की जा सकती है।
मूंग की इस किस्म की खासियत यह है कि इसकी फसल एक साथ पककर तैयार होती है। इसका पौधा कम फैलावदार, सीधा और सीमित बढ़वार वाला है, जिससे इसकी कटाई आसान हो जाती है। : Mung Bean Farming
यह किस्म अलग-अलग राज्यों में 63 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार 12 क्विंटल से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आंकी गई है।
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जीरो टिलेज से बुवाई फायदेमंद
Mung Bean Farming | गेहूं की हार्वेस्टिंग के बाद हैप्पी सीडर मशीन के माध्यम से जीरो टिलेज तकनीक का उपयोग करते हुए मूंग की बुआई करना फायदेमंद है।
इससे पराली (फसल अवशेष) भी खेत में ही सड़ जाते हैं और भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ती है। फलस्वरूप मूंग का उत्पादन भी ज्यादा मिलता है।
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यह खाद हैं मूंग की फसल के लिए उपर्युक्त
Mung Bean Farming | मूंग की खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान भाई इन उर्वरकों का इस्तेमाल करें, जिससे कि उनकी फसल में अच्छी पैदावार हो सके।
अगर आप ने एक हेक्टर जमीन में मूंग की खेती करनी है तो बीज बुवाई से पहले नाइट्रोजन 20 किलोग्राम और सल्फर 50 किलोग्राम और डायअमोनियम फास्फेट डी.ए.पी. खाद भी देना चाहिए। साथ ही 20 किलो के हिसाब से पोटाश भी डालना चाहिए।
इसका भी करें उपयोग
Mung Bean Farming | टेक्नोजेड खाद आधुनिक ओआरटी तकनीक आधारित सूक्ष्म कणों द्वारा तैयार किया जिंक उर्वरक है।
इस में जिंक ऑक्साइड 14% और सल्फर 67% डब्ल्यूडीजी (WDG) पाया जाता है। मूंग के पौधे की जड़ो अधिक जिंक अवशोषित करती है। इस लिए इन खाद की कम मात्रा में भी अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
सल्फर पौधे को प्रोटीन, क्लोरोफिल, एंजाइम गतिविधि यह मूंग की फसल में उत्पादन बढ़ाने का कार्य करता है। सल्फर में एमिनो एसिड और विटामिन का घटक पाया जाता है।
मूंग के पौधे को सल्फर की कमी होने से पौधे की विकास रुकजाती है और उत्पादन भी कम प्राप्त होता है। इन से उत्पादन की क्वालिटी भी अच्छी होती है। : Mung Bean Farming
मूंग में कितनी सिंचाई करें?
मूंग की फसल में पानी की कम आवश्यकता होती है। ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की अच्छी वृद्धि व विकास के लिए 3 से 4 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
अनावश्यक रूप से सिंचाई करने पर पौधे की वानस्पतिक वृद्धि ज्यादा हो जाती है, जिसका उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। : Mung Bean Farming
अत: सिंचाई आवश्यकतानुसार व हल्की करें। ऐसे किसान जिन्होंने पिछले महीने मूंग की बुआई कर दी है वे किसान 25 से 30 दिन की फसल हो जाने पर पहली सिंचाई करें।
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डिटेल के साथ साथ किसानों को बिज कहां से मिलेगा यह भी बताया करें नहीं तो एसी बात का मतलब नहीं है ।
Ok
mung beej milane ki jagah……. Amethi u.p.