मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में धान की फसल (Paddy Crop) में भूरा धब्बा नामक बीमारी लग रही है। जानें इसके लक्षण एवं बचाव के तरीके।
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Paddy Crop | खरीफ सीजन में अधिकतर किसान धान की खेती करना पसंद करते है, क्योंकि इसकी खेती से अच्छा मुनाफा लिए जा सकता है। अभी खरीफ धान की फसल 10 से 15 दिनों की हो चुकी है। मध्य प्रदेश, भारत का एक प्रमुख कृषि राज्य, धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां के किसानों की आय और खाद्यान्न सुरक्षा का मुख्य स्रोत है।
इस समय प्रदेश के कई इलाकों में भूरा धब्बा नामक बीमारी का प्रकोप देखा जा रहा है। कृषि विभाग के मुताबिक, ये एक गंभीर बिमारी है। अगर इसकी रोकथाम नहीं की जाए तो यह फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकती है। आइए आपको बताते है इस बीमारी के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय.. Paddy Crop
क्या है भूरा धब्बा रोग एवं इसके लक्षण ?
भूरा धब्बा को हेल्मिन्थोस्पोरियम ब्लाइट या ब्राउन लीफ स्पॉट भी कहा जाता है, धान की फसल में एक महत्वपूर्ण फंगल रोग है। यह रोग मुख्यतः हेल्मिन्थोस्पोरियम ओरिजाए नामक फंगस के कारण होता है और धान की पत्तियों, तनों और फलों पर असर डालता है। धान की फसल में भूरा धब्बा रोग लगता है तो, इसमें रोग के लक्षण देखें का सकते है। Paddy Crop
यदि किसानों को पत्तियों पर छोटे-छोटे गोल या अंडाकार भूरे धब्बे दिखाई देते हैं, जिनके किनारे गहरे भूरे या लाल-भूरे होते हैं। रोग के बढ़ने पर पत्तियां सूखने लगती हैं और उनकी हरियाली समाप्त हो जाती है। भूरा धब्बा रोग दानों को भी प्रभावित करता है, जिससे उनका रंग और गुणवत्ता खराब हो जाती है। इसके अलावा रोग के कारण पौधों का विकास धीमा हो जाता है और उनकी उत्पादकता कम हो जाती है।
किस कारण होता है भूरा धब्बा रोग?
भूरा धब्बा निम्न कारणों से फसल में फैलता है, जैसे फंगस के संक्रमण, अनुकूल मौसम, संक्रमित बीज एवं पोषक तत्वों की कमी के चलते होता है। फसल में हेल्मिन्थोस्पोरियम ओरिजाए फंगस के संक्रमण के कारण यह रोग होता है। यह फंगस हवा, पानी और संक्रमित पौधों के अवशेषों के माध्यम से फैलता है। Paddy Crop
गर्म और आर्द्र मौसम भूरा धब्बा के फैलाव के लिए अनुकूल होते हैं संक्रमित बीजों के उपयोग से भी यह रोग फैल सकता है। इसके अलावा विशेषकर नाइट्रोजन और पोटैशियम की कमी से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे इस रोग के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
धान की फसल में भूरा धब्बा रोग के नुकसान
धान की फसल में भूरा धब्बा के कारण धान की फसल का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। रोगग्रस्त फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है, जिससे बाजार में उसकी कीमत कम हो जाती है। यदि समय पर उपचार न किया जाए, तो फसल की उम्र भी कम हो जाती है और पौधे समय से पहले मर सकते हैं। Paddy Crop
रोग प्रबंधन के लिए अधिक उर्वरक और कीटनाशकों की आवश्यकता होती है, जिससे खेती की लागत बढ़ जाती है। धान मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण उद्योग है। भूरा धब्बा के कारण धान की गुणवत्ता में कमी आने से उद्योग पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। भूरा धब्बा के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। उन्हें फसल से कम आमदनी प्राप्त होती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। Paddy Crop
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भूरा धब्बा रोग हेतु नियंत्रण के लिए ये दवाई डालें
कृषि विभाग का कहना है की, धान की फसल में भूरा धब्बा रोग के प्रबंधन एवं रोकथाम के लिए बुवाई के समय या तो धान की उन किस्मों का चयन करना चाहिए जो भूरा धब्बा के प्रति प्रतिरोधी हों। संतुलित उर्वरक उपयोग करना चाहिए जिससे पौधों को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो सकें। फसल चक्रण अपनाना चाहिए जिससे मिट्टी में रोगजनक जीवाणुओं का संचय न हो। Paddy Crop
खेत की सफाई और कीट नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि रोग फैलने से बचा जा सके। जैविक उपाय में जैविक उपायों का उपयोग करना चाहिए जैसे कि नीम का तेल, ट्राइकोडर्मा, और अन्य जैविक कवकनाशी का उपयोग करें। पौधों की समय पर निगरानी करनी चाहिए और रोग के शुरुआती लक्षणों का पता चलने पर त्वरित उपाय करने चाहिए। इसके अलावा बोआई से पहले बीजों को कवकनाशकों से उपचारित करना चाहिए ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके। Paddy Crop
धान की फसल में भूरा धब्बा रोग नियंत्रण के लिए दवाई
कृषि विभाग के वैज्ञानिक ने किसानों को बताया की, मध्यप्रदेश के जिन स्थानों पर भूरा धब्बा रोग देखा जा रहा है की, इसके लिए थाईरम 2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज से उपचारित करें या कार्बेंडाजिम 1.5 ग्रा./ कि.ग्रा. बीज से उपचारित करें। मेनेकोजेब 0.25 प्रतिशत की दर से 10 से 15 दिन के अंतराल में लक्षण दिखते ही छिड़काव कर सकते है। Paddy Crop
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