ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती (Moong Farming) के लिए समसामयिक सलाह कृषि वैज्ञानिकों से जानिए..
👉 व्हाट्सऐप चैनल को फॉलो करें।
Moong Farming | जायद सीजन के दौरान मुख्य रूप से मूंग, मूंगफली, मक्का, उड़द एवं धान फसल ली जाती है। इसमें सबसे प्रमुख एवं किसानों को मुनाफा देने वाली फसल मूंग है, जिसे जायद में सबसे अधिक क्षेत्र में प्रदेश के किसान अपनाने लगे हैं।
चालू जायद वर्ष 2025 में लगभग 11 लाख 59 हजार हेक्टेयर में मूंग लेने का लक्ष्य रखा गया है। समर्थन मूल्य में बेहतर कीमत मिलने के कारण गत वर्ष किसानों को लाभ हुआ, इसे देखते हुए लक्ष्य में इस वर्ष 1 लाख हेक्टेयर की वृद्धि की गई है तथा किसान मूंग (Moong Farming) लगाने के प्रति उत्साहित भी हैं।
राज्य में इस वर्ष 13 लाख 47 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में जायद फसलें लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसके विरुद्ध अब तक 1.11 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोवनी हो गई है।
वहीं कई क्षेत्रों में बनी का कार्य चल रहा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक 15 अप्रैल तक होगी। मूंग की फसल 2 महीने में पककर तैयार हो जाती है। मूंग की खेती (Moong Farming) में उर्वरक प्रबंधन एवं खरपतवार नियंत्रण कैसे करें, आइए कृषि विशेषज्ञों से जानते हैं..
मूंग की फसल में उर्वरक प्रबंधन
Moong Farming | सामान्यतः उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर किया जाना चाहिए। मूंग की फसल के लिये 15-20 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-50 कि.ग्रा. फॉस्फोरस, 40 कि.ग्रा. पोटाश एवं 20 कि.ग्रा. सल्फर प्रति हैक्टर की दर से बुआई के समय कूंड़ों में देना चाहिए।
कुछ क्षेत्रों में जिंक की कमी की अवस्था में 15-20 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की दर से जिंक सल्फेट का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही 5.0 टन/ हैक्टर की दर से गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए।
अच्छी वृद्धि व विकास के लिये सिंचाई प्रबंधन
मूंग की फसल (Moong Farming) लगभग दो से ढाई महीने में तैयार हो जाती है। इस कारण से सिंचाई की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती है। सही मायने में ग्रीष्मकालीन मूंग एक बोनस फसल की तरह काम करती है। मूंग व उड़द की फसल में पानी की कम आवश्यकता होती है।
ग्रीष्मकालीन मूंग व उड़द की फसल की अच्छी वृद्धि व विकास के लिये 3 से 4 सिंचाई आवश्यक हैं। अनावश्यक रूप से सिंचाई करने पर पौधों की वानस्पतिक वृद्धि ज्यादा हो जाती है, जिसका उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः सिंचाई आवश्यकतानुसार व हल्की करें।
👉 व्हाट्सऐप चैनल को फॉलो करें।
मुंग फसल में खरपतवार नियंत्रण जरूरी | Moong Farming
जिन क्षेत्रों में मूंग की बुवाई हो चुकी है वहां पर बुआई के प्रारंभिक 4-5 सप्ताह तक खरपतवार की समस्या अधिक रहती है। पहली सिंचाई के बाद निराई करने से खरपतवार नष्ट होने के साथ-साथ मृदा में वायु का संचार भी होता है। यह मूल ग्रन्थियों में क्रियाशील जीवाणुओं द्वारा वायुमण्डलीय नाइट्रोजन एकत्रित करने में सहायक होता है।
खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण हेतु 2.5-3.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर बुआई के 2 से 3 दिनों के अन्दर अंकुरण के पूर्व छिड़काव करने से 4 से 6 सप्ताह तक खरपतवार नहीं निकलते हैं। : Moong Farming
ये भी पढ़ें 👉 बढ़ता तापमान किसानों के लिए परेशानी! इस समय गर्मी का असर रोकने के लिए टमाटर, मिर्च, बैंगन की फसल में यह दवा छिड़कें
चौड़ी पत्ती तथा घास वाले खरपतवार को रासायनिक विधि से नष्ट करने के लिये एलाक्लोर की 4 लीटर या फ्लूक्लोरालिन (45 ईसी) नामक रसायन की 2.22 लीटर मात्रा का 800 लीटर पानी में मिलाकर बुआई के तुरन्त बाद या अंकुरण से पहले छिड़काव कर देना चाहिए। अतः बुआई के 15-20 दिनों के अन्दर कसोले से निराई-गुड़ाई कर खरपतवारों को नष्ट कर देना चाहिए।
बुवाई के पहले बीज उपचार जरूर करें
जैसा की मूंग (Moong Farming) की बुवाई का कार्य अभी चल रहा है ऐसे में किसान साथियों को बीजों के अच्छे अंकुरण तथा स्वस्थ पौधों की पर्याप्त संख्या हेतु बीजों को कवकनाशी से बीज उपचार करने की सलाह दी जाती है।
इसके लिये प्रति कि.ग्रा. बीज को 2 से 2.5 ग्राम थीरम तथा 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचार करने के बाद राइजोबियम कल्चर / टीका से बीजोपचार करना चाहिए।
उपचार हेतु 500 मि.ली. स्वच्छ जल में 100 ग्राम गुड़ एवं 2 ग्राम गोंद को पानी में मिलाकर गर्म कर लेना चाहिए। इसके बाद इसे ठंडा करके एक पैकेट राइजोबियम कल्चर/ टीका (10 कि.ग्रा. बीज) मिलाकर अच्छी तरह बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए व उपचारित बीजों को छाया में ही सुखाना चाहिए। बुआई के समय बीज डालने से पहले सल्फर धूल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इसी प्रकार फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया (पीएसबी) से बीज का शोधन करना भी लाभदायक होता है। : Moong Farming
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मृदा एवं बीजजनित कई कवक एवं जीवाणुजनित रोग होते हैं, जो मृदा अंकुरण होते समय तथा अंकुरण होने के बाद बीजों को काफी क्षति पहुंचाते हैं। मूंग की फसल को कवक एवं जीवाणु जनित रोग से बचाना है तो बीज उपचार जरूर करना चाहिए।
खेती किसानी की नई नई जानकारी से अपडेट रहने के लिए आप हमारे व्हाट्सएप चैनल को फॉलो कर सकते है।
👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।
यह भी पढ़िए….👉 मार्च से लेकर जून-जुलाई तक करें बाजरे की इन टॉप किस्मों की बुवाई, मिलेगा जबरदस्त फायदा..
👉 मार्केट में आई बुवाई की नई मशीन, अब खेतों में आसानी से होगी बीज की बुवाई, जानें खासियत एवं कीमत
प्रिय पाठकों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.