रबी के सीजन मे कौन सा मक्का लगाए और अधिक उत्पादन लेने के लिए क्या करें, जानें

मक्का की खेती (Maize Cultivation) से बेहतर उत्पादन के लिए क्या करें, जानें सटीक जानकारी..

Maize Cultivation | रबी फसलों की बुवाई का काम जारी है। इस समय मक्के की बुवाई भी हो रही है। कई किसानों से हमारे पास यह क्वेरी आ रही थी की, वह रबी सीजन में कौन सा मक्का लगाए या कौन सी किस्म का चयन करें एवं अधिक उत्पादन लेने के लिए क्या करें। ऐसे में आज हम आपको यहां चौपाल समाचार के इस आर्टिकल के माध्यम से मक्का की उन्नत किस्मों के बारे में बताएंगे। साथ ही अधिक पैदावार के लिए किसान भाइयों को क्या करना चाहिएं। Maize Cultivation के बारे में सबकुछ जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़ें..

पहले जानें मक्का की टॉप 5 किस्में..

1. पूसा सुपर स्वीट कॉर्न -1 संकर किस्म

Maize Cultivation : मक्का की पूसा सुपर स्वीट कार्न-1 किस्म को खरीफ सीजन तथा सिंचित क्षेत्र के लिए वर्ष 2018 में अधिसूचित किया गया है। इस किस्म के मक्के की खेती उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों- जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, (पहाड़ियों) और उत्तर पूर्वी राज्य, उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र-पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड (मैदानी क्षेत्र) और पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र बिहार, झारखंड, ओडिशा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के लिए अनुमोदित की गई है।

मक्के Maize Cultivation की यह किस्म 74 से 81 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इस किस्म के मक्के की उपज क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग है। उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र इसकी औसत उपज 98.4 क्विंटल, उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र 97 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र 75.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में 101 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।

वहीं इस किस्म के मक्का की संभावित उपज 126.6 क्विंटल उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र, 118.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, 105.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र और 111.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए है। मक्के Maize Cultivation की इस किस्म से सर्वाधिक उपज प्राप्त होगी।

2. पूसा सुपर स्वीट कॉर्न-2

मक्का Maize Cultivation की यह किस्म को खरीफ सिंचित क्षत्रों हेतु विकसित की गई है। इसकी खेती उत्तर और दक्षिण भारत में की जा सकती है। मक्के की इस किस्म को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए अनुमोदित किया गया है।

यह किस्म 77 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता औसतन 95 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि संभावित उपज 102 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। मक्के Maize Cultivation की इस किस्म का उपयोग हरे चारे तथा हरे भुट्टे के लिए किया जाता है। औसत हरा भुट्टा उपज 128 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। जबकि हरे चारे के रूप में 183 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसकी उपज मिल सकती है।

3. पूसा जवाहर हाइब्रिड मक्का-1 (संकर)

मक्का Maize Cultivation की इस किस्म को वर्ष 2019 में अधिसूचित किया गया है, जिसे खरीफ सीजन तथा सिंचित क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। साथ ही साथ यह प्रोटीन युक्तमक्के की प्रजाति है। मक्के की इस किस्म का औसत उत्पादन 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि संभावित उपज 103 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं। मक्के की यह किस्म मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त है।

4. पूसा एच क्यू पी एम 5 संकर

Maize Cultivation मक्के की इस किस्म को वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया था। यह किस्म मक्का का उत्पादन बढ़ाने और किसानों को लागत कम करने के लिए बाजार में उपलब्ध सर्वोत्तम किस्मों में से एक है। मक्का की यह किस्म संक्रमण प्रतिरोधी होने के कारण सामान्य किस्मों की तुलना में कम बीमारियाँ पैदा करती है, जिससे किसानों को कीटनाशकों और अन्य दवाओं पर अधिक खर्च नहीं करना पड़ता है। पूसा एचक्यूपीएम 5 उन्नत किस्म 88 से 111 दिनों में पक जाती है।

प्रति हेक्टेयर 104.1 क्विंटल की औसत उपज के कारण देश के कई क्षेत्रों में इस किस्म Maize Cultivation से बड़े पैमाने पर मक्का का उत्पादन होता है। हालाँकि, इस किस्म की उपज भी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होती है। इस किस्म की खेती पहाड़ी और पठारी क्षेत्रों में अच्छी तरह से की जाती है। इस किस्म को चुनने से पहले किसान अपने नजदीकी कृषि सलाहकार से संपर्क जरूर करें और मिट्टी की जांच भी करा लें। इस बीज से आसपास के वातावरण और सही मिट्टी की गुणवत्ता और क्षेत्र के अनुसार मक्का की खेती तय की जा सकती है।

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5. एचएम – 11 (HM – 11)

मक्का Maize Cultivation की यह किस्म यह देर से पकने वाली किस्म है, जिसे पकने में 95 से 120 दिन का समय लग सकता है। संकर मक्का की यह उन्नत किस्म कई रोगों के प्रति सहिष्णु है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह अच्छी उपज देती है. इसके साथ ही संक्रमण प्रतिरोधी होने के कारण किसानों को इस किस्म की मक्का की खेती में लागत भी कम आती है। संकर मक्का की यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। इस किस्म से किसान 70 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन कर सकते हैं।

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मक्का की अन्य उन्नत किस्में

मक्का Maize Cultivation की ऊपर दी गई टॉप 5 किस्मों की बुवाई के अलावा पूसा विवेक हाइब्रिड 27 संकर, पूसा विवेक क्यू पी एम 9 संकर, पूसा एच एम 4 संकर, पूसा एच एम 8 संकर, पूसा एच एम 9 संकर, पूसा विवेक हाइब्रिड 27 संकर, पूसा एच क्यू पी एम 5 संकर आदि मक्का को लगाकर भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है। ध्यान रहे, हवा-पानी मिट्टी के हिसाब से पैदावार कम ज्यादा हो सकती है।

मक्का की खेती के लिए खेत तैयारी

मक्के की खेती Maize Cultivation के लिए भूमि की तैयारी करते समय 5 से 8 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद खेत मे मिलानी चाहिए तथा भूमि परीक्षण उपरांत जहां जस्ते की कमी हो वहां 25 किलो जिंक सल्फेट वर्षा से पूर्व डालनी चाहिए। खेतों में डाले जाने वाले खाद व उर्वरक की मात्रा भी चुनी हुयी प्रजाति पर ही निर्भर करती है।

मक्का की खेती के दौरान खाद व उर्वरक की सही विधि अपनाने से मक्का की वृद्धि और उत्पादन दोनों को ही फ़ायदा होता है। जैसे कि डाली जाने वाली पूरी नाइट्रोजन की मात्रा का तीसरा भाग Maize Cultivation बुआई के समय, दूसरा भाग लगभग एक माह बाद साइड ड्रेसिंग के रूप में, तथा तीसरा और अंतिम भाग नरपुष्पों के आने से पहले। फ़ोसफ़ोरस और पोटाश दोनों की पूरी मात्रा को बुआई कि समय मिट्टी में डालना चाहिए जिससे ये पौधों के जड़ो से होकर पौधों में पहुँच सके और उनकी वृद्धि में अपना योगदान दे सकें।

मक्के से अधिक पैदावार लेने के लिए क्या करें?

मक्का Maize Cultivation को विभिन्न प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। ऐसी भूमि का चयन करें जहां जल निकास की उचित व्यवस्था हो। खेत की 2-3 जुताई करने के बाद पाटा चला दें और मक्का की बुआई मेड़ों पर करें।

बुवाई : मक्के की बुवाई निश्चित समय अक्टूबर-नवंबर में कर देवे। उसके बाद बुवाई के समय बीज की मात्रा संकर किस्मों की 12 से 15 किलो/हे., कम्पोजिट किस्मों की 15 से 20 किलो/हे., हरे चारे के लिए के लिए 40 से 45 किलो/हेक्टेयर रखें।

बीजोपचार : मक्के की अच्छी पैदावार के लिए बीज को बोने से पूर्व किसी फंफूदनाशक दवा जैसे थायरम या एग्रोसेन जी.एन. 2.5-3 ग्रा./कि. बीज का दर से उपचारीत करके Maize Cultivation बोना चाहिए। एजोस्पाइरिलम या पी.एस.बी.कल्चर 5-10 ग्राम प्रति किलो बीज का उपचार करें।

उर्वरक : मक्के की अच्छी पैदावार के लिए किसान भाई खेत की उर्वरक की मात्रा का अवश्य ध्यान रखें। बुवाई Maize Cultivation के समय 50 किलो/एकड़ डीएपी, 34 किलो/एकड़ एमओपी एवं 10 किलो/एकड़ जिंक सल्फेट का उपयोग करें। वही बुवाई के 25-30 दिन बाद 50 किलो/एकड़ यूरिया का प्रयोग करें। जिसके 45-50 दिन बाद 35 किलो/एकड़ यूरिया का उपयोग करें।

खरपतवार नियंत्रण : खरपतवारों के नियंत्रण के लिए एट्राजीन 500 ग्राम मात्रा को 150-200 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ की दर से बुआई के तुरन्त बाद या बुआई के 3 दिन के अन्दर छिड़काव करें। यदि Maize Cultivation बुआई के 3 दिन के अन्दर छिड़काव नही कर पाए तो एट्राजीन का छिडकाव 15-20 दिन के बाद खरपतवार उगने पर 400 ग्राम/एकड़ की दर से कर सकते हैं।

कीट एवं रोग प्रबंधन : मक्के की खेती Maize Cultivation में खरपतवार के बाद सबसे ज्यादा नुकसान कीट एवं रोग से होता है। इसके बचाव के लिए सामान्य से उपाय अवश्य कर लेवे। जैसे की, एक ही कीटनाशक का उपयोग बार-बार नहीं करना चाहिए। फसल कटाई के समय खेत में गहरी जुताई करनी चाहिये जिससे पौधे के अवशेष व कीट के प्यूपा अवस्था नष्ट हो जाये। मक्का की कीट प्रतिरोधी प्रजाति का उपयोग करना चाहिए।

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