भीषण गर्मी में बेहतर उपज निकालने वाला गेंहू का बीज तैयार। आइए जानते है नए किस्म (New Wheat Variety) की बीज की जानकारी।
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New Wheat Variety | किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय गेंहू के नए नए बीज ईजाद करता रहा है। इन उन्नत बीजों की खासियत बढ़िया होने के चलते किसान इनसे बंपर पैदावार निकालते है।
इसी कड़ी में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने गेहूं की नई प्रजातियां विकसित की हैं जो अधिक गर्मी सहने में सक्षम हैं। इन बीज की खासियत भी बढ़िया है।
कृषि वैज्ञानिकों की स्टडी के अनुसार, ये प्रजातियां 43 डिग्री तापमान तक में दाने नहीं सिकुड़ते और पैदावार पर विपरीत असर नहीं पड़ता। ओलावृष्टि का भी असर नहीं होता।
प्रति हेक्टेयर उत्पादन 35 से 60 क्विंटल पाया गया है। तापमान सहनशीलता वाली प्रजाति प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल उत्पादन देती है। आइए आर्टिकल में जानते है कौन से है वह बीज / New Wheat Variety…
यह है वह गेंहू की 2 नई किस्में | New Wheat Variety
लगातार बढ़ रहे तापमान से गेहूं के कम पैदावार का खतरा मंडरा रहा है। गेहूं की बाली में दाने कमजोर होकर सिकुड़ रहे हैं लेकिन चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी (सीएसए) विश्वविद्यालय के फार्म और कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के खेतों में गेहूं की फसल लहलहा रही है। यह गेहूं की ऐसी नई प्रजातियां हैं जो अधिक गर्मी सहने में सक्षम हैं।
43 डिग्री तापमान तक में इन प्रजातियों के दाने नहीं सिकुड़ते और पैदावार पर विपरीत असर नहीं पड़ता। ओलावृष्टि का भी असर नहीं होता। प्रति हेक्टेयर उत्पादन भी 35 से 60 क्विंटल पाया गया है।
विश्वविद्यालय के निदेशक बीज प्रक्षेत्र डा. विजय कुमार यादव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का असर पिछले दो साल से दिख रहा है। कभी तापमान बढ़ता तो कभी घटता है। : New Wheat Variety
टर्मिनल हीट स्ट्रेस यानी पुष्पन के बाद और दाना विकास के दौरान तापमान में वृद्धि (30 डिग्री सेल्सियस से अधिक) हो रही है जो गेहूं में दाना भरने की प्रक्रिया को बाधित करता है।
फसल की पैदावार कम हो जाती है। सीएसए ने कई साल पहले ही इस समस्या को ध्यान में रखकर काम शुरू किया और हलना (के-7903) और उन्नत हलना (के-9423) प्रजाति विकसित की है।
इन दोनों प्रजातियों (New Wheat Variety) की विशेषता है कि ये 90 दिन में तैयार हो जाती हैं। 15 जनवरी तक बोआई की जा सकती है। अचानक तापमान घटने बढ़ने का असर इस पर नहीं पड़ता है। 43 डिग्री के तापमान में भी दाना नहीं सिकुड़ता।
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सीएसए में लगी गेंहूं की जलवायु सहनशील प्रजातियां
New Wheat Variety | कुलपति सीएसए प्रो. आनंद कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया की, के-1317 गेहूं की सामान्य प्रजाति है जो 120 दिन में तैयार होती है लेकिन केवल दो सिंचाई करनी जरूरी होती है। इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 50 से 55 क्विंटल है। तापमान बढ़ने का इसके दानों पर असर नहीं होता।
यह प्रजाति ओलावृष्टि भी झेल सकती है। विश्वविद्यालय ने 2022 में के-1616 को विकसित किया है। तापमान सहनशीलता वाली यह प्रजाति प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल उत्पादन देती है।
विश्वविद्यालय की चार ऐसी प्रजातियां हैं जो मौसम के उतार – चढ़ाव को बर्दाश्त कर लेती हैं। कृषि क्षेत्रों में इस साल 1300 क्विंटल से अधिक का उत्पादन लक्ष्य है। जिससे किसानों को जरूरत के अनुसार बीज दिया जा सके। : New Wheat Variety
स्प्रिंकलर से करें गेहूं की सिंचाई तो गर्मी का असर होगा कम
New Wheat Variety | फरवरी और मार्च में बढ़ रहा तापमान गेहूं की फसल के लिए हानिकारक हो सकता है। ये समय गेहूं की बालियों में दाने भरने का है। सामान्य से अधिक गर्मी होने से दानों के सिकुड़ने का खतरा बढ़ गया।
आकार छोटा रहने पर उत्पादन कम होना तय है। मार्च के अंत तक तापमान 40 डिग्री के आसपास रहता है तो उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
मौसम विशेषज्ञ डा. एसएन सुनील पांडेय के अनुसार गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए गेहूं के केत में स्प्रिंकलर से सिंचाई करनी चाहिए, इससे पानी के वाष्पीकरण को कम किया जा सकता है। हवा की गति कम रहने पर ही सिंचाई करें। शाम के समय सिंचाई करने पर फसल खराब होने का खतरा कम हो जाता है। : New Wheat Variety
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