गेंहू की बंपर पैदावार के लिए कौन सा रसायनिक खाद कब एवं कितना डालना चाहिए ? जानें सटीक जानकारी

किसानों को रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए रासायनिक खाद (Fertilizer in wheat) का कैसे इस्तेमाल करना है, कृषि विशेषज्ञों से जानिए।

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1 किसानों को रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए रासायनिक खाद (Fertilizer in wheat) का कैसे इस्तेमाल करना है, कृषि विशेषज्ञों से जानिए।

Fertilizer in wheat | पूरे देशभर में गेंहू एवं अन्य रबी फसलों की बुवाई का काम चल रहा है। सभी किसान भाई अच्छी पैदावार के लिए गेंहू की फसल के लिए खाद की व्यवस्था में जुटे हुए है। कई किसान भाइयों को सही जानकारी ना होने की वजह से वह धड़ल्ले से खाद-उर्वरक का इस्तेमाल करते है। अमूमन किसानों को इसकी हानियां नहीं पता होती है।

आपको बता दे की, ज्यादा खाद-उर्वरक के उपयोग से मिट्टी को गुणवत्ता क्षीण होती है वही कुछ सालो बाद में साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते है। ऐसे में आज हम आपको चौपाल समाचार के इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि खाद उर्वरक का उपयोग कब, कितना एवं कितने दिनों के अंतराल में करना चाहिए। यहां आपको पूरी सटीक जानकारी दी जायेगी। पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल के अंत तक जरूर पढ़ें..

गेंहू की खेती के लिए मृदा व खेत की तैयारी

गेहूँ की खेती (Fertilizer in wheat) के लिये बलुई दोमट, उर्वरा व अच्छी जलधारण क्षमतायुक्त मिट्टी उपयुक्त रहती हैं। इसकी खेती अधिकांशतः सिंचित क्षेत्रों में की जाती है लेकिन भारी चिकनी मिट्टी व पर्याप्त जलधारण क्षमता वाली भूमि में असिंचित परिस्थितियों में भी बोया जा सकता है। खेत को अच्छी तरह तैयार करने के पश्चात् दीमक एवं भूमि में रहने वाले अन्य कीटों की रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किग्रा प्रति हैक्टर की दर से बीज बोने से पहले अंतिम जुताई के समय खेत में मिलावें।

गेंहू की बुवाई का उपर्युक्त समय व बीज दर

(Fertilizer in wheat) सिंचित क्षेत्रो में सामान्य बुवाई हेतु बुवाई का उचित समय नवम्बर के प्रथम से तीसरे सप्ताह तक होता है। इसमें बीज दर 125 किग्रा प्रति हैक्टर एवं कतार से कतार की दूरी 20-23 सेमी रखते है, जबकि देरी से बुवाई के लिए बुवाई का उचित समय नवम्बर के अन्तिम सप्ताह से दिसम्बर के दूसरे सप्ताह तक होता है। इसमें बीज दर 150 किग्रा प्रति हैक्टर एवं कतार से कतार की दूरी 20-23 सेमी रखते है। कम सिंचित/असिंचित क्षेत्रों में सामान्य बुवाई के लिए बुवाई का उचित समय मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक रहता है।

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गेंहू का बीजोपचार कैसे करें?

बीज-जनित रोगों की रोकथाम हेतु बीजों को 2 ग्राम थाइरम या 2.5 ग्राम मेंकोजेब प्रति किग्रा बीज दर से उपचारित कर बुवाई के काम में लेवें। जहां अनावृत कण्डवा एवं पत्ती कण्डवा का प्रकोप हो वहां नियंत्रण हेतु कार्बोक्सिन 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज दर से बीजों (Fertilizer in wheat) को उपचारित करें।

दीमक नियंत्रण हेतु 600 मिली क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी या 500 मिली इथियोन 50 ईसी को 1 लीटर पानी में घोलकर 100 किग्रा बीजों पर समान रूप से छिड़क कर उपचारित करे एवं छाया में सुखाने के बाद बुवाई करें। अन्त में एजोटोबेक्टर जीवाणु कल्चर एवं पीएसबी कल्चर (PSB Culture) से बीज को उपचारित कर बोये इससे क्रमशः 20-30 किग्रा प्रति हैक्टर नत्रजन व 20-30 किग्रा प्रति हैक्टर फॉस्फोरस की बचत होती है। बीजोपचार के दो घण्टे के अन्दर बुवाई करें।

गेहूं की खेती के लिए आवश्यक खाद व उर्वरक

गेहूं की खेती (Fertilizer in wheat) के लिए अच्छी सड़ी हुई 8-10 टन गोबर की खाद प्रति हैक्टर बुवाई के एक माह पहले हर तीन साल में एक बार अवश्य देवें। मृदा परिक्षण के आधार पर ही उर्वरको का प्रयोग करें। गेंहू की सिंचित क्षेत्रों में सामान्य बुवाई के लिए 120 किग्रा नत्रजन, 40 कि.ग्रा. फॉस्फोरस तथा 30 किग्रा पोटाश प्रति हैक्टर देवें। देरी से बुवाई की स्थिति मे 90 किग्रा नत्रजन एवं 35 किग्रा फॉस्फोरस प्रति हैक्टर की दर से देवें।

असिंचित क्षेत्र एवं पेटा काशत में 30 कि.ग्रा. नत्रजन एवं 15 कि. ग्रा. फॉस्फोरस प्रति हेक्टर बुवाई के समय ऊर कर देवें। जस्ते की कमी के कारण पौधों की वृद्धि रूक जाती है। शिरा हरी रहती है जबकि पत्तियां बीच की शिरा के पास समानान्तर पीली पड़ जाती है।

नत्रजन देने के बाद भी ऐसे क्षेत्रों में हरापन नहीं आता है तो बुवाई से पूर्व प्रति हेक्टर 25 किग्रा जिंक सल्फेट या 10 किग्रा चिलेटेड़ जिंक, नत्रजन के साथ मिलाकर देवें। जहां गेहूं बोने (Fertilizer in wheat) के बाद जिंक की कमी महसूस हो वहां 5 किग्रा जिंक सल्फेट एवं 250 किग्रा बुझे हुए चूने को 1000 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टर छिड़के।

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गेंहू में कौन सा उर्वरक डालें?

गेंहू में उर्वरकों (Fertilizer in wheat) का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। बौने गेंहू की अच्छी उपज के लिए मक्का, धान, ज्वार, बाजरा की खरीफ फसलो के बाद भूमि में 150:60:40, तथा विलम्ब से 80:40:30 क्रमशः नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश का प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सामान्य दशा में 120:60:40 किग्रा, नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश एवं 30 किग्रा० गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग लाभकारी पाया गया है। यदि खरीफ में खेत परती रहा हो या दलहनी फसले बोई गई हो तो नत्रजन की मात्रा 20 किग्रा० प्रति हेक्टर तक कम प्रयोग करें।

लगातार धान-गेहूँ फसल (Fertilizer in wheat) चक्र वाले क्षेत्रों में कुछ वर्षा बाद गेहूँ की पैदावार में कमी होने लगती है। अतः ऐसे क्षेत्रों में गेहूं की फसल कटने के बाद तथा धान की रोपाई के बीच हरी खाद का प्रयोग करना चाहिए अथवा धान की फसल में 10-12 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए।

गेंहू में खाद लगाने का समय व विधि

(Fertilizer in wheat) उर्वरक की क्षमता बढ़ाने के लिए उनका प्रयोग विभिन्न प्रकार की भूमियों में निम्न प्रकार से करना चाहिए। 1. दोमट या मटियार, कावर तथा मार भूमि में नत्रजन की आधी, फास्फेट व पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय कँड़ों में बीज के 2-3 सेमी नीचे करें। नत्रजन की शेष मात्रा पहली सिंचाई के 24 घण्टे पहले या ओट आने पर दे।

बुआई दोमट राकड़ व बलुई जमीन में नत्रजन की 1/3 मात्रा, फास्फेट तथा पोटाश की पूरी मात्रा को बुआई के समय कँडो में बीज के नीचे देना चाहिए। शेष नत्रजन की आधी मात्रा पहली सिंचाई (20-25 दिन) के बाद (क्राउन रूट अवस्था) तथा बची हुई मात्रा दूसरी सिंचाई के बाद देना चाहिए।

गेहूं की फसल में उर्वरक

डॉ.जी.एस. चुंडावत, वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार खरीफ की तुलना में रबी फसल Fertilizer in wheat में उर्वरक की अधिक आवश्यकता होती है। साढ़े 3 से 4 माह की फसल होने से उत्पादन में भी अधिकता होती है। पांच गुना अधिक नाइट्रोजन की खपत होती है। किसान लहसुन की फसल में पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु उर्वरक समूह व उनकी मात्रा किलो ग्राम प्रति बीघा (20 आरी के हिसाब से) के अनुसार उपयोग कर सकते हैं। इससे फसलाें को फायदा होगा और उत्पाादन बढ़ेगा।

उर्वरक समूह -1

पहला डोज : बुवाई के तुरंत पूर्व या बुवाई के समय

  1. यूरिया- 22 किलो,
  2. सिंगल सुपर फास्फेट (राकोड़िया)- 60 किलो
  3. म्यूरेट ऑफ पोटाश-9 किलो
  4. सल्फर 6 किलो
  5. जिंक सल्फेट- 5 किलो

दूसरी डोज : Fertilizer in wheat बुवाई के 35 से 40 दिन के बाद – 22 किलोग्राम यूरिया एवम 9 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश सिंचाई के तुरंत बाद डालें।

तीसरा व अंतिम डोज : बुवाई के 65 से 70 दिन के बाद में 9 किलो म्यूरेट आफ पोटाश सिंचाई के तुरंत बाद दें।

उर्वरक समूह -2

पहला डोज – बुवाई Fertilizer in wheat के तुरंत पूर्व या बुवाई के समय

  1. डी.ए.पी. 22 किलो
  2. यूरिया- 13 किलो
  3. म्यूरेट ऑफ पोटाश-9 किलो
  4. सल्फर 6 किलो
  5. जिंक सल्फेट – 5 किलो

दूसरी डोज : बुवाई के 35 से 40 दिन के बाद 22 किलोग्राम यूरिया एवम 9 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश सिंचाई के तुरंत बाद।

Fertilizer in wheat तीसरा व अंतिम डोज : बुवाई के 65 से 70 दिनों के बाद में 9 किलो म्यूरेट आफ पोटाश सिंचाई के तुरंत बाद भुरकाव करें।

उर्वरक समूह -3

पहला डोज : बुवाई के तुरंत पूर्व या बुवाई के समय

  1. 12:32:16 मिश्रित उर्वरक की 31 किलो,
  2. यूरिया- 13 किलो,
  3. म्यूरेट ऑफ पोटाश— नही देना है,
  4. सल्फर 6 किलो
  5. जिंक सल्फेट—5 किलो

दूसरा डोज : बुवाई के 35 से 40 दिन के बाद: 22 किलोग्राम यूरिया Fertilizer in wheat एवम 9 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश सिंचाई के तुरंत बाद तथा

तीसरा व अंतिम डोज : बुवाई के 65 से 70 दिन के बाद में 9 किलो म्यूरेट आफ पोटाश सिंचाई के तुरंत बाद भुरकाव करें।

भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने के लिए उपयोगी सुझाव

  • हर दो या तीन वर्ष में एक बार अपने खेतों Fertilizer in wheat में सड़ी हुई गोबर की खाद (200-250 क्विं प्रति हे.) या कम्पोस्ट या वर्मीकम्पोस्ट आदि का उपयोग ठीक होगा।
  • मुर्गी की खाद 2.5 टन/हे. एवं हरी खाद जिसमें ढेंचा या सनई हो 30-35 दिन की फसल को जुताई कर खेत में मिला दें।
  • खेतों की मिट्टी की जांच करवाने से रासायनिक उर्वरक की मात्रा की जानकारी प्राप्त हो जाती हैं।
  • उर्वरकों के उपयोग के दौरान खेत में पर्याप्त नमी होना चाहिए।
  • खरपतवार से मुक्त खेत में यूरिया का छिड़काव करने से गेहूं की फसल को अत्याधिक लाभ प्राप्त होता हैं।

गेंहू में पानी कब-कब देना चाहिए?

अधिकतम पानी की उपलब्धता में सामान्यतः गेंहू की बोनी Fertilizer in wheat प्रजातियों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए हल्की भूमि में सिंचाईयों को निम्न अवस्थाओं में करनी चाहिए। जो की इस प्रकार से है :-

  1. पहली सिंचाई : बुआई के 20-25 दिन बाद (ताजमूल अवस्था)
  2. दुसरी सिंचाई : बुआई के 40-45 दिन बाद (कल्ले निकलते समय)
  3. तीसरी सिंचाई : बुआई के 60-65 दिन पर (दीर्ध सन्धि अथवा गाठे बनते समय)
  4. चैथी सिंचाई : बुआई के 80-85 दिन बाद (पुष्पावस्था)
  5. पांचवी सिंचाई : बुआई के 100-105 दिन (दुग्धावस्था)
  6. छठी सिंचाई : बुआई के 115-120 दिन पर (दाना भरते समय)

Fertilizer in wheat दोमट या भारी दोमट भूमि में निम्न चार सिंचाइयाँ करके भी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है परन्तु प्रत्येक सिंचाई कुछ गहरी (8 सेमी) करें।

सीमित पानी की उपलब्धता में : यदि आपके पास तीन सिंचाईयों की सुविधा ही उपलब्ध हो तो ताजमूल अवस्था, बाली निकलने से पूर्व तथा दुग्धावस्था पर करें। यदि दो सिंचाईयाँ ही उपलब्ध हों तो ताजमूल तथा पुष्पावस्था पर करें। गेहूँ एक ही सिंचाई उपलब्ध हो तो ताजमूल अवस्था पर करें।

गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त करने हेतु अन्य आवश्यक बातें

  • क्षेत्र विशेष के लिये अनुशंसित की गई Fertilizer in wheat नवीनतम प्रजाति का चुनाव करें।
  • प्रमाणित बीज की बोनीं करें।
  • बीज को संस्तुत कवकनाशी द्वारा शोधित करने के उपरांत बोनी करें।
  • खेत की तैयारी उपयुक्त ढंग से करें।
  • समय से बुआई करें।
  • मिट्टी की जांच के आधार पर उर्वरकों की मात्रा का निर्धारण करें।
  • सूक्ष्म तत्वों की जांच के पश्चात् आवश्यकतानुसार उनका भी उपयोग अवश्य करें।

वह जानकारी जो आपके लिए जरूरी..

प्रश्न 1 : गेहूं की फसल Fertilizer in wheat में कौन सा टॉनिक डालें?

उत्तर : गेंहू की फसल में टॉनिक डालने से पहले यह सुनिश्चित कर लेवे की आपके यहां को मिट्टी की गुणवत्ता कैसी है। गेंहू की सिंचित क्षेत्रों में सामान्य बुवाई के लिए 120 किग्रा नत्रजन, 40 कि.ग्रा. फॉस्फोरस तथा 30 किग्रा पोटाश प्रति हैक्टर देवें। देरी से बुवाई की स्थिति मे 90 किग्रा नत्रजन एवं 35 किग्रा फॉस्फोरस प्रति हैक्टर की दर से देवें।

प्रश्न 2 : गेहूं की फसल में जिंक के फायदे क्या है?

उत्तर : यदि आपके गेंहू के पत्तों Fertilizer in wheat का आकार छोटा हो जाता है और वह सूखने लगते हैं। तो समझ जाइए जिंक की कमी है। जिंक की कमी को पूरा करने के लिए 5 किग्रा जिंक सल्फेट एवं 250 किग्रा बुझे हुए चूने को 1000 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टर छिड़के। गेंहू की फसल में जिंक के फायदे यही है की, यह पत्तो के आकार को बढ़ाता है, पौधे में गेंहू के दाने की वृद्धि करता है। साथ ही फसल उत्पादन में वृद्धि करता है।

प्रश्न 3 : गेहूं की फसल में कौन सा खाद डालें?

उत्तर : गेंहू की खेती Fertilizer in wheat करते समय हर दो या तीन वर्ष में एक बार अपने खेतों में सड़ी हुई गोबर की खाद (200-250 क्विं प्रति हे.) या कम्पोस्ट या वर्मीकम्पोस्ट आदि का उपयोग ठीक होगा।

प्रश्न 4 : गेहूं की फसल में कितना पानी देना चाहिए?

उत्तर : गेंहू की फसल Fertilizer in wheat के लिए यदि आपके पास पानी की उपलब्धता है तो 12 से 15 दिनों के अंतराल में 4 से 6 पानी दे सकते है। वही यदि आपके पास सिंचाई की उपलब्धता बेहद कम है तो, 17 से 20 दिनों के अंतराल में 3 से 4 पानी दे सकते है।

प्रश्न 5 : गेहूं की फसल में सल्फर के फायदे?

उत्तर : गेंहू के पौधे Fertilizer in wheat में यदि बैंगनीपन आ जाता है तो, समझ जाए आपके गेंहू में सल्फर की कमी है। सल्फर इसकी कमी को दूर करता है। सल्फर के उपयोग से उत्पादन को बड़ाया जा सकता है। सल्फर की कमी के कारण पौधे छोटे एवं बैंगनी कलर के हो जाते है।

प्रश्न 6 : गेहूं की फसल में यूरिया Fertilizer in wheat कब डालना चाहिए?

उत्तर : गेंहू की फसल बोने के 15 से 20 दिनों बाद यूरिया दे देवे। यदि बुवाई 1 नवंबर को होती है तो, दूसरी सिंचाई के पहले यानी 20 से 22 दिन में 30 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से यूरिया का छिड़काव करें।

|| Disclaimer || यहां सिर्फ आपको गेंहू की किस्मों की जानकारी दी जा रही है। बाकी आप अपनी नजदीकी सीड्स कंपनी या कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर हवा- पानी मिट्टी को ध्यान में रखकर गेंहू की अच्छी किस्म का चयन करें। उत्पादन के आंकड़े में हल्का उतार-चढ़ाव हो सकता है। अगर जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें।🙏

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