पिछले साल सोयाबीन की इन टॉप 3 नई किस्मों ने किया कमाल, निकाला था सबसे ज्यादा उत्पादन, देखें डिटेल..

पिछले वर्ष सोयाबीन की किन तीन किस्मों (High Yield Soybean Variety) ने दिया था सबसे ज्यादा उत्पादन। आइए आर्टिकल में डिटेल में जानते है।

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High Yield Soybean Variety | इस समय रबी फसलों की कटाई का कार्य समाप्त हो चुका है। कई किसानों के खेत खाली पड़े है तो, कई किसानों ने अतिरिक्त आय के लिए मुंग, उड़द की फसल भी लगा ली है।

इसके बाद जून जुलाई से खरीफ सीजन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बोवनी शुरू हो जायेगी। सोयाबीन की अच्छी पैदावार / उत्पादन के लिए हर वर्ष किसान नए नए उन्नत किस्मों को बोते है।

मार्केट में कई तरह की उन्नत किस्मों के बीज देखने को मिल जाते है। हर साल नई नई किस्में चर्चा में रहती है। हम यहां आर्टिकल में आपको पिछले वर्ष सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली सोयाबीन की टॉप 3 किस्मों के बारे में बताने जा रहे है।

सोयाबीन की इन किस्मों में जेएस 2303, जेएस 2172 और एनआरसी 150 वैरायटी (High Yield Soybean Variety) शामिल है। इन तीनों ही किस्मों ने बाकी किस्मों से कही बेहतर रिजल्ट निकाला है। आइए आर्टिकल में विस्तार से जानते है इन किस्मों के बारे में…

1. सोयाबीन की जेएस 2303 किस्म (JS 2303 soybean variety)

सोयाबीन की इस 2303 किस्म को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा विकसित किया है। सोयाबीन की यह किस्म 2034 और 9560 सोयाबीन किस्म की अवधि के बराबर बताई जा रही है।

बेहतर उत्पादन क्षमता एवं रोग प्रतिरोधी (High Yield Soybean Variety) होने के कारण किसानों के बीच 2303 सोयाबीन वैरायटी की सबसे अधिक चर्चा है। खास बात यह है कि सोयाबीन कि इस वैरायटी को रबी एवं खरीफ दोनों सीजन में बोया जा सकता है। इस किस्म ने पिछले वर्ष 5 से 6 क्विंटल प्रति बीघा एवं औसत उपज 4⅕ से 5⅕ प्रति बीघा तक रहा।

जेएस 2303 सोयाबीन किस्म की विशेषताएं

सोयाबीन की जेएस 2303 किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी फली का गुच्छा तीन फलियां वाला रहता है। 2303 सोयाबीन के अंतिम छोर तक तीन फलियों का एक गुच्छा रहेगा। इस वैरायटी की फलियां चिकनी रहेगी।

इसकी हाइट 2309 सोयाबीन किस्म (High Yield Soybean Variety) के मुकाबले ज्यादा बताई जा रही है। इसलिए यह हार्वेस्टर के लिए उपयुक्त है। सोयाबीन की यह किस्म पूर्व में रिलीज सोयाबीन वैरायटी m-85 से मिलती-जुलती बताई जा रही है। जल्दी पकने के कारण यह वैरायटी आलू, मटर, प्याज, लहसुन की अगेती खेती करने वाले किसानों के लिए लाभदायक रहेगी।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सोयाबीन की इस इस वैरायटी के पकने की अवधि 92 दिन की बताई जा रही है। सोयाबीन की इस किस्म का बीज दर 16 से 18 किलो प्रति बीघा अर्थात 80 किलो प्रति हेक्टेयर उपयुक्त रहेगा।

सोयाबीन की इस वैरायटी (High Yield Soybean Variety) को कतार से कतार की दूरी 18 इंच रखने पर बेहतर उत्पादन मिलेगा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन की यह किस्म आदर्श परिस्थितियों में 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देने में सक्षम है, अर्थात 7 क्विंटल प्रति बीघा का उत्पादन मिल सकता है।

2. सोयाबीन की जेएस 2172 किस्म (JS 2172 Soybean Variety)

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने बदलते मौसम, बढ़ते तापमान और पानी की कमी को ध्यान में रखकर सोयाबीन की नई किस्म को तैयार किया है। विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने सोयाबीन की नई प्रजाति जेएस 2172 विकसित की है।

सोयाबीन की यह किस्म (High Yield Soybean Variety) देश के मध्यक्षेत्र म.प्र. बुंदेलखण्ड, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र हेतु अनुशंसित की गई है जो कि मध्यम से अधिक वर्षा वाले व मध्यम से अधिक भारी मिट्टी (हवी स्वाईल) हेतु उपयुक्त किस्म है। पिछले वर्ष इसका 4 से 6⅕ प्रति बीघा एवं कहीं कही 6+ क्विंटल बीघा भी उत्पादन पाया गया।

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जेएस 2172 सोयाबीन किस्म की विशेषताएं

सोयाबीन की जेएस 2172 किस्म की अवधि मध्यम लगभग 94-95 दिवस है। 2172 किस्म (High Yield Soybean Variety) की औसत उत्पादन क्षमता लगभग 25 क्विं/ हेक्टे. है किंतु किसानों से प्राप्त आकड़ों एवं व्यवहारिक स्थिति में इस किस्म ने अधिकतम 30 से 35 क्विंटल हेक्टेयर तक उत्पादन देकर किसानों को अचरज में डाल दिया है।

सोयाबीन की इस किस्म 2172 का तना मजबूत होने से (लाजिंग) आड़ा पड़ने की समस्या नहीं, पौधे की ऊँचाई एवं फैलाव अच्छा होने से हार्वेस्टर से काटने हेतु उपयुक्त फलियों में चटकने की समस्या न होने से कृषक को कटाई के समय नुकसान नहीं होता है।

बायोटिक स्ट्रेस मौसमी तनाव हेतु बहुरोधी किस्म येलो मोजेक वायरस (YMV), चारकोल रॉट, पत्तियों पर बेक्टेरियल पाश्चुल एवं येलो स्पॉट के प्रति सहनशील किस्म। सोयाबीन की इस किस्म 2172 को लेकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय गुप्ता का कहना है की, जेएस 21-72 वैरायटी में उच्च रोगप्रतिरोधी (High Yield Soybean Variety) क्षमता है।

यह बाकी किस्मों से कही अधिक रोगप्रतिरोधक है। इस वैरायटी की सबसे बड़ी खासियत यह है की इसमें चारकोल सड़न (चारकोल रॉट), ऐन्थ्रेक्नोज व फली झुलसा, राइजेकटोनिया एरियल ब्लाइट जैसे सभी रोगों से लड़ने में औसत दर्जे से लेकर उच्च क्षमता पाई गई है।

3. सोयाबीन की एनआरसी 150 किस्म (NRC 150 Soybean Variety)

सोयाबीन की NRC 150 किस्म आईसीएआर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर (मध्य प्रदेश) द्वारा विकसित की गई है। सोयाबीन की यह किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र का विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए अनुशंसित की गई है।

सोयाबीन की यह NRC 150 किस्म (High Yield Soybean Variety) जल्दी पक जाती है। जिसके कारण अनियमित मानसून के दौरान उपज प्रभावित नहीं होती है। पिछले वर्ष एनआरसी 150 सोयाबीन का उत्पादन 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा था।

एनआरसी 150 सोयाबीन किस्म की विशेषताएं

सोयाबीन की सबसे अधिक पॉपुलर किस्म जेएस 9560 है, यह किस्म 95 दिन की अवधि में पक जाती है। सोयाबीन की इस किस्म (High Yield Soybean Variety) को अब NRC 150 वैरायटी टक्कर देगी। इंदौर से ही विकसित सोयाबीन किस्म एनआरसी 150 जो केवल 91 दिन में परिपक्व होती है, सोया गंध के लिए जिम्मेदार लाइपोक्सीजिनेज -2 एंजाइम से मुक्त है तथा चारकोल सड़ांध रोग के लिए प्रतिरोधी है।

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई इस किस्म को ट्रायल के तौर पर पिछले वर्ष कई क्षेत्रों में बोया गया। जहां पर इस किस्म की पैदावार अच्छी हुई। सोयाबीन की यह किस्म 7 क्विंटल प्रति बीघा की पैदावार देगी। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन की इस किस्म से 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होगी।

सोयाबीन की उन्नत किस्म (High Yield Soybean Variety) ‘एनआरसी 150’ की खेती किसानों को अच्छा फायदा देगी यह किस्म सोयाबीन की जेएस 9560 किस्म के अनुसार ही जल्दी पकेगी एवं गंध मुक्त रहेगी।

आईआईएसआर वैज्ञानिकों वर्षों की मेहनत के बाद अनुसंधान में विकसित यह किस्म सोयाबीन NRC 150 की प्राकृतिक गंध के लिए जिम्मेदार लाइपोक्सीजिनेज-2 एंजाइम से मुक्त है। सोयाबीन की इस किस्म से बनने वाले सोया दूध, सोया पनीर, सोया टोफू आदि उत्पादों में यह गंध नहीं आएगी।

सोयाबीन की इन 2 किस्मों ने भी दिया था अच्छा उत्पादन

सोयाबीन की 9560 एवं एनआरसी (NRC) 150 के समान ही सोयाबीन की नई वैरायटी (High Yield Soybean Variety) अंकुर अग्रसर से किसानों को पिछले वर्ष अच्छी पैदावार मिली है।

इस वैरायटी के पकाने की अवधि मात्र 92 दिन है। जिसके कारण यह वैरायटी किसानों के बीच लोकप्रिय हो गई है। पिछले वर्ष अंकुर अग्रसर किस्म ने अधिकतम 7 क्विंटल तक पैदावार दी थी। इसके साथ ही 9560 किस्म ने भी अच्छा रिजल्ट दिया था। अंकुर अग्रसर किस्म की अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…

नोट :– प्राइवेट सोयाबीन वैरायटी (High Yield Soybean Variety) में अंकुर अग्रसर का उत्पादन टाप पर रहा, इसके अलावा सोयाबीन की प्रतिष्ठित वैरायटी जेएस 9560 ने भी बेहतर उत्पादन दिया। वहीं दूसरी ओर पिछले दो-तीन वर्षों से अच्छा उत्पादन दे रही आरवीएस 1135 वैरायटी (High Yield Soybean Variety) ने पिछले वर्ष किसानों को काफी निराश किया, यह वैरायटी पिछले साल बिल्कुल फैल रही। 

अधिक जानकारी एवं बीज प्राप्त करने के लिए किसान साथी नीचे दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं..

श्री गायत्री ट्रेडर्स, उज्जैन 

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